सर्दी, बरसात, कोहरा सबकुछ..अलाव व रैन बसेरे बने तमाशा

संवाद सहयोगी कालपी एक ओर जहां जिलाधिकारी रात दिन रैन बसेरों का निरीक्षण कर व्यवस्थाएं दुरूस्त रखने के निर्देश दे रहे हैं वहीं दूसरी ओर स्थानीय प्रशासन की नाकामी से रैन बसेरों का बुरा हाल है। रैन बसेरों में न तो रजाई गद्दे हैं और न ही अलाव का इंतजाम जिससे लोग परेशान हैं। जिलाधिकारी

By JagranEdited By: Publish:Sat, 04 Jan 2020 06:00 PM (IST) Updated:Sun, 05 Jan 2020 06:07 AM (IST)
सर्दी, बरसात, कोहरा सबकुछ..अलाव व रैन बसेरे बने तमाशा
सर्दी, बरसात, कोहरा सबकुछ..अलाव व रैन बसेरे बने तमाशा

संवाद सहयोगी, कालपी : जिले से लेकर शहर में सर्दी के सितम हर कोई ठिठुरता दिख रहा है। कोहरा राहगीरों को छका रहा है, बरसात ने किसानों को बैचेन कर दिया है। ऐसे में आम लोगों के लिए अलाव व रैन बसेरा सिर्फ तमाशा बनकर रह गए है। हकीकत यह है कि रैन बसेरों में न तो रजाई-गद्दे हैं और न ही शाम को अलाव जलाया जाता है। इन अव्यवस्थाओं के हावी होने से लोग सर्दी की चपेट में आकर अपनी जान गवां रहे हैं।

जिलाधिकारी डॉ. मन्नान अख्तर इस भीषण ठंड में गरीब बेसहारा लोगों को ठंड से बचाने के लिए रैन बसेरों का देर रात अचानक निरीक्षण कर रहे हैं। मातहतों को व्यवस्थाएं चकाचक रखने के निर्देश दे रहे हैं, लेकिन कालपी में उनके निर्देशों का पालन नहीं हो रहा है। शनिवार को राजेपुरा में स्थित रैन बसेरा जो खानकाह शरीफ के समीप स्थित है यहां पर रोजाना बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते जाते हैं। वहीं बाराबंकी निवासी शानू शबाना व मां जीनत तथा दो बच्चे पिछले करीब एक माह से इस रैन बसेरे में रूके हैं उन्हें आज तक न तो रजाई व गद्दे मिले और न ही अलाव जलवाया गया। रैन बसेरा में लाइट तक का इंतजाम नहीं है, जिससे शाम होते ही अंधेरा छा जाता है। शबाना के छोटे छोटे बच्चे ठंड से कांपते रहते हैं। उक्त लोग बताते हैं कि करीब 15 दिन पूर्व रजाई गद्दे देने के लिए कुछ लोग आए थे जो हम लोगों के आधार कार्ड की फोटोकापी ले गये थे, लेकिन रजाई गद्दे अभी तक नहीं आए। रैन बसेरा के दूसरे कमरे में रूके मुरादगंज के मो. अली व खुशनुमा, शबीना, नफीस, अनीस ठहरे इन पांच लोगों में तीन रजाई व तीन गद्दे दिए गए हैं। अब ये लोग बताते हैं कि रात मे हम लोग ठंड से कंपकपाते रहते हैं बिछाने से लेकर ओढ़ने के लिए बिस्तर कम पड़ जाते हैं।

नगर पालिका के अधिशाषी अधिकारी सुशील कुमार ने बताया कि लोग खानकाह शरीफ में इलाज के लिए आते हैं और एक-एक माह रैन बसेरा में रूके रहते हैं। वे अपना इंतजाम खुद करें। रैन बसेरा इसलिए है कि कहीं कोई गांव का आदमी यदि रूके तो उसके लिए रजाई गद्दे की व्यवस्था की जाती है। इलाज कराने वाले अपना कमरा किराये पर लेकर रहें उनके लिए कोई व्यवस्था नहीं होगी वहां तो बहुत से लोग रोजाना आते हैं।

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