बारिश की विदाई में हावी हुआ प्रदूषण, दमा और सांस रोगियों के लिए बढ़ा खतरा

हानिकारक गैसों का स्तर बढऩे से वायु गुणवत्ता सूचकांक बिगड़ा सूक्ष्म कण भी बढ़े।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Thu, 17 Sep 2020 05:32 PM (IST) Updated:Thu, 17 Sep 2020 05:32 PM (IST)
बारिश की विदाई में हावी हुआ प्रदूषण, दमा और सांस रोगियों के लिए बढ़ा खतरा
बारिश की विदाई में हावी हुआ प्रदूषण, दमा और सांस रोगियों के लिए बढ़ा खतरा

कानपुर, जेएनएन। हवा में फिर प्रदूषण बढऩे लगा है। बारिश रुकते ही हानिकारक गैसों का स्तर बढऩे से वायु गुणवत्ता सूचकांक प्रभावित हुआ है। अति सूक्ष्म कणों की मात्रा भी बढ़ी है। यह स्थिति दमा और सांस के रोगियों के लिए हानिकारक हो सकती है। गले और सीने में भी संक्रमण की शिकायत होती है। कई बार एलर्जी से खांसी भी आने लगती है।

मानसून में बारिश के चलते पाॢटकुलेट मैटर पीएम 2.5 और पीएम 10, कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाईऑक्साइड समेत अन्य गैसों का घनत्व कम हो जाता है। इससे वायु गुणवत्ता सूचकांक बेहतर रहता है, जबकि गॢमयों में धूल के कण और वाहनों से निकलने वाला धुआं वायुमंडल को दूषित बना देता है। सर्दी में कोहरे की वजह से स्थिति और बदतर हो जाती है।

227 माइक्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर पहुंच गई पीएम 2.5 की मात्रा

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नेहरू नगर स्थित मॉनीटरिंग स्टेशन से बुधवार शाम जारी रिपोर्ट में पीएम 2.5 की मात्रा 153 माइक्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर रही। सोमवार को यह मात्रा 227 माइक्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर पहुंच गई थी। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी ने बताया कि वायु प्रदूषण हवा और बारिश पर निर्भर करता है। 

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