होली पर जल संरक्षण का लिया संकल्प, तालाब खोदाई में चले फावड़े

जल संरक्षण की दिशा में वैसे तो 15 फरवरी से जिला प्रशासन व दैनिक जागरण की तरफ से अभियान चल रहा है लेकिन त्योहार से एक दिन पूर्व लोगों ने इसके लिए संकल्प लिया। जिसका आलम यह है कि तालाब खोदाई को लेकर फावड़े चले। यह मुहिम 21 ब्लाकों के 3

By JagranEdited By: Publish:Mon, 09 Mar 2020 05:20 PM (IST) Updated:Mon, 09 Mar 2020 05:20 PM (IST)
होली पर जल संरक्षण का लिया संकल्प, तालाब खोदाई में चले फावड़े
होली पर जल संरक्षण का लिया संकल्प, तालाब खोदाई में चले फावड़े

जागरण संवाददाता, जौनपुर : जल संरक्षण की दिशा में वैसे तो 15 फरवरी से जिला प्रशासन व दैनिक जागरण की तरफ से अभियान चल रहा है लेकिन त्योहार से एक दिन पूर्व भी लोगों ने इसके लिए संकल्प लिया। जिसका आलम यह है कि तालाब खोदाई को लेकर जमकर फावड़े चले। यह मुहिम 21 ब्लाकों के 387 गांवों में चल रही है। आलम यह है कि कहीं 50 फीसद तो कहीं 70 फीसद कार्य पूर्ण कर लिये गये हैं। सोमवार को भी करीब चार हजार मनरेगा मजदूरों ने तालाब खोदाई का कार्य किया।

करंजाकला ब्लाक के पदुमपुर गांव में तालाब की खोदाई शुरू हुई। 60 फीसद खोदाई का कार्य पूरा कर लिया गया तो 40 फीसद फिनिसिग का कार्य बाकी है। इसके बाद पानी आते ही जल संरक्षण की दिशा में ठोस कार्य होना है। मछलीशहर के करौदुआ, लमहन गांव में तालाब की खोदाई का कार्य जारी है।

मुंगराबादशाहपुर क्षेत्र में 11 तालाब मनरेगा मजदूरों के द्वारा खोदे जा रहे थे। जिनमें तीन तालाबों का कार्य पूर्ण हो चुका है। पूर्ण हो चुके तालाबों में अहमदपुर कैथौली, कोदहू और मादरडीह का का तालाब है। क्षेत्र में पांच तालाब जेसीबी से खोदे जा रहे हैं। जिन पर लगभग 20 फीसद कार्य हुआ है। सरपतहां के अरसिया गांव में हजारी सेठ के घर के बगल स्थित खिरिया तालाब की खोदाई गत 15 फरवरी से चल रही है। ग्राम प्रधान सरोज मिश्रा के मुताबिक अभी तक 600 से ऊपर मजदूर लग चुके हैं। तालाब में चारों तरफ बंधों का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है। इसके बाद अब तालाब की गहराई बढ़ाई जाएगी। इस तालाब के जीर्णोद्धार के बाद जल संचयन बेहतर ढंग से हो सकेगा। जिससे भूगर्भ का जल रिचार्ज होने में मदद मिलेगी। खोदाई कार्य पूर्ण हो जाने के बाद इसके सुंदरीकरण का भी प्लान है। जल संरक्षण समय की महती आवश्यकता

समाज के धारणीय विकास के लिए प्रकृति में जल, जंगल (पेड़-पौधे) तथा जमीन (मृदा, पोषण एवं संरक्षण) सबसे महत्वपूर्ण अवयव हैं। जिसमें जंगल तथा जमीन के साथ विकास की संभावना तथा उपलब्धता वर्ष भर रहती है कितु जल हमें वर्षा से प्राप्त होता है तथा वर्षा की उपलब्धता साल के तीन-चार महीनों में ही रहती है। जल की आवश्यकता हमें वर्ष भर रहती है। जल एक ऐसा महत्वपूर्ण घटक है कि जिसका उत्पादन हम नहीं करते हैं यदि करते हैं तो वह आर्थिक ²ष्टि से उपयोगी साबित नहीं होगा। ऐसी परिस्थितियों में हमारे पास एक ही उपाय है कि हम वर्षा जल का संरक्षण करके सभी लोगों तथा सभी कार्यों के लिए जल की उपलब्धता सुनिश्चित करें। यह एक ऐसा कार्य है जो अकेले नहीं किया जा सकता। यह हम सबकी सामाजिक जिम्मेदारी है। जल के प्रति हम सबको अपनी दृष्टि तथा दृष्टिकोण दोनों को ठीक रखने की आवश्यकता है। हमारा ²ष्टिकोण सामाजिक जिम्मेदारियों को उचित ढंग से निभाने पर सही होगा। हमारे जनपद में लगभग सभी जगहों पर वर्षा जल संरक्षण जमीन की सतह पर तथा जमीन के अंदर किया जा सकता है। जमीन के अंदर वर्षा जल जमीन की सतह से जमीन की परतों से चलकर, जमीन के अंदर संरक्षित होता है। जिसे हम लोग भूजल कहते हैं। यह जल हमारे लिए तथा हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए बिना जमीन की सतह पर स्थान लिए संरक्षित होता है। सबसे महत्वपूर्ण है कि हम इसका उपयोग अपनी आवश्यकतानुसार कहीं भी तथा कभी भी कर सकते हैं। जमीन की सतह पर जन संरक्षण न होने से भूजल का स्तर गिरता जा रहा है। यह हमारे लिए तथा हमारे आने वाली पीढ़ी के लिए बहुत ही चिता का विषय है। जमीन की सतह पर जल संरक्षण के लिए एक ही नारा पर्याप्त है कि खेत का पानी खेत में तथा गांव का पानी गांव में। इसके लिए हमें तालाबों का पुनरुद्धार तथा नये तालाबों का निर्माण करना चाहिए।

-डा.विनोद कुमार त्रिपाठी, असिस्टेंट प्रोफेसर, कृषि अभियांत्रिकी विभाग कृषि विज्ञान संस्थान, बीएचयू।

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