पेड़ों से पाइप बांध घरों तक पहुंचाते हैं पानी

संवाद सहयोगी कोंच पेयजल संकट सुन तस्वीर उभरती होगी कि नलकूप की मोटर फुंक गई या फि

By JagranEdited By: Publish:Wed, 27 Mar 2019 06:35 PM (IST) Updated:Fri, 29 Mar 2019 06:22 AM (IST)
पेड़ों से पाइप बांध घरों तक पहुंचाते हैं पानी
पेड़ों से पाइप बांध घरों तक पहुंचाते हैं पानी

संवाद सहयोगी, कोंच : पेयजल संकट सुन तस्वीर उभरती होगी कि नलकूप की मोटर फुंक गई या फिर जलस्तर गिरने से हैंडपंप शोपीस बन गए होंगे। सच भी है, अधिकतर जगहों पर संकट इसी वजह से सामने आता है। इससे इतर विकास खंड के छिरावली गांव की तस्वीर उलट है। यहां पर पथरीली जमीन होने के चलते बोरिग सफल नहीं होती है। ग्रामीणों ने कई बार प्रयास किया पर पानी निकालने में असफल रहे। नतीजा, पूरे साल पानी का संकट झेलते हैं।

सवाल वाजिब है कि फिर काम कैसे चलाते हैं, तो जवाब भी अचरज भरा है। गांव का मंदिर ही एक तिहाई से ज्यादा लोगों के घरों में पानी पहुंचाने का साधन बना है। यहां की बोरिग ही लोगों को पानी उपलब्ध कराने का जरिया है। ऊंचाई पर बने मंदिर से घर तक पानी लाने के लिए लोगों ने पेड़ों के सहारे प्लास्टिक के पाइप बांध रखे हैं।

छिरावली गांव के ग्रामीणों की प्यास बुझाने के लिए अब तक शासन-प्रशासन के अधिकारी और जनप्रतिनिधि आगे नहीं आए हैं। गांव में एक नलकूप व पेयजल टंकी की दरकार है। मंदिर की बोरिग से होता पेयजल सप्लाई : गांव की भूमि ऐसी है जब भी किसी ने वहां बोरिग कराने की सोची तो बीच में पत्थर आ गए, जिससे उसकी बोरिग सफल नहीं हो पाई। ग्रामीणों के पास इतनी गुंजाइश भी नहीं है कि वह पत्थरों को तुड़वा कर बोरिग या नलकूप लगवा सकें। यही कारण है कि वर्षो से गांव वाले सीमित पानी से ही गुजारा कर रहे हैं। कुछ समय पूर्व गांव में ऊंचाई पर स्थित एक देवी मंदिर पर बोरिग की गई तो वहां ऐसा पानी निकला कि गांव वालों की प्यास बुझने लगी। गांव वालों ने मंदिर की बोरिग से पेड़ों में बांधकर घरों तक अपनी पाइप लाइनें डाल लीं। जिससे उन्हें जरूरत के मुताबिक पानी मंदिर की ओर से दिया जाता है। रोजमर्रा के लिए बमुश्किल से मिलता है पानी : ग्रामीण रमेश यादव, अनंतराम बरार का कहना है कि रोजमर्रा के लिए बमुश्किल पानी मिल पाता है। जिससे काफी परेशानी हो रही है। गर्मी में यह समस्या और विकराल हो जाती है। हमारी समस्या के बारे में सोचने वाला कोई नहीं है, जिससे गांव में पेयजल संकट से निजात मिल जाए। गांव की अधिकांश आबादी के लिए पानी की समस्या है। पेयजल टंकी एवं नलकूप निर्माण के लिए प्रयास किया जा रहा है। भूमि में पत्थर होने के कारण बोरिग नहीं हो पाती है। जल्द ही प्रस्ताव पास कराकर नलकूप निर्माण हेतु उच्चाधिकारियों को भेजा जाएगा।

-कल्याण सिंह, प्रधान प्रतिनिधि

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