व्हाट्सएप और फेसबुक ने ली फ्रेंडशिप बैंड की जगह

संवाद सहयोगी, हाथरस : फ्रेंडशिप-डे का क्रेज युवाओं में बरकरार है, लेकिन आधुनिक युग में इसके स्वरू

By Edited By: Publish:Mon, 03 Aug 2015 01:15 AM (IST) Updated:Mon, 03 Aug 2015 01:15 AM (IST)
व्हाट्सएप और फेसबुक ने ली फ्रेंडशिप बैंड की जगह

संवाद सहयोगी, हाथरस : फ्रेंडशिप-डे का क्रेज युवाओं में बरकरार है, लेकिन आधुनिक युग में इसके स्वरूप में बदलाव आया है। मोबाइल, मोबाइल एप्लीकेशन्स व सोशल साइट्स ने फ्रेंडशिप-बैंड के क्रेज को कम किया है। शनिवार रात बारह बजते ही युवाओं ने सोशल साइट्स, व्हाट्स-एप, लाइन, हाइक व अन्य मैसेंजर्स के जरिए अपने मित्रों को शुभकामनाएं दीं। रविवार को भी बधाइयों का सिलसिला बरकरार रहा।

भारत व आस-पास के देशों में अगस्त के पहले रविवार को फ्रेंडशिप-डे के रूप में मनाया जाता है। दक्षिण अमेरिकी देशों में जुलाई के अंत में इस दिन को मनाया जाता है। फ्रेंडशिप-डे की शुरुआत से वर्ष 1919 से बताई जाती है। उस दौरान केवल ग्री¨टग का‌र्ड्स के जरिए ही दोस्ती का इजहार किया जाता था। समय बदलने के साथ इसे मनाने के तौर तरीकों में बदलाव आया है। सोशल साइट्स व मोबाइल एप्लीकेशन्स ने दोस्तों के बीच दूरियों को काफी कम कर दिया है। इंटरनेट के युग में ग्री¨टग कार्ड, गिफ्ट व यहां तक की फ्रेंडशिप बैंड के चलन को काफी पीछे छोड़ दिया है। शनिवार की रात से ही फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्स-एप, वाइबर, लाइन आदि पर बधाइयों का सिलसिला शुरू हो गया। दोस्ती के भाव को दर्शाते संदेश युक्त फोटो, वीडियो व आडियो क्लिप एक-दूसरे को भेजी गईं। दिल को छू लेने वाले संदेशों का सिलसिला रविवार को भी पूरे दिन जारी रहा। दोस्तों ने जीवन भर साथ निभाने व मुसीबत में साथ देने का वायदा किया। फ्रेंडशिप-डे के लोकप्रिय होने में इंटरनेट की भूमिका अग्रणी रही है, जिसने दूरियों को कम किया है।

ऐसा नहीं है कि केवल सोशल साइट्स पर ही इस दिन को मनाया गया। एक ही शहर व आस-पास रहने वाले दोस्तों ने सुनियोजित तरीके से इस दिन को मनाया। दोस्तों ने एक-दूसरे को तोहफे दिए। चाकलेट आदि से दोस्त का मुंह मीठा कराया। यही नहीं देर शाम शहर के रेस्तरां व निजी जगहों पर पार्टियां भी हुईं।

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