भ्रष्टाचार की धारा से सूखे रह गए नल

जनपद में टीटीएसपी परियोजना के तहत कराए गए थे करोड़ों के काम हालात निर्माण के कुछ महीने बाद ही दम तोड़ गए ग्रामों में टैंक टाइप पोस्ट गहराई से जांच होने पर खुल सकता है जनपद में करोड़ों का घोटाला

By JagranEdited By: Publish:Wed, 04 Dec 2019 12:51 AM (IST) Updated:Wed, 04 Dec 2019 12:51 AM (IST)
भ्रष्टाचार की धारा से सूखे रह गए नल
भ्रष्टाचार की धारा से सूखे रह गए नल

जागरण संवाददाता, हाथरस : हाथरस जनपद के हसायन और सिकंदराराऊ ब्लॉक को छोड़कर बाकी पांच ब्लॉक क्षेत्रों में खारे पानी और पेयजल संकट दूर करने के मकसद से टीटीएसपी (टैंक टाइप स्टैंड पोस्ट) योजना के तहत 450 गांवों में टंकियों का निर्माण कराया गया था। कुछ स्थानों को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश गांवों में टंकियां लोगों की प्यास बुझाने में फेल हैं। इस योजना के तहत 19.80 करोड़ रुपये खर्च हुए। कार्यदायी संस्था का दावा है कि टंकियों को ग्राम पंचायतों को हस्तांतरित कर दिया गया था, मगर प्रधान कहते हैं कि विभाग ने कोई टंकी प्रधानों को हस्तांतरित नहीं की। यही कारण रहा कि रखरखाव के अभाव के कारण करोड़ों रुपये खर्च होने के बाद भी लोगों को खारे पानी से निजात नहीं मिली।

यह थी परियोजना :

हाथरस जिले के जिन ब्लॉक में खारे पानी की समस्या सबसे ज्यादा है, उनमें सादाबाद और सहपऊ सबसे ऊपर हैं। अब तो हसायन भी इस दायरे में आ चुका है। इस समस्या से निपटारे के लिए सादाबाद से विधायक रहे अनिल चौधरी ने अपने कार्यकाल के दौरान वर्ष 2010-11 में तत्कालीन प्रदेश सरकार से सबसे पहले टंकियों के लिए 57 लाख रुपये मंजूर कराकर पूरे ब्लाक क्षेत्र में टंकियों का निर्माण कराया था। सादाबाद विधायक के प्रस्ताव मंजूर होते देख अन्य विधायक भी फौरन सक्रिय हो गए और पानी की समस्या लेकर शासन में पहुंच गए। इस तरह कुल मिलाकर 450 टंकियों के निर्माण के लिए 19.80 करोड़ रुपये से पांच ब्लॉक क्षेत्रों में टंकियां बनाई गईं, मगर ये टंकियां कुछ महीने ही काम कर पाईं। इस मामले में शासन उच्च स्तरीय जांच कराए तो बड़ा घोटाला सामने आ सकता है। इन ब्लॉकों में बनाई गईं टंकियां

हाथरस, सादाबाद, सहपऊ, सासनी, मुरसान।

सिकंदराराऊ, हसायन में नहीं हैं टंकियां।

खारे पानी को लेकर हुआ आंदोलन

खारे पानी की समस्या अब हसायन ब्लॉक क्षेत्र में भी है। इसे लेकर कई बार गांव के लोगों ने आंदोलन किए थे, मगर समस्या का समाधान नहीं हो सका। जिस तरह से सादाबाद समेत पांच ब्लॉक में टंकियां बनाई गईं उस तरह प्रशासन से लेकर विधायकों तक को हसायन क्षेत्र की याद नहीं आई। पूरे गांव को थी पानी देने की योजना

जिन गांवों में खारे पानी की समस्या थी वहां सभी को मीठा पानी देने की योजना थी। कुछ महीने तक गांव वालों से लेकर जलनिगम और प्रधान तक उत्साहित दिखे, मगर रखरखाव के अभाव में न तो पानी मिला और न खारे पानी की समस्या गई। ऐसे में लोगों ने अपने घरों में सबमर्सिबल लगवाना ही उचित समझा। अब अधिकांश घरों में सबमर्सिबल लगे हुए हैं। अब तो गांव के लोगों ने इन टंकियों से पानी मिलने की उम्मीद ही छोड़ दी है। सहपऊ के लोगों की मानें तो उन्हें कभी पानी टंकी से मिला ही नहीं। जलनिगम के सूत्र बताते हैं कि महज 10 फीसद ही टंकी काम कर रही हैं।

एक दूसरे पर टाल रहे जिम्मेदारी

आश्चर्य की बात तो ये है कि जिस योजना पर सरकार ने पूरे 19 करोड़ 80 लाख रुपये खर्च किए, उनका रखरखाव करने की जिम्मेदारी उठाने की जहमत न तो प्रधानों ने उठाई और न ही जल निगम ने। ऐसे में योजना का मिट्टी में मिल जाना तो तय ही था। सच तो ये है कि प्रधान और जल निगम एक दूसरे पर जिम्मेदारी थोप रहे हैं। यही नहीं जिन विधायकों ने तब योजना लाने में सक्रियता दिखाई, अब वे भी खामोश हैं? इस पर भी सवाल उठ रहे हैं। वर्जन --

टीटीएसपी योजना के तहत कराए गए कार्य उनके यहां आने से बरसों पहले के हैं। काम जल निगम की ओर से कराए गए थे। काम पूरा करने के बाद यहां रहे अधिकारियों ने टंकियां प्रधान और पंचायत सचिव को हस्तांतरित कर दी थीं। रखरखाव का दायित्व भी प्रधानों का है।

-आरके शर्मा, अधिशासी अभियंता जल निगम हमारे गांव में बनाई गई टंकियां कभी प्रधानों को हस्तांतरित नहीं की गईं। अगर ऐसा होता तो निश्चित रूप से इस योजना की ये हालत नहीं होती। जो अफसर ये कह रहे हैं कि प्रधान और सचिवों को रखरखाव और संचालन के लिए दे दिया गया था, उन्हें इसका प्रमाण देना चाहिए।

मधु चौधरी, ग्राम प्रधान कुरसंडा

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