टिन कोड बताएगा व्यापारी केंद्र में पंजीकृत है या नहीं

By Edited By: Publish:Wed, 07 Dec 2011 05:01 PM (IST) Updated:Wed, 07 Dec 2011 05:01 PM (IST)
टिन कोड बताएगा व्यापारी केंद्र में पंजीकृत है या नहीं

कानपुर, संवाददाता : मूल्य संवर्धित कर (वैट) लागू होने के बाद व्यापारियों के टैक्स इनफार्मेशन नेटवर्क (टिन) नंबर वाणिज्यकर विभाग व महालेखाकार के लिए मुसीबत बन गए हैं। प्रदेश और केंद्र के व्यापारियों का एक ही टिन नंबर होने से दिक्कतें आने के बाद अब टिन नंबर के साथ कोड इस्तेमाल करने के आदेश जारी किए गए हैं।

वर्ष 2008 से पहले प्रदेश में पंजीकृत व्यापारियों और केंद्रीय बिक्री कर अधिनियम में पंजीकृत व्यापारियों का टिन अलग-अलग होता था। उनके दस्तावेजों को देखते ही वाणिज्यकर विभाग के अधिकारी व महालेखाकार व्यापारी के बारे में जान लेते थे। 2008 में वैट लागू होने के बाद दोनों पर एक ही टिन नंबर लागू हो गया। इससे व्यापारी प्रांतीय हैं या केंद्रीय यह स्थिति स्पष्ट नहीं हो पा रही थी। महालेखाकार ने इस पर आपत्ति दर्ज करा व्यवस्था में बदलाव के लिए कहा। इस पर वाणिज्यकर आयुक्त चंद्रभानु ने आदेश जारी कर कहा कि टिन नंबर में वर्तमान में 11 डिजिट के अलावा एस या सी बाद में जोड़ा जाएगा। इसमें एस प्रांतीय व सी केंद्रीय के बारे में बताएगा। व्यापारी केवल वैट में पंजीकृत है तो टिन नंबर के बाद एस लिखा जाएगा लेकिन केंद्रीय बिक्री कर अधिनियम में भी पंजीकृत होने पर टिन नंबर के बाद सी लिखना होगा। व्यापारी प्रांतीय पंजीयन लेने के बाद केंद्रीय पंजीयन के लिए आवेदन करता है तो इसके जारी होने पर टिन नंबर के साथ जुड़ा एस अल्फाबेट बदलकर सी हो जाएगा। व्यापारी द्वारा जारी की जाने वाली टैक्स इनवाइस, सेल इनवाइस, बिल व चालान में एस या सी सहित टिन नंबर अंकित करना जरूरी होगा। ऑनलाइन प्रक्रिया में टिन नंबर की 11 डिजिट ही इस्तेमाल होंगी। वाणिज्यकर आयुक्त ने इसके कड़ाई से अनुपालन का आदेश जारी कर कहा कि व्यापारी को जारी प्रांतीय व केंद्रीय प्रमाणपत्रों में एस या सी अल्फाबेट जोड़ने के लिए व्यास माड्यूल में परिवर्तन किये जा रहे हैं। परिवर्तन लागू होने के बाद व्यापारियों को एस या सी अल्फाबेट युक्त टिन नंबरों सहित प्रांतीय व केंद्रीय पंजीयन प्रमाणपत्र जारी किए जा सकेंगे। पूर्व में जारी पंजीयन प्रमाणपत्रों के स्थान पर संशोधित पंजीयन प्रमाणपत्र जारी हो सकेंगे। यह प्रति व्यापारी को नि:शुल्क दी जाएगी।

अगले वित्तीय वर्ष से लागू हो व्यवस्था

टैक्स बार एसोसिएशन के अध्यक्ष वीके निगम, महामंत्री संतोष गुप्ता व व्यापारी विनय द्विवेदी ने कहा कि संशोधित व्यवस्था अगले वित्तीय वर्ष से लागू होनी चाहिए, क्योंकि व्यापारी अभी बिल बुक छपवा चुके हैं। हाथ से लिखेंगे तो सचल दस्ते परेशान करेंगे।

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