इज्जत की बात, मुझे भी बना दो स्मार्ट

राहुल शुक्ल, कानपुर मैं कानपुर हूं.. आज मेरे चेहरे पर धूल और धुएं के बदनुमा धब्बे हैं, तो शरीर गंद

By Edited By: Publish:Fri, 28 Nov 2014 11:22 PM (IST) Updated:Fri, 28 Nov 2014 11:22 PM (IST)
इज्जत की बात, मुझे भी बना दो स्मार्ट

राहुल शुक्ल, कानपुर

मैं कानपुर हूं.. आज मेरे चेहरे पर धूल और धुएं के बदनुमा धब्बे हैं, तो शरीर गंदगी और प्रदूषण से बीमार। कभी मुझे गर्व से एशिया का मैनचेस्टर कहा जाता था, पर नागरिक सुविधाओं की बदहाली, अनियोजित विकास व उपेक्षा के चलते अब नाम बदनाम है। मैं जानता हूं यहां रहने वाले लोग सुगम यातायात के लिए तरसते हैं। इसकी वजह सड़कों पर अतिक्रमण व लापरवाह व्यवस्था के साथ सालों से चल रही खोदाई है, जिसके चलते जाम रोज गला घोंटता है। सीवर और पानी लाइनें बिछाने के नाम पर मेरा सीना बुरी तरह छलनी कर दिया गया है, तो कूड़े की दुर्गध चैन से सांस तक नहीं लेने देती। गर्मियों में बिजली नहीं मिलती। तमाम इलाकों में सीवर भरता है, तो दर्जनों इलाकों का हलक पानी न मिलने से सूखा रहता है। इस हाल में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने केंद्र से सूबे के जिन 18 शहरों में स्मार्ट सिटी बसाने का प्रस्ताव किया है, उनमें मुझे भी शामिल कर एक बार फिर पुरानी रंगत लौटाने की उम्मीद भर दी है।

गंगा तीरे बसा प्रदेश की औद्योगिक राजधानी कहलाने वाला मैं (कानपुर) सड़क, सीवेज, बिजली, पानी, यातायात, पार्किग, हरियाली के लिए जूझ रहा हूं, तो इसके लिए शासन-प्रशासन के साथ मेरे अपने भी कम जिम्मेदार नहीं हैं। ऐसा नहीं है कि व्यवस्था नहीं है, दरअसल जिम्मेदार अफसरों में परिवर्तन की इच्छाशक्ति और नियोजित विकास का जज्बा नहीं है। इसके चलते ही दुनिया के दस गंदे शहरों में मेरा नवां नंबर है और मुंह प्रदूषण की कालिख से काला है। किसी भी व्यवस्थित शहर में बढि़या ड्रेनेज सिस्टम, सीवर व पेयजल व्यवस्था, चौड़ी सड़कें व गतिवान ट्रैफिक होना चाहिए। लेकिन मेरे आंगन में सीवर-पानी की लाइनें डालने के लिए बीते सात साल से सड़कें खोदी जा रही है पर अभी लाइन को जोड़ नहीं गया है। टंकियां खड़ी हैं, पर पानी ही नहीं है। घर घर से कूड़ा लेकर डंपिंग ग्राउंड तक पहुंचाने का कंपनी से अनुबंध है, पर सफाई नहीं हो रही है। ट्रैफिक सुधार का ब्लू प्रिंट तैयार है लेकिन जमीन पर अराजकता का आलम है। ऐसे में जरूरत है इस सिस्टम को व्यवस्थित कर नियोजित विकास की, देखना फिर मेरी सूरत बदलने में देर नहीं लगेगी।

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स्मार्ट सिटी का स्वरूप

ड्रेनेज सिस्टम, ट्रैफिक सिस्टम, पेयजल व्यवस्था, चौड़ी सड़कें, सामुदायिक केंद्र, पार्क, पार्किग, बस स्टाप, अंडरपास, सेनेटरी लैंडफिल साइड की व्यवस्था।

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