पिता के पार्थिव शरीर को श्मशान ले गई बेटियाँ, अन्तिम संस्कार किया

फोटो : 23 एसएचवाइ 5 ::: झाँसी : पिता के शव को कन्धा देने के बाद श्मशान घाट में अन्तिम संस्कार कर

By JagranEdited By: Publish:Sat, 24 Apr 2021 01:00 AM (IST) Updated:Sat, 24 Apr 2021 01:00 AM (IST)
पिता के पार्थिव शरीर को श्मशान ले गई बेटियाँ, अन्तिम संस्कार किया
पिता के पार्थिव शरीर को श्मशान ले गई बेटियाँ, अन्तिम संस्कार किया

फोटो : 23 एसएचवाइ 5

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झाँसी : पिता के शव को कन्धा देने के बाद श्मशान घाट में अन्तिम संस्कार करतीं बेटियाँ। -जागरण

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0 हृदय गति से हो गई थी पिता की मौत

0 कोरोना के भय से शवयात्रा में शामिल नहीं हुए लोग

0 शादी-शुदा चारों बेटियों ने ही किया अन्तिम संस्कार

झाँसी : कोरोना महामारी की दहशत ने अगर सामाजिक ताने-बाने को छिन्न-भिन्न किया है तो रिश्तों की नई परिभाषा भी गढ़ दी है। विपत्ति के इस काल में कहीं 'अपनों' ने परायों सरीखा व्यवहार किया है तो कहीं दूरियों की दीवार दरकाकर पराए भी साथ खड़े हो गए। उदाहरण कई देखने को मिले पर, गुरुवार को डड़ियापुरा मोहल्ले में रिश्तों के दोहरे चरित्र का अद्भुत ऩजारा देखने को मिला। पिता की शवयात्रा में पुत्र शामिल नहीं हुआ तो 4 बेटियाँ शवयात्रा को कन्धे पर लेकर श्मशान पहुँची और अन्तिम संस्कार किया।

गल्ला मण्डी रोड स्थित डड़ियापुरा मोहल्ले में रहने वाले लगभग 75 वर्षीय गोरेलाल साहू किराना की छोटी-सी दुकान चलाकर पत्‍‌नी के साथ गु़जर-बसर करते थे। मकान के ऊपरी हिस्से में उनके पुत्र अपने परिवार के साथ रहते हैं। उनके चार शादी-शुदा बेटियाँ हैं, जो झाँसी में ही अपने परिवार के साथ रहती हैं। गत दिवस हृदयगति रुकने से उनका निधन हो गया। इसकी जानकारी मिलने पर चारों बेटियाँ आ गई। अन्तिम यात्रा की तैयारी शुरू हो गई। चूँकि इस समय कोरोना महामारी की दहशत फैली है, इसलिए लोग अन्तिम यात्रा में शामिल होने से परहेज कर रहे हैं। यहाँ भी ऐसा ही हुआ। आस-पड़ोस के लोग सम्वेदनाएं व्यक्त करने आ तो गए, लेकिन शव को कन्धा देने के लिए आगे आने से कतराते रहे। यह देख चारों बेटियाँ शोभा, संगीता, लेखनी व स्वाति ने रूढ़ीवादी परम्पराओं को तिलांजलि देते हुए पिता की अर्थी को कन्धों पर थाम लिया। कन्धे पर पिता की मृत देह ले जाती बेटियों ने हर किसी को भावुक कर दिया। श्याम चौपड़ा मुक्तिधाम तक कन्धों पर अपने पिता की अर्थी लेकर गई चारों बेटियों ने यहाँ रीति-रिवा़ज से अन्तिम संस्कार भी किया। बताया गया कि गोरे लाल साहू का पुत्र व उनका परिवार अन्तिम यात्रा में शामिल नहीं हुआ। उधर, पुत्र जगदीश साहू ने इन आरोपों को गलत ठहराया। उन्होंने बताया कि वह व उनका परिवार अन्तिम संस्कार के लिए गए थे, लेकिन बहनों ने पिता के शव को हाथ नहीं लगाने दिया।

फाइल : राजेश शर्मा

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