खेती का विज्ञान : ¨भडी की पैदावार कर किसान लें मुनाफा

¨भडी वर्ष में दो फसली खेती है। जिसमें वर्षाकालीन में रोग से बचाव करते हुए एक हेक्टेयर में 8

By JagranEdited By: Publish:Mon, 24 Sep 2018 11:25 PM (IST) Updated:Mon, 24 Sep 2018 11:25 PM (IST)
खेती का विज्ञान : ¨भडी की पैदावार कर किसान लें मुनाफा
खेती का विज्ञान : ¨भडी की पैदावार कर किसान लें मुनाफा

¨भडी वर्ष में दो फसली खेती है। जिसमें वर्षाकालीन में रोग से बचाव करते हुए एक हेक्टेयर में 80 से 100 कुंतल तथा ग्रीष्मकालीन में 50 से 60 कुंतल की पैदावार की जा सकती है। एक हेक्टेयर में 50 हजार से लेकर एक लाख रुपये तक का मुनाफा एक वर्ष में कमाया जा सकता है। इसकी खेती के लिए अवरोधी उन्नतशील बीजों का उपयोग करना चाहिए। फसल को सुरक्षित रखने के लिए समय-समय पर दवा का भी छिड़काव करें, तभी लाभ कमा सकते हैं

खेत की तैयारी

खेत की दो तीन बार जोताई करके मिट्टी को भुरभुरी बना लें, जिसके लिए पाटा चलाकर समतल कर लेना चाहिए। जिससे कि बीज की मात्रा सही गहराई तक जा सके और बीज का अंकुरण सही हो सके।

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बीज की तैयारी

बोआई के पहले 12 से 24 घंटे तक बीज को पानी में भिगोकर रखना चाहिए। इसके बाद 3 ग्राम मेंकोजेब कार्बेंडाजिम प्रति किलो बीज की दर से बीज का शोधन करें तथा उन्नत किस्म के अवरोधी बीज पूसा 14, क्रांति पंजाब 7 अर्का अभय, अर्का अनामिका, वर्षा उपहार हिसार उन्नत बीज होते हैं।

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बोआई का समय

वर्षा ऋतु में जून से जुलाई के बीच ¨भडी की बोवाई करना चाहिए। जिसमें एक हेक्टेयर में 12 से 18 किलोग्राम बीज तथा ग्रीष्मकालीन में फरवरी-मार्च में बोआई की जाती है उस समय 18 से 20 किलो बीज एक हेक्टेयर में उपयोग करना चाहिए। बीज की गहराई 2 से 3 सेंटीमीटर हो तथा कतार से कतार की दूरी 40 से 45 सेंटीमीटर व पौधे की पौधे से दूरी 25 से 30 सेंटीमीटर होनी चाहिए।

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खाद व उर्वरक

एक हेक्टेयर में 15 से 20 जनवरी के बीच गोबर की खाद 80 किलोग्राम, फास्फोरस 7 किलो व पोटाश 7 किलो की मात्रा में डाली जानी चाहिए तभी ¨भडी की फसल में सही फायदा ले सकते हैं।

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यह हैं समस्याएं

¨भडी की खेती के लिए आवारा पशुओं से रखवाली आवश्यक है। जिसके लिए तारबाड़ लगाकर खेत को चारों तरफ से सुरक्षित कर लेना चाहिए। जानवरों के घुसने से पौधे नष्ट हो जाते हैं

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खरपतवार व बीमारी से करें बचाव

खरपतवार से बचने के लिए बोआई के 15 से 20 दिन के बाद निराई गुड़ाई करनी चाहिए। बोआई से पूर्व नमी में खरपतवारनाशी दवा का छिड़काव करें, इसमें झुलसा पीला रोग पत्तियों में तथा फलों में भी लगता है। जिसके लिए डायथेम एम 45 को 5 मिलीग्राम 1 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए तथा पीले पड़ने वाले पौधों को जड़ से उखाड़ कर नष्ट कर देना चाहिए।

डा. अमित कनौजिया, उद्यान विशेषज्ञ

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