सोने की उछाल से सर्राफा कारोबार ध्वस्त

फोटो :: - आभूषणों की बिक्री पर लगा ब्रेक, खाली हाथ घर जा रहे सुनार - पुराना सर्राफा बन्द होने से

By JagranEdited By: Publish:Fri, 07 Aug 2020 01:00 AM (IST) Updated:Fri, 07 Aug 2020 01:00 AM (IST)
सोने की उछाल से सर्राफा कारोबार ध्वस्त
सोने की उछाल से सर्राफा कारोबार ध्वस्त

फोटो ::

- आभूषणों की बिक्री पर लगा ब्रेक, खाली हाथ घर जा रहे सुनार

- पुराना सर्राफा बन्द होने से सीपरी का सर्राफा व्यापार ठप

- अनिश्चित होती जा रही ़कीमतों के कारण नये ऑर्डर लेने से बच रहे व्यवसायी

झाँसी : कोरोना संकट व अमेरिका-चीन के तल्ख रिश्तों का असर सर्राफा बा़जार पर साफ दिख रहा है। प्रतिदिन उछाल मार रहे सोने-चाँदी के भाव से सुनार की दुकानों पर सन्नाटा पसरा हुआ है। जो लोग सर्राफा बा़जार आ भी रहे हैं, वे सोना बेचने आ रहे हैं। आलम यह है कि कई-कई दिन तक सुनारों की ग्राहकी तक नहीं हो रही।

गुरूवार को सोने 56 ह़जारी हो गया तो चाँदी भी इसके बराबर ही हो गयी है। यह अभी तक यह सोने की रिकॉर्ड ़कीमत है। सर्राफा व्यवसायी बताते हैं कि कोरोना से बढ़ी अनिश्चितता व अमेरिका-चीन सम्बन्धों में आयी दरार के चलते वैश्रि्वक बा़जारों में सोने के दाम बढ़ गए। वहीं, कोरोना के चलते लगी पाबन्दियों के कारण लोगों की आर्थिक स्थिति ख़्ाराब हो गयी है। किसी की नौकरी चली गयी है तो किसी का व्यापार चौपट हो गया है। इसका सीधा असर सर्राफा व्यापारियों पर पड़ा है। स्थिति यह है कि सर्राफा कारोबारी घर से पैसा लाकर ग्राहकों का सोना ख़्ारीद रहे हैं, जबकि जेवर ख़्ारीदने कोई नहीं आ रहा।

पुराना सर्राफा बन्द होने से सीपरी का कारोबार भी ठप

कोतवाली थाना क्षेत्र में आने वाले सर्राफा बा़जार को बफर ़जोन में होने के चलते बन्द किया गया है। वहीं, सीपरी बा़जार की सर्राफा मार्केट खुली है। सीपरी के सुनारों के सामने सबसे बड़ी समस्या यह खड़ी हो गयी है कि उनके पास कोई ऑर्डर आता भी है तो न चाहते हुए भी उन्हें ग्राहक को वापस करना पड़ रहा है। इसके पीछे की वजह शहर का सर्राफा बन्द होना है। जेवरात की कटाई, छिलाई, मीना और पॉलिश का काम पुराने सर्राफा बा़जार में ही किया जाता है, जो पिछले एक माह से बन्द है। ऐसे में सीपरी के सुनारों का काम भी ठप हो चुका है।

शादी समारोह का दायरा सिमटा

कोरोना काल के चलते प्रशासन द्वारा चन्द लोगों को जोड़कर वैवाहिक कार्य करने की अनुमति दी गई है। बावजूद इसके लोगों की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं रही कि सोने-चाँदी की व्यापक स्तर पर ख़्ारीद की जा सके।

सिण्डिकेट निर्धारित कर रहे भाव

45 वर्षो से सर्राफा व्यवसाय से जुड़े सुनार ने बताया कि लोगों में आम धारणा थी कि सोने के भाव शादियों के दिनों में बढ़ जाया करते हैं, अब ऐसा नहीं है। नाम उजागर न करने की शर्त पर उन्होंने बताया कि सोने-चाँदी के भाव सरकार नहीं सिण्डिकेट तय कर रहा है। इस सिण्डिकेट में सट्टा बा़जार से जुड़े लोग शामिल होते हैं, जो हर माह की 5 तारीख को सट्टे का ऑडिट करते हैं। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि सोने के भाव हमेशा 5 तारीख के बाद ही बढ़ाये घटाए जाते हैं। यह सिण्डिकेट अपनी सुविधानुसार सोने-चाँदी के भाव में बदलाव करता रहता है।

- ऑर्डर लेने से कतरा रहे सर्राफ

सीपरी बा़जार के सर्राफा व्यापारी बताते हैं कि अब वे जेवर के ऑर्डर लेने से बच रहे हैं। इसकी मुख्य वजह यह है कि सोने-चाँदी के भाव कब गिरेंगे और कब उठेंगे, यह कोई नहीं जानता। वर्तमान समय में तेजी से बढ़ रही ़कीमतों को देखते हुए इस बात का खतरा बना रहता है कि पता नहीं एक घण्टे बाद सोने की कीमत कितनी बढ़ जाए और उन्हें नु़कसान झेलना पड़े।

फोटो :: हाफ कॉलम

यह कहते हैं सर्राफा कारोबारी

0 सीपरी बा़जार में सर्राफा की दुकान चलाने वाले सर्राफ शशिकान्त अग्रवाल का कहना है कि कोरोना ने उनकी दुकानदारी पहले ही चौपट कर रखी थी, अब सोने-चाँदी के भाव बढ़ने से दोहरी मार पड़ रही है। वह कहते हैं कि पहले जितनी दुकानदारी थी, उसकी केवल 10 प्रतिशत ही बची है।

0 सीपरी बा़जार में ही सर्राफा व्यवसाय करने वाले घनश्याम तिवारी बताते हैं कि वह 1984 से यहाँ दुकान चला रहे हैं। ऐसी मन्दी और सोने की ़कीमत कभी नहीं देखी। कोरोना काल में लोगों के पास पैसा नहीं रहा, जिसके चलते सुनार की दुकान पर आने से लोग दूरी बनाए हुए हैं।

वसीम शेख

समय 06:47

06 अगस्त 2020

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