यूपी के 50 जिलों में खुलेंगी 111 नई पारिवारिक अदालतें, अादेश जारी

दीवानी न्यायालय परिसर में नई कोर्ट के निर्माण होने तक निजी भवन में न्यायालय का संचालन शुरू कराया जाए।

By Edited By: Publish:Wed, 29 Aug 2018 08:37 AM (IST) Updated:Thu, 30 Aug 2018 07:41 AM (IST)
यूपी के 50 जिलों में खुलेंगी 111 नई पारिवारिक अदालतें, अादेश जारी
यूपी के 50 जिलों में खुलेंगी 111 नई पारिवारिक अदालतें, अादेश जारी

कानपुर [आलोक शर्मा]। प्रदेश में पारिवारिक विवादों की संख्या बढ़ती जा रही है। इसके चलते अदालतों में मामले भी बढ़ गए हैं। इसे देखते हुए प्रदेश में 111 नई पारिवारिक अदालतों के गठन को राज्य सरकार ने मंजूरी दी तो हाईकोर्ट ने भी जिला न्यायालयों को दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं। 50 जिलों में नई अदालतें खुलेंगी।

कानपुर, आगरा, अलीगढ़, इलाहाबाद, गोरखपुर, जौनपुर और सुलतानपुर में चार-चार नई पारिवारिक अदालतों का गठन होगा। सबसे ज्यादा लखनऊ में नौ और गाजियाबाद में पांच नई पारिवारिक अदालतें खुलेंगी। हाईकोर्ट के दिशा निर्देश के बाद कानुपर में नई पारिवारिक अदालतों के लिए स्थान चिह्नित करने का काम शुरू कर दिया गया है।

इन जिलों में एक से तीन नई अदालतेंः आजमगढ़, बहराइच, बलिया, बाराबंकी, बरेली, अकबरपुर, बस्ती, बिजनौर, बुलंदशहर, देवरिया, इटावा, फैजाबाद, फर्रुखाबाद, फतेहपुर, फीरोजाबाद, गौतमबुद्ध नगर, गोंडा, हरदोई, जालौन के उरई में, झांसी, कानपुर देहात, कुशीनगर के पडरौना में, लखीमपुर खीरी, महाराजगंज, मैनपुरी, मथुरा, मऊ, मेरठ, मुरादाबाद, मुजफ्फर नगर, पीलीभीत, प्रतापगढ़, रायबरेली, सहारनपुर, संतकबीर नगर, शाहजहांपुर, सिद्धार्थ नगर, सीतापुर, उन्नाव और बनारस में एक से तीन नई पारिवारिक अदालतों का गठन होगा।

नई कोर्ट बनाने के लिए भी जारी हुए दिशा निर्देशः  इलाहाबाद हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल दिनेश गुप्ता ने नई कोर्ट के निर्माण के लिए भी प्रदेश के सभी जिला एव सत्र न्यायाधीशों को दिशा निर्देश जारी किए हैं। इसमें स्पष्ट कहा कि न्यायालय जल्द से जल्द शुरू होने हैं। लिहाजा जहां स्थान की कमी हो, वहां पर बार एसोसिएशन अथवा प्रशासन की मदद लें। दीवानी न्यायालय परिसर में नई कोर्ट के निर्माण होने तक निजी भवन में न्यायालय का संचालन शुरू कराया जाए। हाईकोर्ट नई पारिवारिक अदालतों में काम की शुरुआत जल्द से जल्द चाहता है।

इन मामलों की होगी सुनवाई

पति-पत्नी के बीच विवाद

-घरेलू हिंसा से जुड़े मामले

-दहेज प्रताड़ना

-दहेज प्रतिषेध अधिनियम

-गुजारा भत्ता वाद

-तलाक के मामले

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