सिस्टम का मारा किसान, सम्मान निधि को परेशान

20 सससससससससससससससससससस दिया जाए। जिले की यह है स्थिति जिले के कुल छह लाख

By JagranEdited By: Publish:Wed, 20 Feb 2019 11:08 PM (IST) Updated:Wed, 20 Feb 2019 11:08 PM (IST)
सिस्टम का मारा किसान, सम्मान निधि को परेशान
सिस्टम का मारा किसान, सम्मान निधि को परेशान

प्रकरण एक: कछौना क्षेत्र के ओनवा निवासी रामखेलावन की तीन वर्ष पहले मौत हो गई थी। तो पड़री मजरा हथौड़ा निवासी रामखेलावन की सात वर्ष पहले मौत हो गई थी, लेकिन उनकी पत्नी व पुत्रों की विरासत अभी तक दर्ज नहीं हो सकी है। वह लोग पहले से ही परेशान हैं अब किसान सम्मान में उनका नाम नहीं आ पाएगा। अनंगपुर निवासी राजरानी के पति प्यारेलाल की भी एक वर्ष पहले मौत हो गई थी। उनका कहना है कि लेखपाल ने गलत वरासत दर्ज कर दी। जिसके बाद से परिवार चक्कर लगा रहा है, लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई।

प्रकरण दो: पचदेवरा क्षेत्र के अनंगपुर निवासी किसान नेमपाल, शिवराम, रघुवीर, मदनपाल, भभूती, रामजी, विनोद और रामनिवास आदि किसानों घोषणा पत्र लिए घूम रहे हैं। किसानों का कहना है कि लेखपाल के पास जाते हैं, तो कोई न कोई कमी निकाल कर वापस कर देते हैं। कह देते हैं कि फार्म में कमी है, सही कराकर लाओ और वही फार्म जो फार्म लेखपालों के साथ काम करने वाले लोगों के माध्यम से जमा किए जाते हैं, उन्हें लेखपाल बिना किसी कमी के जमा कर लेते हैं। कोथावां और भरावन क्षेत्र का भी यही हाल है।

प्रकरण तीन: बावन क्षेत्र के पुरौरी गांव में लेखपाल ने अपने कुछ खास आदमी लगा रखे हैं। वहीं फार्म जमा कर रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि प्रति फार्म रुपये मांगे जाते हैं और रुपये न देने वाले के फार्म जमा नहीं होती। बावन के सकतपुर समेत कई गांवों की यही दशा है। लेखपालों ने अपने का¨रदे लगा रखे हैं जोकि किसानों से फार्म जमा करते हैं। जागरण संवाददाता, हरदोई: सरकार की महत्वाकांक्षी योजना प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि को किसान ही परेशान हैं। सत्यापन के नाम पर उनका शोषण हो रहा है। व्यवस्था के अनुसार घोषणा पत्र भरवाने के लिए पंचायत कर्मी भी लगाए गए हैं। लेखपालों को गांव गांव जाकर किसानों से घोषणा पत्र भरवाने हैं और उनके द्वारा दी गई जानकारी का अपने पास मौजूद अभिलेखों से सत्यापन करना है, लेकिन कुछ क्षेत्रों को छोड़ दें तो कहीं पर भी ऐसा नहीं हो रहा है। खबर में शामिल तीन प्रकरण तो महज समझाने के लिए हैं। सैकड़ों किसान ऐसे हैं जिनकी विरासत दर्ज नहीं हो सकी। अब उनके नाम खेत नहीं आया तो वह घोषणा पत्र नहीं भर सकते हैं। तो गांवों में लेखपाल खुद नहीं जाते, उन्होंने हर गांव में अपने आदमी लगा रखे हैं जोकि लेखपाल के एजेंट का काम कर मनमानी करते हैं। जिससे किसान परेशान होकर दर दर भटक रहे हैं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है।

किसान बोले, बंद हो वसूली

जिले में लक्ष्य से अधिक काम किया गया, इससे लेकर किसान खुश हैं, लेकिन किसानों का कहना है कि अगर सख्ती कर उनकी परेशानी रोक दी जाए तो और अच्छा रहे। गांवों में किसान परेशान हो रहे हैं, मजबूर होकर जो मांगा जाता देना पड़ता इस पर भी ध्यान दिया जाए। जिले की यह है स्थिति

जिले के कुल छह लाख 83 हजार नौ किसानों का सत्यापन कराया जा रहा है। नोडल अधिकारी उप कृषि निदेशक डा. आशुतोष मिश्र के अनुसार बुधवार तक दो लाख 46 हजार 700 किसानों का सत्यापन कर उनके नाम फीड कर दिए गए हैं। वहीं दो लाख सात हजार किसानों का प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि पोर्टल पर नाम फाइनल कर लाक कर दिया गया है। यानी कि यह सम्मान निधि के पूरी तरह से हकदार हो गए हैं। लक्ष्य से आगे निकला जिला

किसान सम्मान निधि के लिए जिला अच्छा काम कर रहा है। वैसे तो सवा लाख किसानों का 24 फरवरी तक का लक्ष्य दिया गया था लेकिन जिलाधिकारी की सक्रियता से लक्ष्य से काफी अधिक किसान फीड हो चुके हैं। जिलाधिकारी पुलकित खरे ने कहा कि अगर किसी ने रुपये लिए तो उसके विरुद्ध एफआइआर दर्ज होगी।

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