शहर में मेहनत के भरपूर दाम, गांव में कम

सब हेड - सादाबाद क्षेत्र की क्राम पंचायत में लौटे 147 मजदूर 35 को मिला कार्य वस्तुस्थिति मनरेगा में मजदूरों को मिल रहा है 201 रुपये पारिश्रमिक शहर में मिल जाता है 500 रुपये रोज तक का मेहनताना

By JagranEdited By: Publish:Thu, 28 May 2020 12:18 AM (IST) Updated:Thu, 28 May 2020 05:59 AM (IST)
शहर में मेहनत के भरपूर दाम, गांव में कम
शहर में मेहनत के भरपूर दाम, गांव में कम

संसू, सादाबाद (हाथरस) : लॉकडाउन के कारण गैर शहरों से गांव लौटे मजदूर आ तो गए मगर गांव में काम न होने के कारण टेंशन है। कुछ मजदूरों को काम मनरेगा में मिला तो है मगर सवाल है कि क्या 100 दिन के काम से परिवार की जरूरतें पूरी हो पाएंगी। सच तो ये है कि गांव में अपनों का प्यार है, मगर काम नहीं है। इसलिए लॉकडाउन खुलने पर शहरों की ओर रुख करना ही होगा। हालांकि ग्राम पंचायत जारऊ में मजदूरों को काम मिलना प्रारंभ हो गया है। अब तक 25 मजदूरों को मनरेगा में पंजीकृत करा कर उनके जॉब कार्ड बनवाते हुए लगातार 40 दिन का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है तथा शेष मजदूरों को मनरेगा में पंजीकृत करा कर उनको भी कार्य दिलवाने का लक्ष्य प्रधान द्वारा दावा किया जा रहा है।

-

147 मजदूर लौटे

पंचायत की प्रधान के अनुसार उनकी पंचायत काफी बड़ी है बाहर से लौटे सभी मजदूरों की गिनती कराए जाने के बाद कुल 147 मजदूर गांव में लौटे हैं। सभी काम दिलाने का दावा प्रधान ने किया है, मगर लाख टके का सवाल ये है कि मनरेगा में परिवार का पालन पोषण हो सकेगा। वैसे मनरेगा में काम करने वाले मजदूरों को 100 दिन कार्य मिलता है इस कार्य के लिए उसे एक दिन के लिए 201 रुपये का पारिश्रमिक है मगर ये काफी भर नहीं है। जबकि शहर में पांच सौ रुपये तक मिल जाते हैं। यह होंगे कार्य:

ग्राम पंचायत प्रतिनिधि अनुज चौहान ने बताया कि ग्राम पंचायत जारऊ में फिलहाल मनरेगा योजना से बाहर से आए मजदूरों के माध्यम से गांव का एक बड़ा चकरोड चरागाह की भूमि में मेड़बंदी तथा पंचायत के गांव दल्ती के निकट तालाब की खुदाई का कार्य प्रस्तावित है जिसके तहत चकरोड का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है।

---

मजदूरों के बोल

मनरेगा में प्रधान द्वारा जॉब कार्ड बनवाया गया और आज हम मनरेगा के तहत कार्य कर रहे हैं। गांव में मिले काम में काम चला रहे हैं। मगर इस दिहाड़ी से परिवार का गुजारा नहीं हो सकता है, इसलिए दूसरे शहरों की तरफ तो जाना ही होगा।

-विपिन कुमार, जारऊ

--

गांव में मनरेगा का काम है। जिससे परिवार का भरण पोषण नहीं हो सकता। 200 रुपये में भला कौन परिवार पल सकता है। महंगाई आसमान छू रही है। लॉक डाउन तक तो गांव में है बाद में काम नहीं चलेगा तो शहर की तरफ जाएंगे।

-सुनील कुमार, जारऊ

--

घर पर रहकर ही मजदूरी कर सकेंगे तथा परिवार के बीच में भी रह सकेंगे। यदि लगातार मजदूरी मिलती रही तो वह बाहर जाने के बारे में सोचेंगे भी नहीं। मगर ऐसा कम लगता है कि परिवार को पालन के लिए गांव में लगातार काम मिलता रहे।

-सत्येंद्र कुमार , नगला तासी

-

पंचायत क्षेत्र में 147 वह लोग लौटे हैं। पहले चरण में 35, दूसरे चरण में 45, शेष तीसरे चरण में जोड़े जाएंगे और निश्चित रूप से इन सभी को मनरेगा के तहत 100 दिन का कार्य कराया जाएगा। यह कार्य लगातार चलेगा, जिससे यह लोग बाहर जाने के बारे में भी नहीं सोच पाएंगे।

सोनू चौहान, प्रधान ग्राम पंचायत जारऊ

chat bot
आपका साथी