न हों निराश, बंधी है शुद्ध पानी मिलने की आस
सब हेड जिले में रखरखाव के अभाव में हर साल सैकड़ों की संख्या में देहात में हैंडपंप हालात जनपद में नगर पालिका व देहात क्षेत्र में में कुल 23 हजार 562 हैंडपंप खराब हैंडपंपों को दुरुस्त कराने का अब लिया गया है फैसला
जागरण संवाददाता, हाथरस : जब एक महीने बाद सरकारी दफ्तर खुले और लगातार हैंडपंपों को दुरुस्त करने की शिकायतें आने लगीं तो पंचायती राज विभाग की नींद टूट गई है। फैसला लिया गया है कि खराब हैंडपंपों के रिबोर कराने से लेकर मरम्मत तक कराई जाएगी। इस पर जितना भी पैसा खर्च होता है, वह 12 वें और 14 वें वित्त आयोग से खर्च किया जाएगा।
जनपद भर में हैं कुल 23 हजार 562 हैंडपंप
महानगर और देहात में हैंडपंपों की संख्या 23 हजार 562 है। प्रतिवर्ष यह संख्या एक हजार बढ़ जाती थी मगर, वर्ष 2019-2020 में क्षेत्र के विधायकों को 100 हैंडपंप नहीं मिले। इस कारण देहात में पेयजल संकट गहरा गया। दरअसल, हैंडपंपों के दुरुपयोग को देखते हुए केन्द्र सरकार पूर्व में ही नए हैंडपंप लगाने पर रोक लगा चुकी है। ये है ठेकेदार की जिम्मेदारी
सरकारी हैंडपंप लगाने वाले ठेकेदार पर एक साल तक हैंडपंप के रखरखाव की जिम्मेदारी तय है। इसके बाद ठेकेदार जल निगम को हैंडओवर करते समय नल पूरी तरह चालू दिखाएगा। अगली हैंडओवर की प्रक्रिया जल निगम की तरफ से नगर पालिका और ग्राम पंचायतों को होती हैं। देखरेख की जिम्मेदारी नगर पालिका व ग्राम पंचायत की होती है। 150 की आबादी पर एक हैंडपंप
सरकारी मानकों के अनुसार पूर्व में जहां 250 की जनसंख्या पर एक हैंडपंप लगाया जाता था। अब यह मानक 150 की आबादी पर कर दिया गया है। साथ ही एक हैंडपंप से दूसरे हैंडपंप की दूरी 75 मीटर होनी चाहिए। लेकिन सरकारी मानकों को उस समय ठेंगा दिखा दिया जाता है जब कोई वीआईपी अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए जल निगम को हैंडपंप लगाने का आदेश देता है। वर्जन
देहात में खराब पड़े ऐसे हैंडपंपों का भी सत्यापन कराया जा रहा है जो हैंडपंप खराब हैं उनको तत्काल ठीक कराया जाएगा।
बनवारी सिंह, डीपीआरओ हाथरस।
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वर्जन
ये ठीक है कि हैंडपंप लगवाने का दायित्व जल निगम का है। हैंडपंपों को ग्राम पंचायतों को सौंपने के बाद देखभाल की जिम्मेदारी उन्हीं की है।
आरके शर्मा, अधिशासी अभियंता जल निगम, हाथरस।
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