सीएसजेएमयू के छात्रों ने बनाया आक्सीजन कंसंट्रेटर

-45 हजार रुपये लागत आई कंसंट्रेटर के निर्माण में-06 महीने की मेहनत के बाद तैयार हुआ कंसंट्रेटर

By JagranEdited By: Publish:Tue, 25 Jan 2022 08:35 PM (IST) Updated:Tue, 25 Jan 2022 08:35 PM (IST)
सीएसजेएमयू के छात्रों ने बनाया आक्सीजन कंसंट्रेटर
सीएसजेएमयू के छात्रों ने बनाया आक्सीजन कंसंट्रेटर

-45 हजार रुपये लागत आई कंसंट्रेटर के निर्माण में

-06 महीने की मेहनत के बाद तैयार हुआ कंसंट्रेटर जागरण संवाददाता, कानपुर : महामारी की दूसरी लहर लोगों पर कहर बनकर टूटी। वायरस के हमले से सांसों पर संकट गहरा गया। आक्सीजन को लेकर खूब मारामारी रही। ऐसे में लोगों की जान बचाने के लिए सीएसजेएमयू के विद्यार्थियों ने आक्सीजन पैदा करने वाली मशीन बनाने का सपना बुना। अब यह सपना साकार हो गया है। बेहद कम कीमत पर आधुनिक आक्सीजन कंसंट्रेटर तैयार करने में सफलता हासिल की है। इसकी खासियत यह है कि यह एक मिनट में पांच से 15 लीटर तक आक्सीजन उत्पन्न करता है।

आइआइटी के इन्क्यूबेशन सेंटर की तर्ज पर छत्रपति शाहूजी महाराज विवि में पिछले वर्ष इन्क्यूबेशन एंड इनोवेशन सेंटर की शुरुआत हुई। सेंटर प्रभारी अनिल कुमार त्रिपाठी बताते हैं कि अब तक करीब 25 मौजूदा और पूर्व विद्यार्थियों ने अपने प्रोजेक्ट प्रस्तुत किए हैं। इसमें से 11 प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। संग्रह इनोवेशन के डायरेक्टर व विवि से संबद्ध क्राइस्ट चर्च कालेज के पूर्व छात्र राहुल दीक्षित ने सहयोगी शिवम शुक्ला, प्रियरंजन तिवारी व एमसीए अंतिम वर्ष के छात्र नीरज वर्मा संग मिलकर आक्सीजन कंसंट्रेटर बनाया है। इसका प्रोटोटाइप बनाकर जीएसवीएम मेडिकल कालेज में परीक्षण के लिए भेजा गया है।

एक साथ दो मरीजों को आक्सीजन, कीमत भी बेहद कम

किदवई नगर ई ब्लाक निवासी राहुल ने बताया कि छह माह की मेहनत के बाद 45 हजार रुपये में आक्सीजन कंसंट्रेटर तैयार किया गया है। इसकी खास बात है कि यह एक साथ दो मरीजों को आक्सीजन उपलब्ध कराएगा। इसके पांच लीटर प्रति मिनट व 10 लीटर प्रति मिनट वाले वर्जन भी तैयार किए गए हैं। बाजार में मिलने वाले आम कंसंट्रेटर जहां 70 हजार से एक लाख या इससे ज्यादा कीमत के हैं, वहीं इसकी कीमत बेहद कम होगी।

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इस तकनीक का किया इस्तेमाल

राहुल के मुताबिक, कंसंट्रेटर रिवर्स साइकिल तकनीक पर आधारित है। इसमें लीथियम जियोलाइट का इस्तेमाल किया गया है, जो हवा में मौजूद नाइट्रोजन को सोख लेता हैं और आक्सीजन को पास करता है। मशीन की खासियत है कि यह नाइट्रोजन की सफाई भी खुद करती है। एक मशीन की उम्र पांच से सात साल है।

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