कन्नौज से अखिलेश के चुनाव लड़ने की अटकलें तेज, फतेहपुर से इस दिग्गज को मैदान में उतार सकती है सपा
Lok Sabha Election 2024 कानपुर-बुंदेलखंड की 10 लोकसभा सीटों पर लगभग सभी पार्टियों ने प्रत्याशी चयन के साथ ही अपने पत्ते खोल दिए हैं। जातीय और क्षेत्रीय संतुलन साधकर मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए रणनीति तैयार होने लगी है। इन सबके बीच फतेहपुर और कन्नौज ऐसी दो लोकसभा सीटें हैं जहां सपा ने अब तक अपने प्रत्याशी का चेहरा घोषित नहीं किया है।
रितेश द्विवेदी, कानपुर। (Lok Sabha Election 2024) कानपुर-बुंदेलखंड की 10 लोकसभा सीटों पर लगभग सभी पार्टियों ने प्रत्याशी चयन के साथ ही अपने पत्ते खोल दिए हैं। जातीय और क्षेत्रीय संतुलन साधकर मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए रणनीति तैयार होने लगी है। इन सबके बीच फतेहपुर और कन्नौज ऐसी दो लोकसभा सीटें हैं जहां सपा ने अब तक अपने प्रत्याशी का चेहरा घोषित नहीं किया है।
कन्नौज से सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के चुनाव लड़ने की चर्चा तेज है तो फतेहपुर से प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल को मैदान में उतारा जा सकता है। दोनों ही सीटों पर अभी प्रत्याशी की आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है।
नफा-नुकसान के आकलन में जुटे अखिलेश
बताया जा रहा है कि पार्टी नेतृत्व अपने शीर्ष नेताओं को चुनाव मैदान में उतारने से पहले नफा-नुकसान का आकलन करने में जुटा है। ऐसी स्थिति में सबसे असहज पार्टी के कार्यकर्ता महसूस कर रहे हैं और इसका असर चुनाव प्रचार पर पड़ रहा है।
कानपुर-बुंदेलखंड की 10 लोकसभा सीटों पर प्रत्याशी घोषित करने में भाजपा सबसे आगे रही। सपा और बसपा ने भी कुछ सीटों पर तो अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए लेकिन चर्चित सीटों में गिनी जाने वाली कन्नौज और फतेहपुर संसदीय सीट पर दोनों दल जातीय व सामाजिक समीकरण साधने में उलझ गए।
बसपा की चाल का इंतजार
अपने राष्ट्रीय और प्रदेश अध्यक्ष को चुनावी मैदान में उतारने से पहले सपा दूसरे दलों खासकर बसपा की चाल का इंतजार करती रही। बसपा ने भी टिकट घोषणा में खूब समय लगाया। अब आखिरी समय में बसपा ने अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं तो सपा नफा-नुकसान का आकलन करने में जुटी है।
दरअसल, फतेहपुर से बसपा ने कुर्मी बिरादरी के मनीष सचान को प्रत्याशी घोषित करके सपा के जातिगत वोट बैंक में बड़ी सेंध लगाने का प्रयास किया है। ऐसे में यहां से प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल मैदान में उतरते हैं तो कुर्मी वोटों के बिखराव का डर है।
इसी तरह, कन्नौज में पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव मैदान में उतरते हैं तो उनके सामने मौजूदा भाजपा सांसद सुब्रत पाठक तो होंगे ही बसपा प्रत्याशी इमरान बिन जफर भी होंगे। भाजपा का अपना वोट है और बसपा प्रत्याशी के पक्ष में मुस्लिम वोट खिसकता है तो इसका नुकसान सीधे सपा को होगा।
ऐसे में इन दोनों सीटों पर सपा की प्रतिष्ठा दांव पर रहेगी। हार-जीत का असर आगामी 2027 को होने वाले विधानसभा चुनाव पर भी पड़ेगा। ऐसे में सपा फूंक-फूंककर अपने कदम आगे बढ़ा रही है।
पार्टी के साथ बंधकर नहीं रहा मतदाता
फतेहपुर और कन्नौज सीट का मुकाबला हमेशा रोचक रहा है। फतेहपुर लोकसभा सीट से वीपी सिंह चुनाव जीतकर प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे थे, जबकि कन्नौज में सपा ने सात बार चुनाव जीता है। इन दोनों ही सीटों पर मतदाताओं ने सभी पार्टियों के प्रत्याशियों को लोकसभा तक पहुंचाया है।
फतेहपुर लोकसभा सीट में अब तक 16 लोकसभा चुनाव हुए हैं, जिसमें सबसे ज्यादा कांग्रेस पांच बार, चार बार भाजपा, दो बार जनता दल और दो बार बसपा के साथ ही सपा, लोकदल ने एक-एक बार और निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में गौरी शंकर ने एक बार जीत हासिल की है।
दोनों सीटों पर भाजपा का कब्जा
वहीं, कन्नौज लोकसभा सीट सपा का गढ़ रही है। यहां सात बार समाजवादी पार्टी ने रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की है। सपा मुखिया अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव निर्विरोध चुनाव जीत चुकी हैं। हालांकि मौजूदा समय में इन दोनों ही सीटों पर भाजपा का कब्जा है।
फतेहपुर से केंद्रीय राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति इस बार जीत की हैट्रिक लगाने का दावा कर रहीं हैं। कन्नौज से सुब्रत पाठक ताल ठोक रहे हैं। ऐसे में सपा इन दोनों ही सीटों पर जीत का समीकरण देखने बाद ही टिकट घोषणा करेगी।
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