लंबे समय बाद अपनों के बीच कट रहे दिन, लॉकडाउन का पालन

थ मिलकर बैठने का मौका तो कभी मिला ही नहीं। भागमभाग की इस जिदगी ने अपनों का भरपूर साथ ही छीन लिया था। वजह जगजाहिर है। कुछ ऐसे ही विचार आमजन के हैं

By JagranEdited By: Publish:Tue, 31 Mar 2020 09:15 PM (IST) Updated:Wed, 01 Apr 2020 06:01 AM (IST)
लंबे समय बाद अपनों के बीच कट रहे दिन, लॉकडाउन का पालन
लंबे समय बाद अपनों के बीच कट रहे दिन, लॉकडाउन का पालन

जागरण संवाददाता, उरई : खुशी इस बात की कि लंबे समय बाद सात दिनों तक अपनों के बीच इतना समय गुजारने का मौका मिला है। मां-बाप, भाई-बहन, पत्नी व बच्चों के साथ इस तरह साथ मिलकर बैठने का मौका तो कभी मिला ही नहीं। भागमभाग की इस जिदगी ने अपनों का भरपूर साथ ही छीन लिया था। वजह जगजाहिर है। कुछ ऐसे ही विचार आमजन के हैं, जो सात दिनों से लॉकडाउन को लेकर घर में ही समय बिता रहे हैं। काम-धंधा, फैक्ट्री, ऑफिस की चिता नहीं, बस अपनों की बीच हर तरह की मस्ती ही मिजाज खुश किए है।

पटेल नगर निवासी अधिवक्ता ज्ञानेंद्र निरंजन कहते हैं कि सभी की सुरक्षा इसी पर निर्भर है कि शारीरिक दूरी बनाए रखी जाए। उसके लिए वह परिवार के साथ लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं। सात दिन कैसे बीते, पता ही नहीं चला। हां, शुरू के दो दिन जरूर अखरे पर अब तो अपनों के बीच ही मजा आ रहा है।

रामनगर निवासी भाकियू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बलराम लंबरदार कहते हैं कि बेटे-बहू और पोते के साथ हंसी-खुशी सात दिन बिताए और आगे भी घर में ही रहेंगे। सभी से दूरी तो बना रखी है, पर चिता हर किसी की है। हर आने वाले फोन पर एक ही सलाह देते हैं कि घर में ही रहो, अपनों के बीच रहो।

पुराना रामनगर निवासी प्रदीप दीक्षित ने अलग ही तरीका अपनाया है। संकट की घड़ी में सुबह के चार घंटे उनके लिए निकालते हैं, जो बाहर से लौट रहे हैं और भूखे पेट हैं। कहते हैं कि ऐसे लोगों के बीच लंच पैकेट बांटने के बाद दिनभर बच्चों के साथ समय बिताते हैं। घर में ही खुशी तलाश ली है।

गांधी नगर निवासी व्यापारी अवधेश रावत हंसते हुए कहते हैं कि बहुत दिनों बाद घर के काम में सहयोग करने का मौका मिला है। कहते हैं कि सभी से दूरी बनाकर बस बेटी और पत्नी संग साथ का भरपूर आनंद ले रहे हैं। कब दिन बीत गए, पता ही नहीं चला।

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