मटर की हरित क्रांति ने चमकाई किसानों की किस्मत

संवाद सहयोगी, जालौन : बुंदेलखंड के किसानों का दर्द किसी से छिपा नहीं है। इसके बावजूद जालौन

By JagranEdited By: Publish:Mon, 19 Feb 2018 03:02 AM (IST) Updated:Mon, 19 Feb 2018 03:02 AM (IST)
मटर की हरित क्रांति ने चमकाई किसानों की किस्मत
मटर की हरित क्रांति ने चमकाई किसानों की किस्मत

संवाद सहयोगी, जालौन : बुंदेलखंड के किसानों का दर्द किसी से छिपा नहीं है। इसके बावजूद जालौन क्षेत्र के किसानों को मटर की हरित क्रांति के रूप में ऐसा वरदान मिला कि इस क्षेत्र के किसानों की तकदीर ही बदल गई। परंपरागत खेती से ज्यादा मुनाफा देने वाली यह खेती किसानों की चहेती बन गई है। दूरस्थ प्रदेशों तक यहां की हरी मटर भेजी जा रही है।

क्षेत्रीय किसानों के अनुसार जालौन इलाके में हरी मटर की शुरुआत खनुआ गांव से हुई। यहां के किसान राजाराम पटेल कोंच क्षेत्र में अपने रिश्तेदार के यहां गए थे। वहां पर इस खेती में उन्हें परंपरागत खेती से ज्यादा लाभ दिखा। उन्होंने भी बीज लेकर अपने खेतों में बोआई कर दी। वर्ष 1985 में आर्थिक तंगी से जूझ रहे राजाराम को उस समय बीज उधार लेना पड़ा था। 5 बीघा में जब हरी मटर हुई तो इसकी पांच रुपये प्रति बोरा की दर पर तुड़ाई हुई। इसमें हुए लाभ की चर्चा अन्य ग्रामीणों तक पहुंची। इसके बाद भगवान ¨सह पटेल, कुंवरपुरा निवासी दुर्गा प्रसाद पटेल, राजेंद्र ¨सह, सोबरन ¨सह समेत कई किसानों ने बोआई की। जिले में उस समय बिक्री न होने के कारण झांसी में हरी मटर की फलियों की बिक्री करनी पड़ी।

बीते एक दशक में हरी मटर की खेती ने खासा जोर पकड़ा। अब हर गांव के किसान हरी मटर बो रहे हैं। जो बड़े किसान थे उन्होंने बीज का धंधा शुरू कर दिया। वही बाद में हरी मटर खरीद कर व्यापारी भी बन गए। क्षेत्र की मंडी भेंड एशिया की सबसे बड़ी हरी मटर की मंडी मानी जाती है। जहां से प्रत्येक वर्ष लगभग 500 करोड़ रुपये की हरी मटर का व्यापार होता है। यह मटर राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तरांचल, पंजाब, दिल्ली, पंजाब, छत्तीसगढ़, झारखंड, अरुणाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश आदि प्रदेशों को भेजी जाती है। हरी मटर के सीजन में बाहर के व्यापारी भी यहां पर खरीद करने के लिए पहुंचते हैं। नगर के बुंदेलखंड सीड्स, शर्मा सीड्स, प्रगति सीड्स बालाजी सीड्स, पारस सीड्स आदि सीड्स पूरे देश में धूम मचाए हैं। हरी मटर पर सरकार द्वारा टैक्स भी नहीं लिया जाता है। इसकी वजह से हरी मटर का व्यापार ज्यादा लोकप्रिय हुआ।

अब दाम कम होने से कुछ निराशा भी

जालौन : हरी मटर के बीज की मांग अन्य प्रदेशों में भी रही है। 10 हजार रुपये प्रति क्विंटल यह बीज मिलता था। हालांकि अब इसका भाव दो से तीन हजार रुपये पर ही पहुंच गया है। पहले भाव अधिक होने से किसानों का बीज भी 6 हजार रुपये प्रति ¨क्वटल की दर से खरीदा जाता था, लेकिन अब डेढ़ से दो हजार रुपये के बीच ही उन्हें मिल पा रहे हैं। ऐसे में खतरा यह भी है कि लाभदायक यह खेती किसानों के लिए बर्बादी साबित न हो जाए। मटर व्यापारी विनय कुमार महेश्वरी ने बताया कि बीज के दामों में कमी आने का प्रमुख कारण यह है कि जिन प्रदेशों में यहां से हरी मटर जाती थी वहां पर हरी मटर की फलियों के मूल्य कम होने के कारण वहां के किसानों ने फलियां नहीं तोड़ी जिससे उन प्रदेशों में मटर की मांग कम हो गई है। राजकुमार बुधौलिया के अनुसार मटर की अत्यधिक उपज होने तथा आयात होने वाले प्रदेशों में मांग कम होने के कारण मटर के दामों में कमी आई है। इससे व्यापारी और किसान दोनों परेशान हैं। सुनील दुबे का मानना है कि मटर की खेती के प्रति एकदम बढ़े रुझान के कारण तथा अत्यधिक मुनाफे के कारण मटर का व्यापार प्रभावित हुआ है। फिर भी किसानों को उम्मीद है कि शायद आगे फिर उन्हें इसमें लाभ मिलने लगेगा।

chat bot
आपका साथी