मन भाया भारत..खींच लाई दिवाली

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By JagranEdited By: Publish:Sat, 26 Oct 2019 09:51 PM (IST) Updated:Sat, 26 Oct 2019 09:51 PM (IST)
मन भाया भारत..खींच लाई दिवाली
मन भाया भारत..खींच लाई दिवाली

हरदोई : सोशल मीडिया से जगी उत्सुकता के चलते छह साल पहले मॉस्को की नतालिया स्तर्कोवा उर्फ नताशा हरदोई आई। यहां इस रूसी इंजीनियर पर भारतीय संस्कृति ने गहरी छाप छोड़ी। भारत मन भाया तो वो हर साल यहां आने लगीं। इस बार तय वक्त से पहले दिवाली उन्हें खींच लाई है।

नताशा हरदोई में अपनी दोस्त याना के साथ दीपोत्सव मनाएंगी। दोनों शुक्रवार को ही हरदोई पहुंची हैं। यहां वो सरायथोक निवासी अपने फेसबुक फ्रेंड अभिनव द्विवेदी के घर रुकी हैं। शनिवार सुबह नताशा और याना पास के गांव सवायजपुर पहुंचीं। यहां नताशा ने प्राथमिक विद्यालय के बच्चों को योग अभ्यास कराया। 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रभावित होकर योग सीखने वाली नताशा की रूस में भी योग को बढ़ावा देने की योजना है। नताशा और याना दोनों काफी उत्साहित हैं। करीब पौने छह हजार किलोमीटर दूर जिस हर्षोल्लास को वो जीने आई हैं, वही दिवाली का उल्लास सबके साथ उनके सिर चढ़ने लगा है।

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स्कूली बच्चों से पुराना नाता

अभिनव द्विवेदी प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक हैं। वह बताते हैं कि 2013 में बातों-बातों नताशा को अपने स्कूल के बच्चों के बारे में बताया। उनकी प्रतिभा के बारे में जानकर उन्हें अचरज हुआ कि बेहद सीमित संसाधन में गांव के बच्चे ऐसा कैसे कर रहे हैं। उन्होंने मेरे स्कूल को देखने की इच्छा जताई। कुछ दिन बाद वो सर्दियों में हरदोई आई। उन्हें अपने गाव के प्राथमिक विद्यालय मुड़रामऊ और फिर नागामऊ लेकर गया। उन दिनों बच्चों को स्वेटर नहीं मिलते थे। वो तरह-तरह का बस्ता लेकर स्कूल आते थे। नताशा ने बच्चों के लिए कुछ करने की इच्छा जताते हुए बैग और स्वेटर मंगाए गए। इसके बाद हर साल वो यहां आती रहीं।

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हिदी, बिंदी और सिंदूर

नताशा ने भारतीय संस्कृति को करीब से जानने-समझने के लिए रूस में एथेलीना प्रोनीना से हिंदी सीखी। अब वह न सिर्फ फर्राटेदार हिंदी बोलती हैं बल्कि लिख भी लेती हैं। उनकी सहेली याना को हिंदी नहीं आती लेकिन, नताशा के साथ होने के चलते उन्हें जरा भी दिक्कत पेश नहीं आती। नताशा के सहारे याना लोगों से खूब बातें करती हैं। ऐसे ही बातों-बातों में बिंदी और सिंदूर को सुहाग की निशानी जाना तो याना ने माथे पर बिंदी और माग में सिंदूर सजा लिया। गले में रुद्राक्ष की माला पहने पारंपरिक वेशभूषा वाली याना और नताशा को स्कूल के मैदान में ध्यानमग्न देखकर हर कोई उनके बारे में जानने को उत्सुक हो जाता है।

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