भारत की धड़कन है वंदे मातरम्.., इसकी अहमियत समझने के लिए Atal Bihari Vajpayee के सारगर्भित भाषण के अंश

पूर्व प्रधानमंत्री Atal Bihari Vajpayee का सारगर्भित भाषण वंदेमातरम् की अहमियत समझाने वाला है। उनके भाषण में मातृभूमि की वंदना और देशभक्ति की भावना साफ तौर पर दिखाई देती है। ये वो राष्ट्रगीत है जो हृदय के तारों को झंकृत कर देता है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Sun, 14 Aug 2022 11:47 AM (IST) Updated:Sun, 14 Aug 2022 11:47 AM (IST)
भारत की धड़कन है वंदे मातरम्.., इसकी अहमियत समझने के लिए Atal Bihari Vajpayee के सारगर्भित भाषण के अंश
Atal Bihari Vajpayee के यादगार भाषण के अंश।

ओजपूर्ण भाषण से विरोधियों को भी प्रशंसक बनाने वाले अटल बिहारी वाजपेयी Atal Bihari Vajpayee ने वंदे मातरम् की अहमियत समझाने को एक सारगर्भित भाषण दिया था। पढ़िए मातृभूमि की वंदना और देशभक्ति की भावना को दर्शाता वह यादगार भाषण...

वंदे मातरम् के साथ हमारी राष्ट्रीय स्मृतियां जुड़ी हुई हैं। पराधीनता की पीड़ा और पराधीनता के पाश को उतारकर फेंकने का वज्र संकल्प जुड़ा हुआ है। हमें ऐसा राष्ट्रगीत उपलब्ध हुआ है जो सचमुच हमारे हृदय के तारों को झंकृत कर देता है। यह गीत संपूर्ण संघर्ष की कहानी कहता है और इस धरती के प्रति, भारत मां के प्रति श्रद्धा के निवेदन में अपूर्व है।

कल्पना करिए 100-125 वर्ष पहले का काल, किस तरह से विदेशियों ने देश को पददलित किया था, लेकिन उसी के साथ त्याग और बलिदान की एक परंपरा है। वंदे मातरम् एक मंत्र बन गया था। जो फांसी के तख्ते पर नहीं चढ़ सकते थे, वो भी इसे गाकर आनंदित अनुभव करते थे।

दुर्भाग्य की बात है कि यह गीत भी विवाद का विषय बन गया था, अभी भी इस पर थोड़ा विवाद होता रहता है। मुंबई के लोकसभा सदस्य श्री राम भाऊ नाइक का अभिनंदन होना चाहिए। उन्होंने इस बात का प्रयत्न प्रारंभ किया कि संसद सत्र का आरंभ और समापन राष्ट्रगीत के साथ हो। लोकसभा अध्यक्ष श्री शिवराज पाटिल को यह विचार पसंद आया मगर सदस्यों में मतभेद था।

कहा गया कि जन गण मन क्यों नहीं, वंदे मातरम् क्यों? तुष्टीकरण की कहानी बड़ी पुरानी है। भारत माता की वंदना करना मूर्तिपूजा नहीं है। हम मां के रूप में इसकी वंदना करते हैं। ये संस्कार कोई आज का संस्कार नहीं है।

महर्षि वाल्मीकि ने जब रामायण लिखी तो उसमें लंका विजय के वर्णन के बाद एक प्रसंग का उल्लेख किया। लंका जीतने के बाद भगवान राम अयोध्या चलने की तैयारी करने लगे तो वानरों ने लंका में ही बसने की बात कही, तब श्री रामचंद्र ने कहा, ‘अपि स्वर्णमयी लंका न मे लक्ष्मण रोचते, जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी।’ यानी सोने की लंका मेरे मन को नहीं बांधती, जननी जन्मभूमि स्वर्ग से भी बड़ी है।

पृथ्वी हमारी माता है और हम इसके पुत्र हैं। वंदे मातरम् के रूप में हम उसी मां का वंदन करते हैं। इस्लाम भी अपने ढंग से आदर व्यक्त करता है। नमाज पढ़ने के लिए धरती चाहिए। धरती पर माथा टेका जाता है। हम सर्वधर्म समभाव में विश्वास करते हैं। अब वंदे मातरम् से संसद के सत्र की समाप्ति होती है।

‘आनंदमठ’ में जिस तरह से उल्लेख है और उस काल में जैसे वंदे मातरम् गाया गया था, वो अलग विधा है। उसमें जोश है, संघर्ष की कहानी है, ‘आनंदमठ’ संन्यासियों के विद्रोह की कहानी है। प्राय: सभी देशों और विशेषकर भारत जैसे देश में राजनीतिक परिवर्तन से पहले सांस्कृतिक पुनर्जागरण होता है। राजनीतिक परिवर्तन से पहले समाज की मानसिकता को तैयार करने के लिए साधु, संत, संन्यासी निकल पड़ते हैं। उससे परिस्थिति का थोड़ा सा परिचय मिलता है।

वंदे मातरम् मर्मस्पर्शी गीत है। जब हम भारत माता की चर्चा करते हैं तो इसमें धरती आती है, जो हमें धारण करती है। ये हमारा पालन-पोषण करती है। ‘पादस्पर्शम् क्षमस्व मे’- मैंने आप पर पैर रख दिया मां, मुझे क्षमा करना। धरती के बारे में ऐसी पवित्र भावना! जब हम धरती की वंदना करते हैं, इस धरती पर निवास करने वाली उसकी संतति की वंदना करते हैं और जो जीवन की पद्धति विकसित की है, उसकी रक्षा करने को भी एक तरह से अभिवचन देते हैं।

वंदे मातरम् मात्र गीत नहीं है, यह एक राष्ट्रीय संकल्प की उद्घोषणा है। इसे सत्ता के संघर्ष के कारण खंडित नहीं होने देना चाहिए। अगर आने वाली संतति को हम उसकी कल्पना और अपने सपनों का भारत नहीं दे सके तो भी हम वंदे मातरम् के रूप में ऐसा मंत्र दे जाएंगे, जिसके बल पर खड़े होकर वे सैकड़ों साल के संकल्प को साकार कर पाएंगे।

आज राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए जो समस्याएं पैदा हो रही हैं कहीं न कहीं उनके मूल में देश का दुर्भाग्यपूर्ण विभाजन है। वंदे मातरम् का गीत हमें प्रेरणा देता है।

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लोकप्रिय जननेता, प्रखर राष्ट्रभक्त, ओजस्वी वक्ता, असंख्य कार्यकर्ताओं के प्रेरणा-पुंज, पूर्व प्रधानमंत्री, ’भारत रत्न’ श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि! आपका शुचितापूर्ण राजनीतिक एवं सार्वजनिक जीवन लोकतंत्र हेतु सदैव आदर्श मानक रहेगा। - Yogi Adityanath (@myogiadityanath) 16 Aug 2022

कहा जाए तो वंदे मातरम् राष्ट्र की धड़कन है। यह धड़कन शाश्वत है। यह गीत हमारी आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरणा देता रहेगा। आपने इस गीत की शताब्दी का आयोजन किया, ऋषि बंकिमचंद्र को याद किया, मैं आपको बधाई देना चाहता हूं। देश के और भागों में भी इसी तरह का अनुष्ठान होना चाहिए। ये हृदय पर संस्कार डालने वाला कार्यक्रम है और संस्कार अगर सही होते हैं तो देश लक्ष्य को पाने में जरूर सफल होता है।

मुझे आज आदिवासी क्षेत्रों में जाने का मौका मिला। वहां पीने का पानी नहीं है। कुपोषण के कारण बच्चे मर रहे हैं, लेकिन हम अपनी सुरक्षा की उपेक्षा नहीं कर सकते। देश की सीमाओं की रक्षा सर्वोपरि है। पड़ोसियों को भ्रम है कि हिंदुस्तान लड़खड़ा रहा है।

प्रधानमंत्री ऐसे हैं जो निर्णय नहीं कर सकते। अगर हमने हमला कर दिया तो ये थोड़ी देर निर्णय नहीं कर पाएंगे कि हमले का विरोध करना है या नहीं। नरसिम्हा राव जी के बारे में मेरी ऐसी राय नहीं है। अगर सीमा पर रणभेरी बजेगी तो देश सारे मतभेद भूलकर पड़ोसी को ऐसा पाठ पढ़ाने के लिए तैयार होगा कि वो अगली बार हमला करने लायक न रहें। अभी कुछ लोग गए थे, पाकिस्तान लौटकर आए हैं।

कोई दुस्साहसपूर्ण कदम उठाया जा सकता है। यह वो समझ रहे हैं कि इससे देश का मनोबल टूट जाएगा। ये गलतफहमी है, ये हम होने नहीं देंगे। अब और कोहराम नहीं होगा और यह मानसिकता बनाने में वंदे मातरम् हमारा पथप्रदर्शक है।

बहुत-बहुत धन्यवाद!

(वंदे मातरम् महोत्सव समिति के विले पार्ले, मुंबई में आयोजित समारोह में दिया गया व्याख्यान)

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“हर इन्सान को चाहिए वह परिस्थितियों से लड़े, एक स्वप्न टूटे तो दूसरा गढ़े” बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी प्रखर राजनेता, कुशल वक्ता, हमारे प्रेरणा स्रोत, भारतीय जनता पार्टी के पितामह, पूर्व प्रधानमंत्री एवं भारत रत्न से सम्‍मानित परम श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि! वैश्‍विक पटल पर देश को सशक्‍त पहचान दिलाने में आपके अतुलनीय योगदान के लिए राष्ट्र सदैव कृतज्ञ रहेगा। #BJP4India #AtalBihariVajpayee - Keshav Prasad Maurya (@kpmaurya1) 16 Aug 2022

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