12 साल पहले ही एटीएस ने कर दिया आगाह, उजागर की थी हुमायूं नजर बाबा बिरयानी वालों की कारस्तानी
भारत छोड़कर पाकिस्तान गए हुमायूं नजर द्वारा शत्रु संपत्ति बेचने पर एटीएस ने जांच की थी। जांच में बाबा बिरयानी वालों की कारस्तानी भी उजागर हुई थी। 12 साल पहले दी गई शत्रु संपत्तियों की रिपोर्ट दबने से मामला ठंडा पड़ गया था।
कानपुर, [गौरव दीक्षित]। शत्रु संपत्तियों का मामला इन दिनों खूब चर्चाओं में है। जिला प्रशासन की एक विशेष टीम इस मामले में एक-एक संपत्तियों की जांच कर रही है, लेकिन सच्चाई यह है कि सालों से इस गंभीर मुद्दे पर स्थानीय अफसर पर्दा डाले रहे। पाकिस्तानी नागरिक द्वारा भारतीय नागरिक बनकर शत्रु संपत्तियां बेचने की शिकायत पर करीब बारह साल पहले एटीएस (एंटी टेरेरिस्ट स्क्वायड) ने जांच की थी। एटीएस को स्वरूपनगर, तिलकनगर, अनवरगंज, चमनगंज आदि तमाम क्षेत्रों में अरबों की शत्रु संपत्तियां चिन्हित की थीं। यही नहीं उस समय एटीएस ने भी बाबा बिरयानी वालों की जांच कर आगाह किया था। मगर, तत्कालीन अफसरों ने एटीएस की जांच को ठंडे बस्ते में डाल दिया। अगर उस वक्त ही इस पर ध्यान दे दिया होता तो काफी कुछ बचाया जा सकता था।
शत्रु संपत्तियों की सुरक्षा में प्रशासनिक स्तर से घोर लापरवाहियां बरती गईं। अब सामने आया है कि महानगर में शत्रु संपत्तियों के गड़बड़झाले की जांच बारह साल पहले एटीएस ने भी की थी। एटीएस को यह मामला इसलिए सौंपा गया था, क्योंकि प्रकरण में पाकिस्तानी नागरिक हुमायूं नजर का नाम सामने आया था। असल में गोरा कब्रिस्तान, हीरामनपुरवा निवासी नजर मोहम्मद आजादी के वक्त शहर के बड़े चमड़ा कारोबारी थी। जाजमऊ में पायनियर टेनरी के नाम सेे उनकी फैक्ट्री थी, जबकि स्वरूपनगर, तिलकनगर, चमनगंज और अनवरगंज में इस परिवार की करोड़ों-अरबों की संपत्तियां थी।
इस तरह से बिकी संपत्तियां : नजर मोहम्मद के बेटे हुमायूं नजर बंटवारे के बाद पाकिस्तान चले गए थे। एटीएस की जांच के मुताबिक हुमायूं नजर ने कराची में डिफेंस स्टेट में अपना आलीशान बंगला बनवाया। कुछ समय बाद हुमायूं ने ब्रिटेन की नागरिकता भी ले ली। हालांकि वहां उसने खुद को पाकिस्तानी नागरिक न बताकर हिन्दुस्तानी नागरिक ही बताया। इस आधार पर उसने ब्रिटेन द्वारा दोहरी नागरिकता प्राप्त भारतीय नागरिकों के लिए जारी विशेष पासपोर्ट पीआइओ (परसन आफ इंडियन ओरिजन) हासिल कर लिया। इसके बाद इसी पासपोर्ट पर हुमायूं नजर कानपुर आए और अपने हिस्से की जमीनों को बेंचना शुरू कर दिया। सालों तक यह सिलिसल चला, लेकिन जब एटीएस ने जांच और यह सब सामने आया तो हुमायूं नजर को गिरफ्तार करने का आदेश जारी हुए। मगर, पुलिस की इस कार्रवाई की भनक नजर को लग गई और वह भारत छोड़कर पाकिस्तान भाग गया। वर्ष 2014 में एटीएस की र्ट पर हुमायूं नजर के खिलाफ लुकआफ नोटिस जारी हुआ, मगर इसके बाद वह कभी हिन्दुस्तान नहीं आया।
आतंकी कनेक्शन का भी था अंदेशा : एटीएस ने इस प्रकरण में बाबा बिरयानी वालों की जांच भी की थी। उस वक्त भी इस पर आतंकी कनेक्शन का आरोप लगा था। हालांकि उस समय एटीएस को कोई सबूत हाथ नहीं लगा था। मगर पाकिस्तानी नागरिक की संलिप्तता और आतंकी साजिश की वजह से यह मामला गंभीर माना गया।
जांच में मिली थी तमाम शत्रु संपत्तियां : इस प्रकरण की जांच वर्तमान में एसटीएफ की कानपुर इकाई के प्रभारी शैलेंद्र सिंह ने की थी। उस वक्त वह एटीएस कानपुर इकाई के प्रभारी थे। जब उनसे इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने स्वीकार किया कि जांच हुई थी और बड़ी संख्या में शत्रु संपत्तियां पाई गई थीं। जांच उन्होंने उच्चाधिकारियों को सौंप दी थी।