कानपुर के एक मंदिर में टूट रहे जाति-मजहब के बंधन, नारी सशक्तिकरण से फहरा रहा सनातन परंपरा का ध्वज

कानपुर के महाराजपुर के सलेमपुर स्थित बालाजी मंदिर में हर जाति व मजबह की युवतियों व महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का सिलसिला जारी है । अब कई गांवों की महिलाओं को स्वरोजगार की राह मिल चुकी है ।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Thu, 15 Apr 2021 09:44 AM (IST) Updated:Thu, 15 Apr 2021 09:44 AM (IST)
कानपुर के एक मंदिर में टूट रहे जाति-मजहब के बंधन, नारी सशक्तिकरण से फहरा रहा सनातन परंपरा का ध्वज
मंदिर की स्थापना के समय लिया संकल्प पूरा कर रहे हैं।

कानपुर, [शैलेन्द्र त्रिपाठी]। सनातन परंपरा हर किसी के लिए खुद के दरवाजे खोले है। सबकी समृद्धि ही मकसद है। कुछ ऐसे ही नारी सशक्तिकरण के जरिए सनातन परंपरा की ध्वजा फहरा रही है महाराजपुर के सलेमपुर स्थित बालाजी मंदिर में। यहां मानव सेवा के मूलमंत्र को अंगीकार कर आसपास के आधा दर्जन गांवों की किसी भी जाति-मजहब की गरीब बेटियों और महिलाओं को निश्शुल्क सिलाई का प्रशिक्षण देकर खुद के पैरों पर खड़ा किया जा रहा है। अब तक दो दर्जन को स्वरोजगार की राह भी मिल चुकी है। मंदिर समिति सौ फीसद उपस्थिति पर पांच सौ रुपये प्रतिमाह प्रोत्साहन राशि भी देती है। प्रशिक्षकों के साथ ही कपड़ा और सिलाई मशीन की भी कोई धनराशि नहीं ली जाती है।

भारत माता मंदिर हरिद्वार के संस्थापक पद्मभूषण महामंडलेश्वर स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि जी महाराज और उनके उत्तराधिकारी जूना पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि जी महाराज की मौजूदगी में वर्ष 2017 में बालाजी मंदिर की स्थापना हुई थी। उसी समय यहां पर महिलाओं और बेटियों को सिलाई का प्रशिक्षण देकर सशक्त बनाने की रूपरेखा बनी थी। शुरुआत हुई तो सफलता भी मिली।

सलेमपुर, खोजऊपुर, लालापुरवा समेत अन्य गांवों की 26 महिलाएं व युवतियां वर्तमान में सिलाई प्रशिक्षण ले रहीं हैं। मंदिर समिति की ओर से दो प्रशिक्षक धर्मा गुप्ता व ज्ञान प्रकाश दीक्षित मानदेय पर नियुक्त हैं। प्रशिक्षक बताते हैं कि मास्क बनाने का प्रशिक्षण शुरू किया गया है। प्रतिदिन सुबह 11 से अपराह्न एक बजे और अपराह्न डेढ़ बजे से शाम साढ़े तीन बजे तक दो शिफ्ट में प्रशिक्षण देते हैं।

प्रत्येक रविवार को होती समीक्षा

बालाजी मंदिर प्रबंध समिति के संतोष अग्रवाल, हरीश चोखानी व मनोज सेंगर प्रत्येक रविवार को प्रशिक्षण के प्रगति की समीक्षा करके समस्याएं दूर करते हैं। इसके साथ ही महज 20 रुपये प्रतिदिन पर फिजियोथेरेपी की सुविधा भी दी जाती है। आसपास के एक दर्जन से अधिक गांवों के लोग लाभान्वित हो रहे हैं। मंदिर समिति के संतोष अग्रवाल बताते हैं कि प्रशिक्षण देकर ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को भागदौड़ से बचाने के साथ ही स्वरोजगार से जोड़ा जा रहा है।

वेदपाठी विद्यालय के लिए भवन तैयार

मंदिर परिसर में ही वेदपाठी विद्यालय की स्थापना के लिए भवन बन चुका है। जल्द ही यहां पर बच्चों को वेदों के साथ संस्कृत का अध्ययन कराया जाएगा।

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