प्रदीप ने परिवार को किया था फोन

जागरण संवाददाता, कानपुर : अच्छा अब फोन रखता हूं..कानवाई चलने वाली है। श्रीनगर पहुंचकर बात करत

By JagranEdited By: Publish:Sat, 16 Feb 2019 12:11 AM (IST) Updated:Sat, 16 Feb 2019 12:11 AM (IST)
प्रदीप ने परिवार को किया था फोन
प्रदीप ने परिवार को किया था फोन

जागरण संवाददाता, कानपुर : अच्छा अब फोन रखता हूं..कानवाई चलने वाली है। श्रीनगर पहुंचकर बात करता हूं, यह कहकर प्रदीप ने फोन काट दिया था। शहीद की पत्नी नीरज देवी ने बताया कि बच्चों का हालचाल जानने के लिए पति ने गुरुवार सुबह 8.15 बजे फोन किया था। क्या पता था कि यह उनके आखिरी शब्द होंगे। बारासिरोही वैभवी लॉन के पास गली में प्रदीप का घर है। नीरज देवी ने बताया कि पति छुंट्टी पर घर आए थे। 15 दिन पहले ड्यूटी पर गए, लेकिन वहां बर्फबारी चालू थी। 10 दिन की छुंट्टी बढ़ा दी गई। तब वह वापस लौट आए थे। 10 फरवरी को मौसेरा भाई नीरज उन्हें लखनऊ की ट्रेन में बैठाने गया था। वहां से वह जम्मू निकले। रास्ते में और फिर जम्मू पहुंचने पर भी उन्होंने बात की। हर दिन सुबह शाम फोन आता था। दोनों बेटियों से बात करते थे। थम नहीं रहे रिटायर्ड डिप्टी जेलर के आंसू

शहीद प्रदीप यादव के पिता अमर सिंह यादव चार साल पहले बरेली से डिप्टी जेलर के पद से रिटायर हुए थे। बड़े बेटे की मौत की खबर मिलने के बाद से उनकी आंखों से आंसू नहीं रुक रहे। मां सरोजनी भी बेहाल हैं। अमर सिंह का पैतृक घर कन्नौज के इंदरगढ़ के सुखसेनपुर अजान गांव में है, लेकिन वर्षो पहले बच्चों की पढ़ाई के लिए कल्याणपुर बारासिरोही सीएचसी के पास मकान बनवाया। प्रदीप, पत्नी नीरज, दोनों बेटियों सुप्रिया व मान्या के साथ वैभवी लॉन के पास एक घर में और शिक्षक भाई कुलदीप, अपनी पत्नी व बच्चों के साथ दूसरे घर में रहते हैं। छोड़ गए पापा, अब कौन देखेगा

11 साल की मासूम बेटी सुप्रिया पिता के शहीद होने की सूचना मिलते ही चिल्लाकर फफक पड़ी। हर रिश्तेदार से यही कहती थी, छोड़कर चले गए हमारे पापा, अब कौन देखेगा। बिंट्टी (मान्या) को कौन संभालेगा। ढाई साल की मान्या कभी बहन से लिपट जाती तो कभी मां की गोद में आकर उनके आंसू पोछने लगती। सुप्रिया ने कहा कि पापा का फोन तब आया जब वह स्कूल चली गई थी। वह आखिरी बार पापा की आवाज भी नहीं सुन पाई।

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