सदस्य पद तो बहाना है, अध्यक्ष की कुर्सी पर निशाना है

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के तहत जिले में हो रहे जिला पंचायत सदस्य पद के चुनाव में सदस्य का पद कम जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी अधिक मायने रख रही है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 11 Apr 2021 10:22 PM (IST) Updated:Sun, 11 Apr 2021 10:22 PM (IST)
सदस्य पद तो बहाना है, अध्यक्ष की कुर्सी पर निशाना है
सदस्य पद तो बहाना है, अध्यक्ष की कुर्सी पर निशाना है

जागरण संवाददाता, जौनपुर: त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के तहत जिले में हो रहे जिला पंचायत सदस्य पद के चुनाव में सदस्य का पद कम, जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी अधिक मायने रख रही है। इसे हथियाने के लिए जोड़-तोड़ तेज हो गई है। अध्यक्ष पद महिला के लिए आरक्षित होने के बाद चुनाव में कई दिग्गजों ने अपनी प्रतिष्ठा दांव पर लगा दी है। किसी ने पत्नी तो कोई अपनी बहू को मैदान में उतार दिया है। ऐसे में मिनी विधानसभा चुनाव माने जा रहे जिला पंचायत सदस्य पद का चुनाव जिले में काफी रोचक हो गया है।

यहां जिला पंचायत के कुल 83 वार्डों में 1272 उम्मीदवार मैदान में हैं। इनमें अध्यक्ष पद महिला के लिए आरक्षित होने के कारण दर्जन भर से अधिक सीटों पर दिग्गज राजनेताओं के घर की महिलाओं के उतरने से वहां का चुनाव हाईप्रोफाइल हो गया है। इस चुनाव में पूर्व मंत्री पारस नाथ यादव के छोटे पुत्र वेद यादव की पत्नी लंदन रिटर्न उर्वशी सिंह यादव, पूर्व मिस इंडिया 2015 की रनर अप व अभिनेत्री दीक्षा सिंह, पूर्व सांसद धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला रेड्डी, पूर्व सांसद हरिवंश सिंह की बहू नीलम सिंह, निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष राजबहादुर यादव की पत्नी राजकुमारी यादव, पूर्व सांसद अर्जुन यादव की बहू अनीता यादव, शाहगंज नगरपालिका के पूर्व अध्यक्ष भाजपा नेता ओम प्रकाश जायसवाल की पत्नी माधुरी जायसवाल, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती कमला सिंह, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष कलावती यादव की बहू, राज्य सूचना आयुक्त सुबास चंद्र सिंह की बहू शालिनी सिंह, भाजपा नेता प्रबुद्ध दुबे की पत्नी बिदू दुबे के सदस्य पद के लिए मैदान में उतरने से अध्यक्ष पद के लिए दिलचस्प मुकाबले के आसार नजर आने लगे हैं।

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की व्यवस्था लागू होने के बाद जिले की प्रथम नागरिक वाले इस प्रतिष्ठित पद पर पहली बार 1995 में भाजपा की श्रीमती कमला सिंह का कब्जा था। इसके बाद से कभी बसपा तो कभी सपा से जुड़े उम्मीदवार ही चुनाव जीतते रहे। इस बार मोदी-योगी युग में केंद्र व प्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी से जुड़े दावेदारों की उम्मीदें कुलाचे मार रही हैं। सदस्य पद के सभी 83 वार्डों से भाजपा समर्थित उम्मीदवारों में महिला प्रत्याशियों की अच्छी खासी तादाद है। बसपा व अपना दल (एस) ने भी पार्टी समर्थित प्रत्याशियों को मैदान में उतारकर इस सदस्य पद के चुनाव में सीधा दखल दिया है। हालांकि सपा ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। सियासत के जानकारों का मानना है कि सदस्य पद के चुनाव के परिणामों की घोषणा तक सपा देखो और इंतजार करो की रणनीति पर काम कर रही है। बहरहाल परिणाम चाहे जो भी हो, लेकिन सदस्य पद के चुनाव में ग्लैमर का जहां तड़का लग चुका है वहीं सियासी रसूखदार भी अध्यक्ष पद की कुर्सी को लेकर गुणा-गणित तेज कर चुके हैं।

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