विश्व धरोहर सिंचाई संरचना के लिए चुना गया झाँसी का ढुकवाँ बाँध

फोटो ::: झाँसी का बढ़ा गौरव 0 सिंचाई और जल निकासी पर अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में लिया गया निर्

By JagranEdited By: Publish:Thu, 13 Jan 2022 01:00 AM (IST) Updated:Thu, 13 Jan 2022 01:00 AM (IST)
विश्व धरोहर सिंचाई संरचना के लिए चुना गया झाँसी का ढुकवाँ बाँध
विश्व धरोहर सिंचाई संरचना के लिए चुना गया झाँसी का ढुकवाँ बाँध

फोटो

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झाँसी का बढ़ा गौरव

0 सिंचाई और जल निकासी पर अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में लिया गया निर्णय

0 केन्द्रीय जल आयोग द्वारा 100 साल पुरानी जल संरचनाओं के भेजे गए थे प्रस्ताव

0 उत्तर प्रदेश से गया था एक ही प्रस्ताव

0 116 साल पहले हुआ था बाँध का निर्माण

झाँसी : ब्रिटिश शासनकाल में निर्मित सुकवाँ-ढुकवाँ बाँध ने 116 साल बाद झाँसी का गौरव बढ़ाया है। इस बाँध को 'विश्व धरोहर सिंचाई संरचना' का तमगा दिया गया है। इस बाँध का चयन 100 साल की आयु पूरी करने के बाद भी मजबूत संरचना और अद्भुत एंजिनियरिग के लिए किया गया है। पिछले दिनों सिंचाई और जल निकासी पर अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में दुनिया भर से विरासत सिंचाई संरचनाओं की खोज नामक एक कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया। इसके लिए 100 वर्ष पुरानी ऐसी संरचनाओं के प्रस्ताव माँगे गए थे, जो अब भी उद्देश्य पूर्ति कर रहे हैं। केन्द्रीय जल आयोग द्वारा उत्तर प्रदेश से प्रस्ताव माँगे गए। तत्कालीन ़िजलाधिकारी आन्द्रा वामसी ने बबीना स्थित सुकुवाँ-ढुकुवाँ बाँध का प्रस्ताव भेजा, जो प्रदेश में एकमात्र प्रस्ताव था। इण्टरनैशनल कमिटि इरिगेशन ऐण्ड ड्रेनेज ने तमाम अध्ययन करने के बाद ढुकुवाँ बाँध को विश्व धरोहर सिंचाई संरचना घोषित किया।

1906 में हुआ था बाँध का निर्माण

झाँसी से लगभग 35 किलोमीटर दूर बबीना में बुन्देलखण्ड की जीवनदायिनी बेतवा नदी पर ब्रिटिश हुकूमत ने 1906 में सुकुवाँ-ढुकुवाँ बाँध (वियर) का निर्माण कराया था। लगभग 1.8 किलोमीटर लम्बे इस वियर में इंस्पेक्शन गैलरी भी बनी है, जो अद्भुत एंजिनियरिग का बेमिसाल नमूना है। वियर के ऊपर से जब बाढ़ का लाखों क्यूसिक पानी निकलता है, तब इस सुरंग के माध्यम से वियर के इस पार से दूसरी तरफ आसानी से निकला जा सकता है।

3 जनपद के 2 लाख हेक्टेयर ़जमीन पर होती है सिंचाई, दतिया की बुझती है प्यास

सुकुवाँ-ढुकुवाँ बाँध की क्षमता 57 एमसीएम (मिलियन क्यूबिक मीटर) है। इस जलाशय से बेतवा मुख्य नहर का संचालन होता है, जिससे झाँसी, जालौन व हमीरपुर की लगभग 2 लाख हेक्टेयर ़जमीन की सिंचाई की जाती है। इसके साथ ही यहाँ से दतिया केनाल भी निकलती है। इससे दतिया स्थित अंगूरी बैराज को पानी दिया जाता है, जिससे पूरे दतिया शहर की प्यास बुझाई जाती है।

24 मेगावॉट बिजली का भी होता है निर्माण

सुकुवाँ-ढुकुवाँ बाँध पर वर्ष 2009 में टीएचडीसी (टिहरी हाइड्रो डिवेलपमेण्ट कॉर्पोरेशन लिमिटेड) को यूनिट स्थापित करने की अनुमति दी गई। वर्ष 2019 में यह परियोजना बनकर तैयार हो गई। 5 मई 2020 से परियोजना का व्यवसायिक संचालन प्रारम्भ किया गया। इस प्लाण्ट की क्षमता 24 मेगावॉट है।

देशी-विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करेगा प्राचीन जलाशय

116 साल पहले बना सुकुवाँ-ढुकुवाँ बाँध विश्व धरोहर सिंचाई संरचना के रूप में चुने जाने पर एकाएक सुर्खियों में आ गया है। अब तक यहाँ आने वाले अधिकांश देशी-विदेशी पर्यटक माताटीला या राजघाट बाँध जाते थे, लेकिन अब ढुकुवाँ बाँध सैलानियों को अधिक आकर्षित करेगा। अधिशासी अभियन्ता बेतवा प्रखण्ड उमेश कुमार ने बताया कि इससे पर्यटन के विकास में बड़ा परिवर्तन आ सकता है। यहाँ वन विभाग द्वारा थीम पार्क भी विकसित किया जा रहा है।

फोटो हाफ कॉलम

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इन्होंने कहा

'सिंचाई और जल निकासी पर अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में दुनिया भर से विरासत सिंचाई संरचनाओं की खोज नामक एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें 100 पुरानी ऐसी जल संरचनाओं के प्रस्ताव माँगे गए थे, जो अब भी उद्देश्य पूर्ति कर रही हैं। केन्द्रीय जल आयोग के माध्यम से सुकुवाँ-ढुकुवाँ का प्रस्ताव भेजा गया था, जिसे विश्व धरोहर सिंचाई संरचना के लिए चुना गया है। इससे पर्यटन क्षेत्र में बड़ा परिवर्तन आएगा। यह बाँध देशी-विदेशी सैलानियों को आकर्षित करेगा। झाँसी के लिए यह गौरव की बात है।'

0 माहेश्वरी प्रसाद

मुख्य अभियन्ता सिंचाई

फाइल : राजेश शर्मा

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