कर निर्धारण प्रक्रिया को पूरी तरह से पारदर्शी बनाने के लिए 31 अक्टूबर से फेसलेस होगा कस्टम
कस्टम अधिकारियों के मुताबिक अभी 86 फीसद मामलों में फेसलेस असेसमेंट हो रहे हैं। इस प्रक्रिया में जिस इनलैंड कंटेनर डिपो में माल होगा वहां के अधिकारी या कारोबारी को पता नहीं चलेगा कि देश के किस इनलैंड कंटेनर डिपो में बैठा अधिकारी जांच कर रहा है।
कानपुर, जेएनएन। शनिवार यानी 31 अक्टूबर से कस्टम भी पूरी तरह फेसलेस हो जाएगा। आयकर विभाग के कर निर्धारण अधिकारी की तरह कस्टम में भी कौन अधिकारी असेसमेंट रहा है, इसका पता नहीं चलेगा। इसके तहत जिस कंटेनर डिपो का माल होगा, वहां का अधिकारी उसमें आने वाले माल का कर निर्धारण नहीं करेगा। यह व्यवस्था कर निर्धारण प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी बनाने के लिए की जा रही है।
कानपुर में कस्टम विभाग के तीन कंटेनर डिपो हैं। ये पनकी इनलैंड कंटेनर डिपो, जूही यार्ड इनलैंड कंटेनर डिपो, चकेरी इनलैंड कंटेनर डिपो हैं। इन सभी में रोज विदेश से माल आता है और यहां से विदेश जाता है। यही स्थिति पूरे देश में मौजूद कंटेनर डिपो में होती है। कस्टम विभाग के अधिकारियों को आशंका थी कि जिस डिपो में माल होता है वहीं के अधिकारी से कर निर्धारण करवाने पर पूरी तरह से पारदर्शिता नहीं रहती। इसलिए कस्टम विभाग ने भी आयकर विभाग की तरह फेसलेस असेसमेंट शुरू किया। 15 सितंबर से कस्टम विभाग ने अपने डिपो में इसकी शुरुआत की लेकिन यह ट्रायल बेस पर थी।
अब 31 अक्टूबर से विभाग इसे पूरी तरह अनिवार्य करने जा रहा है। कस्टम अधिकारियों के मुताबिक अभी 86 फीसद मामलों में फेसलेस असेसमेंट हो रहे हैं। इसे 31 अक्टूबर से सौ फीसद करना होगा। इस प्रक्रिया में जिस इनलैंड कंटेनर डिपो में माल होगा, वहां के अधिकारी या कारोबारी को पता नहीं चलेगा कि देश के किस इनलैंड कंटेनर डिपो में बैठा अधिकारी जांच कर रहा है। अधिकारी कौन होगा, इसका चयन कंप्यूटर खुद करेगा। इस सिस्टम को इस तरह विकसित किया गया है कि सिर्फ उस सेंटर को जांच नहीं मिलेगी जिसके पास माल है। बाकी कंप्यूटर किसी को भी यह जांच दे सकता है।