बाढ़ फिर बारिश में बर्बाद किसान उठा रहे आत्मघाती कदम

पानी संकट से जूझते बुंदेलखंड के जालौन जिले में पानी ही किसानों का दुश्मन बन गया। बीते दिनों आई बाढ़ से सैकड़ों एकड़ फसल बर्बाद हो गई। बाद में रही सही कसर बारिश ने पूरी कर दी। अ

By JagranEdited By: Publish:Mon, 14 Oct 2019 11:15 PM (IST) Updated:Tue, 15 Oct 2019 06:03 AM (IST)
बाढ़ फिर बारिश में बर्बाद किसान उठा रहे आत्मघाती कदम
बाढ़ फिर बारिश में बर्बाद किसान उठा रहे आत्मघाती कदम

शैलेंद्र शर्मा, उरई

पानी संकट से जूझते बुंदेलखंड के जालौन जिले में पानी ही किसानों का दुश्मन बन गया। बीते दिनों आई बाढ़ से सैकड़ों एकड़ फसल बर्बाद हो गई। बाद में रही सही कसर बारिश ने पूरी कर दी। अन्नदाता सड़ी फसल देख मायूस हो उठे। बर्बाद फसल का अभी तक सर्वे नहीं होने की आवाज भी बुलंद हो रही है। अच्छी पैदावार की आस में बैंक (केसीसी) और साहूकारों से लिया कर्ज अब उनकी जान ले रहा है। जिले में तीन दिनों के अंदर दो किसानों ने फांसी लगा ली। परिवार बेसहारा हो गया।

जालौन जिला कृषि प्रधान है। यहां की अधिकतर आबादी खेती-किसानी पर ही निर्भर है। परिवार के भरणपोषण से लेकर शादी-विवाह हो या फिर बच्चों की पढ़ाई, सब कुछ जमीन के सोना उगलने पर ही निर्भर है। अच्छी पैदावार की आस में किसान किसान क्रेडिट कार्ड के साथ ही साहूकारों से कर्ज लेने को विवश होते हैं। रबी हो या फिर खरीफ की फसल ही उसके और परिवार के जीवन का सहारा है। अच्छी पैदावार की आस में लिया गया कर्ज सूद समेत हजारों से लाखों में पहुंच जाता है। चुका नहीं पाने के हालात में जहां साहूकार जमीन पर कब्जा कर लेते हैं या फिर उनकी दबंगई चारों तरफ से हताश कर देती है। ऐसा ही कुछ हाल तब होता है जब बैंक के कर्मचारी रिकवरी नोटिस लेकर घर पहुंचते हैं और समाज के सामने अन्नदाता जलील होता है और आखिर में वह मौत को चुनने को विवश होता है।

केस एक

माधौगढ़ तहसील क्षेत्र के जमरेही अव्वल गांव निवासी किसान 45 वर्षीय राजा भैया ने 2010 में एसबीआइ से केसीसी पर साठ हजार रुपये कर्ज लिया था। आर्थिक हालत सुधरी ही नहीं, सो कर्ज भी अदा नहीं हुआ। बैंक से रिकवरी नोटिस आने के बाद तनाव में राजा भैया शुक्रवार रात बिना बताए घर से निकला और शनिवार सुबह खेत के पास पेड़ से लटका उसका शव मिला।

केस दो

रामपुरा ब्लाक के बाबूपुरा गांव निवासी किसान 45 वर्षीय राजनारायन रविवार की रात करीब साढ़े आठ बजे घर से बिना बताए निकले और सोमवार की सुबह खेत के पास आम के पेड़ से लटक जान दे दी। वजह, वही बैंक (केसीसी) और साहूकार का कर्ज। टीन के आशियाने में रहने वाले राजनारायन तीन बीघा खेत में 16 बिस्वा बेच साहूकार का कुछ कर्ज चुका सके थे। एक बीघा गिरवी रखी थी। बाकी से ही परिवार का भरणपोषण करते थे।

किसानों की मौत पर प्रियंका वाड्रा ने किया ट्वीट

कितना शर्मनाक है ये

जब उत्तर प्रदेश में किसान कर्ज की मार से आत्महत्या कर रहे हैं, उसी समय उप्र के मुख्यमंत्री और मंत्री दूसरे प्रदेशों में जाकर बोल रहे हैं कि उप्र में सब ठीक-ठाक है।

जागरण संवाददाता, उरई : जिले और आसपास कर्ज में डूबे किसानों के जान देने की गूंज दिल्ली तक पहुंच गई। कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका वाड्रा ने महोबा और जालौन जिले के माधौगढ़ में किसान राजा भैया के कर्ज में डूबे होने के बाद फांसी लगाने पर ट्वीट किया। किसान बुरी तरह कर्ज में डूबा है। प्राकृतिक आपदा के बाद रही सही कसर अन्ना मवेशी पूरी कर रहे हैं। प्रशासन के प्रयास के बाद भी धरातल पर तस्वीर उल्टी है। छुट्टा मवेशियों का झुंड बची-खुची फसल चट कर रहा है या फिर रौंद रहा है। बैंक का नोटिस मिलते ही जमीन हाथ से जाते दिखती है। मजबूरी में किसान मौत चुन रहे हैं। इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया तो प्रदेश स्तर पर आंदोलन छेड़ा जाएगा।

बलराम लंबरदार, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, भारतीय किसान यूनियन

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