जागरूकता व सुरक्षा से ही बचाव संभव

एनजीओ व स्वास्थ्य विभाग करता है एड्स के प्रति लोगों को जागरूक एचआइवी पॉजिटिव की जानकारी के लिए विभाग ने तीन श्रेणी तय की है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 01 Dec 2020 04:13 AM (IST) Updated:Tue, 01 Dec 2020 04:13 AM (IST)
जागरूकता व सुरक्षा से ही बचाव संभव
जागरूकता व सुरक्षा से ही बचाव संभव

संवाद सहयोगी, हाथरस : लाइलाज मानी जा रही बीमारी एड्स की रोकथाम को लेकर अब भी जिले में निरंतर प्रयास जारी हैं। इस बार कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से जागरूकता कार्यक्रमों की कमी देखने को मिली मगर रोकथाम के लिए कागजों में कई अभियान चल रहे हैं।

यह है लक्षण :

इस बीमारी की चपेट में आए लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, वजन लगातार गिरता जाता है। क्षय रोग से भी ग्रस्त हो जाते हैं।

कारण : असुरक्षित यौन संबंध, रक्त चढ़ाने, प्रदूषित सुई से इंजेक्शन लगवाने और एचआइवी ग्रस्त महिला के बच्चों को हो जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार एचआइवी एक विषाणु होता है, जो शरीर की रोग-प्रतिरक्षा प्रणाली पर प्रहार करता है। संक्रमण के प्रति उसकी प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। दो साल में 32 गर्भवती हुईं संक्रमित

गर्भवती महिलाओं में एचआइवी होने के कारण बच्चों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। प्रसव के समय एचआइवी संक्रमित महिलाओं की सुरक्षित डिलीवरी कराई जाती है। बीमारी की बात को छिपाने पर बच्चों को एड्स का खतरा बढ़ जाता है। रोगियों की काउंसलिग के लिए जिला अस्पताल में सेंटर है। यहां उन्हें दवाओं के साथ-साथ बचाव के तरीके भी बताए जाते हैं। ममता एनजीओ के ऊपर गर्भवती एचआइवी महिलाओं का प्रसव कराने की जिम्मेदारी होती है। जिले में पिछले दो साल में 32 एचआइवी महिलाओं ने बच्चों को जन्म दिया। जिन्हें लगातार दवाई उपलब्ध कराई जा रही है। तीन तरह के लोग होते हैं चिह्नित

एड्स जैसी भयानक बीमारी को लेकर लगातार जागरूकता फैलाई जा रही है, लेकिन इसके बाद भी लोग इसके संक्रमण में आ रहे हैं। इससे आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। एचआइवी पॉजिटिव केस की जानकारी के लिए स्वास्थ्य विभाग ने तीन श्रेणी तय की है। इनमें एफएसडब्ल्यू (फीमेल सेक्स वर्कर), आइ ड्यूज (इंजेक्शन के कारण) और एमएसएम (मेल सेक्स टू मेल) हैं। सात क्षय रोगियों को हुआ एड्स

जिला अस्तपाल, महिला अस्पताल व सादाबाद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर क्षय रोग से पीड़ित हर रोगी की एचआइवी जांच कराई जाती है। जांच कराने की सुविधा सीएचसी केंद्रों पर भी है। क्षय रोगियों की जांच कार्ड के जरिए जांच कराई जाती है। एचआइवी की पुष्टि करने के लिए रिपोर्ट को अलीगढ़ भेजा जाता है। इस साल अब तक सात क्षय रोगियों को एड्स के लक्षण पाए गए, जिनका उपचार चल रहा है। एचआइवी मरीजों को एआरटी सेंटर अलीगढ़ के माध्यम से मुफ्त एचआइवी की दवा दिलाई जाती है। कोरोना की वजह से दिक्कतें

एड्स के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए तमाम प्रयास स्वास्थ्य विभाग की ओर से कराए जाते हैं, लेकिन इस साल कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से जागरूकता कार्यक्रम शिथिल रहे। जिला अस्पताल में भी ओपीडी कई माह तक बंद रही थी। अब कोरोना संक्रमण खत्म हो जाने के बाद अभियान चलाया जाएगा।

इनका कहना है

जिले में एड्स की जांच के लिए बंदोबस्त बेहतर हैं। एनजीओ भी कार्य कर रही हैं। शासन को भी समय-समय पर एचआइवी पॉजिटिव मरीजों की रिपोर्ट भेजी जाती है।

डॉ. ब्रजेश राठौर, सीएमओ, हाथरस।

युवाओं को ब्रह्मचर्य जीवन

का महत्व को समझना होगा

संस, हाथरस : एड्स बीमारी से युवा पीढ़ी संक्रमित न हो, इसलिए युवाओं व किशोरों को बेहतर दिशा-निर्देश जरूरी है। युवाओं को ब्रह्मचर्य आश्रम के महत्व को बताना ही होगा। यह विचार प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के आनंदपुरी कालोनी केंद्र के मीडिया सेवाधारी बीके दिनेश भाई ने विश्व एड्स दिवस के अवसर पर व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि सरकार यौन शिक्षा से इसे कम करने का प्रयास कर रही है। किशोरों के लिए अलग से सलाह देने के लिए अस्पतालों में व्यवस्था की गई है। फिर भी दुराचार के अपराध बढ़ते जा रहे हैं। एड्स से समाज को बचाना है तो वर्तमान समय की आवश्यकता किशोर एवं युवाओं को ब्रह्मचारी जीवन के महत्व को समझाने एवं ब्रह्मचारी जनों द्वारा प्राप्त उपलब्धि्यों की चर्चा शिक्षा में बढ़ाने की है।

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