कानपुर के पीपीएन डिग्री कॉलेज के प्रबंधक समेत सात पर मुकदमा, जानिए-क्या है पूरा मामला

उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान की इंस्पेक्टर सीमा सिंह द्वारा लिखवाई गई रिपोर्ट में तत्कालीन प्राचार्य डीआइओएस उच्च शिक्षा अधिकारी भी नामजद हैं। पांच साल पहले शासन ने प्रकरण की जांच शुरू कराई थी। अभ्यर्थियों का चयन निरस्त किए जाने की संस्तुति की गई है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Sat, 03 Apr 2021 07:53 AM (IST) Updated:Sat, 03 Apr 2021 07:53 AM (IST)
कानपुर के पीपीएन डिग्री कॉलेज के प्रबंधक समेत सात पर मुकदमा, जानिए-क्या है पूरा मामला
विजिलेंस टीम ने कर्नलगंज थाने में रिपार्ट दर्ज कराई है।

कानपुर, जेएनएन। पीपीएन कॉलेज में 10 वर्ष पहले तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के साथ ही कैटलॉगर पदों पर की गईं नियुक्तियों में फर्जीवाड़े व भ्रष्टाचार के आरोप में विजिलेंस टीम ने प्रबंधक, तत्कालीन प्राचार्य व शिक्षा विभाग के अफसरों समेत सात के खिलाफ कर्नलगंज थाने में मुकदमा दर्ज कराया है। शासन ने पांच वर्ष पूर्व मामले की जांच शुरू कराई थी।

24 जून 2015 को राज्य सतर्कता समिति की 148वीं बैठक के बाद शासन के निर्णय पर विभिन्न कॉलेजों के संबंध में आई शिकायतों की खुली जांच कराने के आदेश दिए गए थे। पीपीएन कॉलेज की जांच उ.प्र. सतर्कता अधिष्ठान कानपुर सेक्टर को सौंपी गई थी। शिकायत में आरोप है कि कॉलेज में सात लाख रुपये लेकर नियुक्तियां की गईं। 20 दिसंबर 2018 को विजिलेंस टीम ने जांच पूरी करके प्राथमिक रिपोर्ट और फिर 26 अक्टूबर 2020 को अनुपूरक रिपोर्ट शासन को भेजी थी। जांच में सामने आया कि नौ तृतीय श्रेणी, एक कैटलॉगर व नौ चतुर्थ श्रेणी अभ्यर्थियों का चयन समितियों ने साक्षात्कार लेकर किया। चयनित अभ्यर्थियों का परिणाम घोषित किया। साक्षात्कार की कार्यवाही के दौरान अभ्यर्थियों की योग्यता/दक्षता के सापेक्ष न तो कोई अंक दिए और न ही ग्रेड आदि प्रदान किया। इससे साक्षात्कार में शामिल अभ्यर्थियों में से विभिन्न पदों के लिए सर्वोत्कृष्ट का पैमाना तय नहीं हुआ। कर्नलगंज थाना प्रभारी प्रभुकांत ने बताया कि शुक्रवार को विजिलेंस इंस्पेक्टर सीमा ङ्क्षसह की तहरीर पर सात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। विवेचना विजिलेंस टीम ही करेगी।

चयन प्रक्रिया को माना अवैध

जांच में चयन समिति सदस्यों के बयान और अभिलेखों से प्रमाणित हुआ कि अभ्यर्थियों के चयन के दौरान ग्रेडेशन व अंक मानक निर्धारित नहीं किए गए थे। 253 अभ्यर्थियों का साक्षात्कार हुआ, लेकिन केवल स्मरण शक्ति के आधार पर श्रेष्ठ अभ्यर्थियों का चयन हुआ। यह न तो तर्कसंगत है और न ही विधि सम्मत। इससे साबित हुआ कि अभ्यर्थियों का चयन पूर्वाग्रह से किया गया। बिना मानक के योग्य अभ्यर्थियों के साथ छल करके भ्रष्टाचार करते हुए चयन किया गया। इस प्रकार चयन प्रक्रिया अवैध पाई गई और अभ्यर्थियों का चयन निरस्त किए जाने की संस्तुति की गई है।

इनके खिलाफ लिखा मुकदमा

पीपीएन कॉलेज के प्रबंधक योगेंद्र स्वरूप, तत्कालीन सेवानिवृत्त कार्यवाहक प्राचार्य डॉ. शंकरदत्त पांडेय के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी और साजिश रचने की धाराओं में, जबकि तत्कालीन प्राचार्य डॉ. जहान ङ्क्षसह, तत्कालीन डीआइओएस शिवसेवक ङ्क्षसह, सेवायोजन अधिकारी मनोज कुमार ङ्क्षसह, राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय प्रयागराज के पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ. त्रिपुरारी नाथ दुबे, तत्कालीन क्षेत्रीय उच्च शिक्षाधिकारी प्रो. अखिलेश कुमार के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) अधिनियम की धारा सात के तहत मुकदमा लिखा गया है।

काफी समय से विजिलेंस टीम की ओर से जांच की जा रही थी। कुछ समय पहले विजिलेंस टीम कॉलेज भी आई थी और नियुक्ति संबंधी दस्तावेज मांगे थे। उन्हें सभी दस्तावेज उपलब्ध करा दिए गए थे। साथ ही बताया गया था कि किसी तरह की अनियमितता नहीं हुई। अब पता लगा है कि विजिलेंस की ओर से मुकदमा लिखवाया गया है। उन्होंने जो आरोप लगाए हैं, उनका जवाब दिया जाएगा। -डॉ. बीडी पांडेय, कार्यवाहक प्राचार्य, पीपीएन कॉलेज।

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