चाय के स्थान पर आयुर्वेदिक काढ़ा बढ़ाएगा प्रतिरोधक क्षमता
कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों से व्यवस्थाएं चरमरा गई हैं। संक्रमण की यह दूसरी लहर हर आयु पर भारी पड़ रही है।
जागरण संवाददाता, जौनपुर: कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों से व्यवस्थाएं चरमरा गई हैं। संक्रमण की यह दूसरी लहर हर आयु पर भारी पड़ रही है। कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों को यह संक्रमण आसानी से अपनी गिरफ्त में ले रहा है। ऐसे में प्राचीन आयुर्वेदिक पद्धति अपना कर काफी हद तक इस महामारी से बचा जा सकता है। डीन फैकेल्टी आफ आयुर्वेद, लखनऊ विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त हो चुके डा. शिवकुमार मिश्र कहते हैं कि अभीतक इस संक्रमण से बचने की कोई सटीक दवा नहीं बनी है, लेकिन प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करके काफी हद तक इससे बचाव किया जा सकता है।
रामबाण है तुलसी व कालीमिर्च का सेवन
मुंगराबादशाहपुर के कमालपुर निवासी डा. मिश्र ने कहा कि प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर ही इस महामारी से जंग लड़ा जा सकता है। उन्होंने कहा कि बीमारी फैलने से रोकने के लिए आइसोलेट करना जरूरी है। साथ ही उन्होंने मांसाहारी भोजन का त्याग शाकाहारी भोजन अपनाने की बात कही। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद में कुछ उपाय है जो हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा देते हैं। रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होगी तो कोरोना से नुकसान कम होगा। कुछ आयुर्वेदिक औषधियां हर घरों में मौजूद होती हैं। जैसे तुलसी, कालीमिर्च अदरक, दालचीनी। इनका प्रयोग चाय के स्थान पर किया जा सकता है। इन प्रयोग से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी। गला खराब होने पर 10 तुलसी की पत्ती, 25 ग्राम अदरक, तीन लौंग, तीन काली मिर्च शाम को चार कप पानी में भिगो दें। सुबह उसे उबालें। जब एक कप बचे तो उसे सेवन करें। इसके अलावा अश्वगंधा चूर्ण और आंवला चूर्ण का सुबह शाम नियमित सेवन से भी इस महामारी से जंग जीती जा सकती है। डा. मिश्र ने कहा कि कोरोना वायरस हवा में नहीं होता है। जब तक हम किसी कोरोना संक्रमित के संपर्क में नहीं आएंगे तो यह हमारे शरीर में प्रवेश नहीं कर सकता। साथ ही यह म्यूकस मेम्बरेन,आंख,नाक,मुंह,हाथ के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है। सरकार की ओर से जारी दिशा-निर्देशों का पालन करने से काफी हद तक स्थिति में सुधार लाया जा सकता है।