कान्वेंट स्कूल को टक्कर दे रहा गांव का परिषदीय विद्यालय

हरदोई परिषदीय विद्यालयों का कायाकल्प हो रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 08 Aug 2020 10:25 PM (IST) Updated:Sun, 09 Aug 2020 06:11 AM (IST)
कान्वेंट स्कूल को टक्कर दे रहा गांव का परिषदीय विद्यालय
कान्वेंट स्कूल को टक्कर दे रहा गांव का परिषदीय विद्यालय

हरदोई: परिषदीय विद्यालयों का कायाकल्प हो रहा है। सरकार की तरफ से तो विद्यालयों में संसाधन मुहैया कराए ही जा रहे हैं, लेकिन कई अध्यापकों ने अपनी दम पर विद्यालयों को मॉडल बना दिया है। बावन विकास खंड का प्राथमिक विद्यालय पिरोजापुर भी ऐसे विद्यालयों में शामिल है। स्मार्ट कक्षाओं में बच्चों को प्रोजेक्टर से शिक्षा दी जाती है। विद्यालय का अपना फेसबुक पेज और यूट्यूब चैनल भी है।

विद्यालय हमेशा से ऐसा नहीं था, इसे केवल अध्यापकों की सोच और मेहनत ने ऐसा बनाया है जोकि कान्वेंट स्कूलों को टक्कर दे रहा है। प्रधानाध्यापक राजीव कुमार सिंह बताते हैं कि 20 जुलाई 2016 को उनकी नियुक्ति हुई थी। सबसे पहले विद्यालय का भौतिक परिवेश आकर्षक बनाया। कक्षाओं में बेंच और बच्चों के लिए झूले का भी इंतजाम कराया गया। विद्यालय की दीवारें तक बच्चों को शिक्षा देती हैं। विद्यालय के शिक्षक-शिक्षिकाओं ने नई नई विधाओं से बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। बच्चों का ठहराव बढ़ा और 130 बच्चों की 95 फीसद तक उपस्थिति रहने लगी। निजी संसाधनों से इन्वर्टर, लैपटॉप और कंप्यूटर व प्रिटर का इंतजाम किया और सीसी कैमरे लगवाए। राजीव सिंह बताते हैं कि बच्चों की हर माह परीक्षाएं कराई जाती हैं। विद्यालय इंग्लिश मीडियम हो गया है। विद्यालय की शिक्षा और व्यवस्था देखकर ही गत शैक्षिक सत्र में कान्वेंट स्कूलों के 30 बच्चों ने विद्यालय में प्रवेश कराया। निजी फंड से बच्चों की करते मदद

विद्यालय के शिक्षक-शिक्षिकाओं ने अपना निजी विद्यालय फंड बना रखा है। जिसमें हर माह वह लोग 500 से उससे अधिक जितनी भी सामर्थ होती है। उतने रुपये जमा करते हैं। इन रुपयों से गरीब परिवारों को बच्चों के लिए पेंसिल, रबड़ या शिक्षण से जुड़ी जो भी सामग्री की जरूरत होती है वह दी जाती है। गांव का प्राथमिक विद्यालय पिरोजापुर शहरों के कान्वेंट स्कूलों को टक्कर दे रहा है। आधुनिक विद्यालयों की स्थापना में सबसे पहले राजीव सिंह ही आगे आए थे और पिरोजापुर पहला मॉडल विद्यालय बना। जिलाधिकारी ने भी विद्यालय को देखकर सराहा था। जिले में बहुत अध्यापक ऐसे हैं जोकि मेहनत से विद्यालयों को मॉडल बना रहे हैं और अध्यापक भी आगे आएं।

-----हेमंत राव, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी

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