इस छोटी काशी में आस्था का है संगम

जागरण संवाददाता जौनपुर यह छोटी काशी है .। यहां आस्था का अटूट संगम है। जनपद में कई

By JagranEdited By: Publish:Wed, 10 Mar 2021 05:54 PM (IST) Updated:Wed, 10 Mar 2021 05:54 PM (IST)
इस छोटी काशी में आस्था का है संगम
इस छोटी काशी में आस्था का है संगम

जागरण संवाददाता, जौनपुर: यह छोटी काशी है .। यहां आस्था का अटूट संगम है। जनपद में कई पौराणिक महत्व के शिव मंदिर हैं जहां महाशिवरात्रि व श्रावण मास में भक्तों का रेला उमड़ता है। जलाभिषेक के लिए कांवरियों का जत्था सुदूर जनपदों से आता है। काशी और प्रयाग से जल भरकर शिव भक्त पैदल चलकर यहां आते हैं।

जनपद के हर कोने में ऐतिहासिक शिवालय है जिनकी अलौकिक पहचान है। ये प्राचीनतम देव स्थल हैं। इनकी स्थापना के पीछे कुछ मान्यताएं तो कई कहानियां भी प्रचलित हैं। कंधी घाट का करशूलनाथ मंदिर, दियांवा महादेव, त्रिलोचन महादेव, धर्मापुर शिव मंदिर, बेलवाई महादेव, अ‌र्द्ध नारीश्वर महादेव, साईनाथ मंदिर, पांचों शिवाला, जागेश्वरनाथ मंदिर आदि शिव जी की आस्था के प्रतीक हैं।

कभी खंडहर और कंदराओं में छिपे इन शिवलिगों को यदा-कदा पूजा जाता था। 300 सालों में इनके प्रति लोगों की निरंतर आस्था बढ़ती गई और ये स्थान रमणीक दिखने लगे। गौरीशंकर धाम की बात करें तो किवदंतियों के अनुसार एक चरवाहा अपनी गाय खोजते झाड़ियों में पहुंचा। यहां गाय के थन से दूध अबाध गति से गिर रहा था और नीचे एक पत्थर था। जिसे गौर से देखा गया तो वह शिवलिग था। फिर यहीं से होता है गौरीशंकर धाम का उदय।

त्रिलोचन महादेव के बारे में यह प्रचलित है कि सात पाताल का भेदन कर यहां शिव जी प्रकट हुए थे। इसका प्रचलन बढ़ता गया और यह स्थान लोकप्रिय होता गया।

धर्मापुर मंदिर की विशेषता ही अलग है। यह अपनी सुंदरता के लिए चर्चित है। इसका निर्माण जौनपुर के पूर्व राजा श्रीकृष्ण दत्त दूबे ने स्वर्ण मंदिर की तर्ज पर कराया है। इसकी शक्ल भी काफी कुछ उससे मिलती जुलती है। साईनाथ मंदिर के पीछे प्रचलित कहावत है कि 1839 में गौराबादशाहपुर के व्यापारी सत्य नारायण कसौधन ने स्वप्न देखा कि अमुक स्थान पर शिवलिग है। वहां मंदिर का निर्माण कराओ तो जीवन सुखी हो जाएगा। सुबह कसौधन स्वप्न में देखे गए स्थान पर पहुंचता है तो उसकी आंखें फटी की फटी रह जाती हैं। स्वप्न की बात सच निकलती है। फिर वहां शुरू होता है मंदिर का निर्माण।

इसी इलाके के चुरावनपुर में अ‌र्द्ध नारीश्वर महादेव का मंदिर है। ऐसी दूसरी मूर्ति आज तक सिर्फ मथुरा में ही पाए जाने की बात लोग बताते हैं। खासियत है कि यह मूर्ति निरंतर बड़ी होती जा रही है।

पौराणिक महत्व के शिवालय

शिवालय-स्थान

करशूलनाथ-कंधी घाट

दियावा महादेव-दियांवा बरसठी

साईनाथ मंदिर-शंभूगंज

त्रिलोचन महादेव-त्रिलोचन बाजार

शिव मंदिर बिलवाई-बिलवाई बाजार

गौरीशंकर धाम-सुजानगंज

शिव मंदिर-धर्मापुर

पांचों शिवाला-पुरानी बाजार

जागेश्वरनाथ-उर्दू बाजार

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