धूमधड़ाके ने निकाला पर्यावरण का दम

दीपावली से पहले था एयर क्वालिटी इंडेक्स 120 था रात में 184 पर पहुंचा।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 06 Nov 2021 02:53 AM (IST) Updated:Sat, 06 Nov 2021 02:53 AM (IST)
धूमधड़ाके ने निकाला पर्यावरण का दम
धूमधड़ाके ने निकाला पर्यावरण का दम

जासं, हाथरस : दीपावली और गोवर्धन पर पटाखों से जमकर धूम-धड़ाका हुआ। समय के प्रतिबंध के बावजूद रातभर पटाखे चलने का असर दिखाई देने लगा है। इंटरनेट से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार वायु गुणवक्ता सूचकांक (एयर क्वालिटी इंडेक्स) में 64 प्वाइंट की वृद्धि हुई है जोकि सेहत के लिए अच्छा नहीं है।

इंटरनेट से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक छोटी दीवाली से पहले एयर क्वालिटी इंडेक्स 120 प्वाइंट दर्ज किया गया था। गोवर्धन के दिन शाम के वक्त एयर क्वालिटी इंडेक्स 184 प्वाइंट दर्ज किया गया, जो कि सामान्य से अधिक था। यह स्तर स्वास्थ्य के लिए नुकसान दायक बताया जाता है। दीपावली से पहले हरियाणा और पंजाब में पराली जलने के कारण एनसीआर और आसपास के जिलों में एयर क्वालिटी इंडेक्स बढ़ गया था।

मनुष्य के कान पांच से बीस डेसिबल की आवाज बिना किसी नुकसान के सह सकते हैं, लेकिन पटाखों की औसत ध्वनि स्तर लगभग 125 डेसिबल होती है।

ग्रीन पटाखे कम चले : हालांकि बाजार में ग्रीन पटाखे उपलब्ध थे। कम आवाज व कम धुआं देने वाले पटाखों को चलाने की सलाह दी गई थी, लेकिन आतिशबाजी के शौकीनों ने मनमानी की। इसी का नतीजा था एयर क्वालिटी इंडेक्स का बढ़ना।

दो करोड़ से अधिक

के बिके पटाखे

जासं, हाथरस : जनपद में पटाखों का हर साल करोड़ों का कारोबार होता है। यहां पर दक्षिण भारत के शिवकाशी शहर के अलावा अन्य स्थानों से आतिशबाजी मंगाई जाती है। हर साल की तरह प्रदूषित शहरों में पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध था। इससे हाथरस अछूता था। पटाखों की बिक्री के लिए प्रशासन की ओर से लाइसेंस जारी किए गए थे। शहर में बागला कालेज मैदान में पटाखों की बिक्री के लिए जगह निर्धारित की गई थी। दुकानदारों का कहना है कि तीन दिन के लिए लाइसेंस जारी हुआ था, लेकिन दो दिन ही पटाखों की बिक्री करने दी गई। इस कारण पटाखे पिछली साल की तुलना में नहीं बिक पाए।

दीपावली पर खूब बिकी मिठाई

जासं, हाथरस : दीपावली पर शहर से लेकर गांव तक जमकर मिठाई बिकी। शहर के नामचीन दुकानदारों के यहां देसी घी की मिठाई के अलावा रिफाइंड व वनस्पति घी से तैयार मिठाई की बिक्री की गई। बाजार में देसी घी की मिठाई पांच सौ रुपये प्रति किलो तक बिकी तो रिफाइंड व डालडा की 200 से 220 रुपये प्रति किलो तक थी।

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