Jaunpur: गैर जमानती वारंट के बाद भी न्यायालय में हाजिर नहीं हुआ दारोगा, एससी-एसटी एक्ट के तहत चल रहा है मुकदमा

न्यायालय ने परिवाद दर्ज कर दारोगा को हाजिर होने को कहा। हाजिर न होने पर गैर जमानती वारंट जारी कर 14 जनवरी को न्यायालय में पेश किए जाने का आदेश दिया। नागेश्वर शुक्ला न तो खुद हाजिर हुए और न ही पंवारा पुलिस ने गिरफ्तार कर पेश किया।

By Ramesh SoniEdited By: Publish:Sun, 19 Mar 2023 05:52 PM (IST) Updated:Sun, 19 Mar 2023 05:52 PM (IST)
Jaunpur: गैर जमानती वारंट के बाद भी न्यायालय में हाजिर नहीं हुआ दारोगा, एससी-एसटी एक्ट के तहत चल रहा है मुकदमा
नागेश्वर शुक्ला न तो खुद हाजिर हुए और न ही पंवारा पुलिस ने गिरफ्तार कर पेश किया।

जौनपुर, जागरण टीम: पंवारा थाने पर तैनात दारोगा नागेश्वर शुक्ला को गैर जमानती वारंट जारी किए जाने के बाद भी हाजिर न होने पर न्यायालय विशेष न्यायाधीश (एससी-एसटी एक्ट) ने सख्त तेवर अपनाया है। न्यायालय ने थानाध्यक्ष पंवारा राज नारायण चौरसिया को नोटिस जारी कर 27 अप्रैल तक स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया है। इसके साथ ही पूछा है कि क्यों न उनके विरुद्ध विधिक कार्रवाई की जाए। 

पत्रकार अर्जुन ने न्यायालय में परिवाद दाखिल किया था कि पंवारा थाना क्षेत्र में जुआ खेले जाने व चोरी हुई बोलेरो बरामद न होने पर खबर छापे जाने से एसआई नागेश्वर शुक्ला नाराज हो गए। 23 मई 2021 को करीब दस बजे नागेश्वर शुक्ला ने उन्हें जातिसूचक अपशब्दों का प्रयोग करते हुए हाथ-पैर तोड़ने व फर्जी मुकदमे में फंसाने की धमकी दी। उसी दिन दोपहर करीब एक बजे दारोगा नागेश्वर शुक्ला उनके घर पहुंचकर फिर गालियां दीं और अपमानित किया। 

इस पर न्यायालय ने परिवाद दर्ज कर दारोगा को हाजिर होने को कहा। हाजिर न होने पर गैर जमानती वारंट जारी कर 14 जनवरी को न्यायालय में पेश किए जाने का आदेश दिया। नागेश्वर शुक्ला न तो खुद हाजिर हुए और न ही पंवारा पुलिस ने गिरफ्तार कर पेश किया। 

इसे गंभीरता से लेते हुए शुक्रवार को विशेष न्यायाधीश (एससी-एसटी एक्ट) ने थानाध्यक्ष पंवारा को नोटिस दिया। न्यायाधीश ने लिखा कि आरोपित दारोगा नागेश्वर शुक्ला को न्यायालय में हाजिर न करना घोर लापरवाही का द्योतक है। 

नागेश्वर शुक्ला को 27 अप्रैल तक हर हाल में न्यायालय में हाजिर कराने का आदेश देते हुए यह प्रश्न भी किया है कि किन परिस्थितियों में न्यायालय के आदेश का अनुपालन नहीं किया गया। ऐसे में न्यायालय के आदेश का पालन न करने पर क्यों न आपके विरुद्ध विधिक कार्रवाई अमल में लाई जाए।

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