दरूद-ए-पाक पढ़ने से बन जाते बिगड़े काम

जागरण संवाददाता, कानपुर : अगर कामयाबी चाहते हो तो पैगंबर मोहम्मद साहब पर कसरत से दरूद-ए-पाक भेजिए। ज

By JagranEdited By: Publish:Mon, 17 Jul 2017 01:02 AM (IST) Updated:Mon, 17 Jul 2017 01:02 AM (IST)
दरूद-ए-पाक पढ़ने से बन जाते बिगड़े काम
दरूद-ए-पाक पढ़ने से बन जाते बिगड़े काम

जागरण संवाददाता, कानपुर : अगर कामयाबी चाहते हो तो पैगंबर मोहम्मद साहब पर कसरत से दरूद-ए-पाक भेजिए। जो शख्स दिनभर में 313 बार दरूद शरीफ पढ़ता है तो उसकी गिनती कसरत से दरूद पढ़ने वालों में हो जाती है और बिगड़े हुए सारे काम बन जाते हैं।

शनिवार देर रात बज्मे नरी अयाजी द्वारा हलीम मुस्लिम इंटर कालेज में आयोजित अजमत-ए-औलिया कांफ्रेंस में ये बात मुरादाबाद से आए मौलाना मुफ्ती इमरान हनफी ने कही। उन्होंने कहा कि दरूद-ए-पाक ऐसा अमल है जिसका पढ़ने वाला चाहे कितना ही गरीब क्यों न हो, उसे भी रसूल के रोजे की जियारत का अवसर मिल जाता है। अल्लाह ने हमें नमाज पढ़ने, रोजा रखने, हज करने और जकात देने का हुक्म दिया है।

मौलाना मुजफ्फर हुसैन मिस्बाही ने कहा कि पूरी दुनिया में यौम-ए-दरूद पाक मनाया जाता है। इससे दुनिया में अमन कायम होगा। इसके पढ़ने से अल्लाह की बारगाह में जो दुआ मांगी जाती है, वह कुबूल हो जाती है। कारी गुलाम नबी हुसैनी ने कुरआन की तिलावत की। मौलाना कारी मिकाइल जियाई, कारी मोहम्मद इकबाल बेग कादरी ने नात शरीफ पेश की। अध्यक्षता मौलाना मीर सैयद हुसैन अहमद कादरी ने की। जलसे की सरपरस्ती शहरकाजी मौलाना आलम रजा खां नूरी ने की। मौलाना अब्दुर्रहीम गोंडवी, मौलाना कारी मतलूब बरकाती, मोहम्मद शाह आजम बरकाती थे।

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