आपदा को बनाया अवसर और शिक्षा में गोल्ड मेडल अर्जित कर बेटियों ने रच दिया इतिहास
फोटो : 11 एसएचवाइ 13 झाँसी : पदक वितरण के बाद मुख्य अतिथि व कुलपति के साथ समूह तस्वीर खिंचाते विद्
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झाँसी : पदक वितरण के बाद मुख्य अतिथि व कुलपति के साथ समूह तस्वीर खिंचाते विद्यार्थी।
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- परीक्षा पद्धति में बदलाव के बाद भी छात्राओं के नहीं बदले इरादे
- चन्द दिनों में खुद को नई परीक्षा पद्धति के लिए किया था तैयार
- राजकीय महिला महाविद्यालय की तीन छात्राओं ने अर्जित किए तीनों गोल्ड मेडल
- वर्चुअल क्लास में ही तैयार किए परीक्षा को लेकर नोट्स
झाँसी : मंगलवार को बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय का 26वाँ दीक्षान्त समारोह कई मायनों में ऐतिहासिक रहा। विश्व पटल पर वैसे तो झाँसी की पहचान वीरांगना लक्ष्मीबाई के पराक्रम से है, लेकिन विश्वविद्यालय के 26वें दीक्षान्त समारोह में झाँसी के नाम एक और इतिहास बन गया। यह इतिहास बनाया है राजकीय महिला महाविद्यालय की छात्राओं ने। इस बार के दीक्षान्त समारोह में प्रदान किए गए तीनों कुलाधिपति स्वर्ण पदक बालिकाओं ने अर्जित किए हैं। छात्राओं की यह उपलब्धि इसलिए भी खास है कि उन्होंने आपदा के समय में भी अपने लक्ष्य को नहीं छोड़ा और शानदार प्रदर्शन करते हुए इतिहास रच दिया। स्नातक, परास्नातक और पीएचडी पाठ्यक्रम में छात्राओं का बोलबाला रहा।
बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के गाँधी सभागार में आयोजित दीक्षान्त समारोह में समस्त परीक्षाओं में सर्वाधिक प्रतिशत के लिए कुलाधिपति स्वर्ण पदक, समस्त परीक्षाओं में छात्राओं में सर्वाधिक प्राप्तांक प्रतिशत के लिए कुलाधिपति रजत पदक एवं एमए की सभी परीक्षा में सर्वाधिक प्राप्ताक प्रतिशत के लिए कुलाधिपति रजत पदक राजकीय महिला महाविद्यालय की आरती कुमारी पुत्री राम सेवक, रुपिका रायकवार पुत्री दिनेश कुमार एवं सबीहा पुत्री आबिद हुसैन ने प्राप्त किए। स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाली तीनों छात्राओं ने इतिहास विषय में एमए की उपाधि प्राप्त की है। इसके साथ ही एमकॉम में उदित बक्शी, एम-लिब में वन्दना कुमारी, एमएई में स्पर्श गुप्ता, एमबीए में शिवागी धुरिया, एमएड में रविन्द्र कुमार, एमएससी कृषि में पायल चौधरी, एमसीए में निदा सिद्धीकी, एमएडब्लू में स्वाति वर्मन, एलएलएम में निकिता सक्सेना को कुलाधिपति रजत पदक, बीएससी में रोशनी सिंह, बी-कॉम में आदित्य प्रताप, बीएससी कृषि में श्रेया रावत, एलएलबी में साक्षी चौधरी, बी-लिब में लोकेश कुमार, एमबीबीएस में सौम्या तिवारी, बी-टेक में शरद यादव, बीए में अर्चना देवी व अंकिता प्रजापति, बीए में अर्चना सिंह को द्वितीय स्थान, बीए में कीर्ति राजपूत को तृतीय स्थान, बीएड में विष्णु कुमार, बीबीए में साक्षी अग्रवाल, बीसीए में शिवानी गुप्ता, बीएससी ऑनर्स में सना परवीन, बीपीएड में शुभम मोदी, बीपीईएस में शैलजा बाजपेयी, बीएचएम में राधा साहू, बीएएलएलबी में अक्षय यादव व बी-फार्मा में जुल्फा नसीर को कुलाधिपति कास्य पदक प्रदान किया गया है।
ये बोलीं स्वर्ण पदक विजेता छात्राएं
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आरती कुमारी
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0 भट्टाभाँव में रहने वाली आरती कुमारी के पिता दिहाड़ी पर म़जदूरी करते हैं। लेकिन उन्होंने अपनी बेटी को शिक्षा दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। आरती ने 'जागरण' से बात करते हुए बताया कि उनके परिवार में वह पहली लड़की है, जिसने इतिहास विषय से परास्नातक (एमए) की पढ़ाई की और सर्वाधिक 92 प्रतिशत अंक लाकर गोल्ड मेडल प्राप्त किया। वह कहती हैं कि कोरोना के कारण क्लास बन्द हो जाने के बाद उन्होंने वर्चुअल क्लास करते हुए परीक्षा के 15 दिन पहले नोट्स तैयार किए थे। उन्हें बदली हुई परीक्षा प्रणाली की भी कोई समझ नहीं थी, लेकिन माता-पिता और गुरु के विश्वास को देखते हुए उन्होंने ठान लिया था कि उन्हें सबसे अच्छा प्रदर्शन करना है। उसी का नतीजा है जो वह आज गोल्ड मेडल प्राप्त कर सकीं।
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रुपिका रायकवार
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राजकीय महिला महाविद्यालय में एमए इतिहास की छात्रा रुपिका रायकवार पुत्री दिनेश कुमार ने भी अपने सभी विषय में 92 प्रतिशत अंक प्राप्त कर गोल्ड मेडल अर्जित किया है। सामान्य परिवार से आने वालीं रुपिका को विश्वास नहीं हुआ जब उन्होंने गोल्ड मेडलिस्ट की सूची में अपना नाम देखा। वह कहती हैं कि वर्चुअल माध्यम से पढ़ाई करते हुए उन्होंने शिक्षा को नये रूप में जाना और बदली हुई परीक्षा पद्धति के अनुरूप खुद को चन्द दिनों में ही ढाल लिया था। वह कहती हैं कि उनके शिक्षकों ने भी खूब साथ दिया और माता-पिता ने उनका हौसला कम नहीं होने दिया। यही वजह है कि वह नये तरीके से हुई परीक्षा में भी शानदार प्रदर्शन कर पाई।
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सबीहा
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दतिया गेट पर रहने वाले आबिद हुसैन की सबसे छोटी बेटी सबीहा ने कोरोना संक्रमण की आपदा को अवसर में बदलने का काम किया। भारत के इतिहास को जानने की ललक में ही उन्होने राजकीय महिला महाविद्यालय के एमए इतिहास पाठ्यक्रम में प्रवेश लिया था। वह बताती हैं कि जब कोरोना में कॉलिज बन्द हुआ तो वर्चुअल क्लास शुरू हो गई। शुरू में तो थोड़ा अटपटा लगा, लेकिन फिर ऐसे पढ़ाई करना अच्छा लगने लगा। वह कहती हैं कि उनकी जिन साथी छात्राओं के पास मोबाइल फोन नहीं थे, उन्हें भी वह नोट्स बनवाती थीं, जिससे उनका रिवीजन हो जाता था। कम समय में काफी अच्छी तैयारी हो गई थी, जिसके चलते वह अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकीं।
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झाँसी : मुख्य अतिथि डॉ. विजय कुमार सारस्वत को विश्वविद्यालय के छात्र गजेन्द्र सिंह द्वारा बनाई तस्वीर भेंट करते कुलपति।
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झाँसी : मुख्य द्वार पर रंगोली से उकेरी वीरांगना लक्ष्मीबाई की तस्वीर।
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0 मुख्य अतिथि को भेंट की उनकी तस्वीर, वीरांगना को रंगों से उकेरा
झाँसी : रंगोली और पेण्टिंग बनाने में महारथ रखने वाले फाइन आर्ट के छात्र गजेन्द्र सिंह ने दीक्षान्त समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए डॉ. विजय कुमार सारस्वत को उनकी तस्वीर बनाकर मंच पर भेंट की। छात्र की कला के कायल हुए डॉ. सारस्वत ने छात्र के कला की जमकर सराहना की। इसके अलावा सभागार के मुख्य द्वार पर ही अन्य छात्रा नन्दनी कुशवाहा ने रंगोली के माध्यम से वीरांगना लक्ष्मीबाई की जीवन्त तस्वीर उकेर दी। इन सभी का नेतृत्व विभाग की प्रवक्ता डॉ. स्वेता पाण्डेय कर रही थंी।
तकनीकी शिक्षा को हो मूल्यांकन
बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के 26 वें दीक्षान्त समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होने आए नीति आयोग के सदस्य डॉ. विजय कुमार सारस्वत ने यहाँ जागरण से बात करते हुए बर्ल्ड बैंक और केन्द्र सरकार के द्वारा देश में तकनीकी शिक्षा में गुणवत्ता लाने के लिए चलाए जा रहे टेक्यूप-3 प्रोजेक्ट के बारे में बात करते हुए कहा कि देश में जो भी ऐसे प्रोजेक्ट चल रहे हैं उसकी समय-समय पर समीक्षा होनी चाहिए। इसमें यह भी देखना होगा कि जो प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है, उससे तकनीकी शिक्षा में किस स्तर पर सुधार आया है। ऐसा होने से जहाँ तकनीकी शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ेगी साथ ही युवाओं का रुझान भी बढ़ेगा।
मौलिक अधिकार तय करते हैं देश का आधार
विश्वविद्यालय के दीक्षान्त समारोह के बाद जागरण से की एक्सक्लूसिव बातचीत में नीति आयोग के सदस्य, वैज्ञानिक, पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित और जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. विजय कुमार सारस्वत ने एक सवाल के जवाब में कहा कि शिक्षण संस्थान में पढ़कर छात्र देश को आगे ले जाने का काम करते हैं। नई सोच के साथ देश के विकास में योगदान देते हैं। जेएनयू पिछले कुछ वर्ष में राजनीति का केन्द्र रहा है, उस पर उन्होंने कहा कि सभी को यह मौलिक अधिकार है कि वह अपनी बात और विरोध जता सके। लेकिन, कुछ लोगों का विचार देश विरोधी हो सकता है और कुछ युवाओं की सोच देश को आगे ले जा सकती है। यहाँ केवल सोच की बात है। शिक्षण संस्थान को राजनीति का केन्द्र नहीं बनना चाहिए।
फाइल : वसीम शेख
समय : 09 : 30
11 जनवरी 2022