जिदादिली से बीमारी को हराया, अब दूसरों का बांट रहे दर्द

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By JagranEdited By: Publish:Mon, 03 Feb 2020 10:12 PM (IST) Updated:Mon, 03 Feb 2020 10:12 PM (IST)
जिदादिली से बीमारी को हराया, अब दूसरों का बांट रहे दर्द
जिदादिली से बीमारी को हराया, अब दूसरों का बांट रहे दर्द

हरदोई: जिदादिली जिदगी का सबसे बड़ा मंत्र है। कैंसर असाध्य बीमारी मानी जाती है। नाम से लोग कांप जाते हैं, लेकिन हिम्मत और जज्बा इस असाध्य बीमारी को भी परास्त कर सकता है। जिले में एक दो नहीं ऐसे कई पीड़ित हैं जिन्होंने अपनी हिम्मत से इसे पराजित कर दिया। सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. जयराम गुप्ता और पवन कश्यप इसकी प्रत्यक्ष नजीर हैं। जरूरतमंदों की मदद और हंसता चेहरा देखकर बीमारी दूर भाग गई।

धर्मशाला मार्ग निवासी सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. जयराम गुप्ता ने तो दूसरों की मदद से बीमारी को हरा दिया। जीडीसी से सेवानिवृत्त होने के बाद 12 दिसंबर 2008 को उन्होंने नारायण सेवा समूह का गठन कर जरूरतमंदों को भोजन खिलाना शुरू किया। कैंसर जैसी बीमारी ने उनकी राह रोकने का प्रयास किया पर अपने जज्बे से उन्होंने उसे मात दिया। तीन अगस्त 2010 को उन्होंने ऑपरेशन कराया। परिवार जन बताते हैं कि जब वह ऑपरेशन कक्ष में जा रहे थे, उसी समय फोन कर लोगों को खाना खिलाने की बात कही थी। दूसरों का दर्द बांटते बांटते उनकी बीमारी ही दूर हो गई। अब रोजाना 31 लोगों को भोजन कराने के बाद ही कुछ खाते हैं।

दूसरी तरफ जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय के लिपिक पवन कश्यप ने जिस तरह जिदादिली से बीमारी पर जीत हासिल की वह नजीर है। दर्द के बादल हृदय में जब भी गरजेंगे, सच कहूं तब तब विरह के गीत बरसेंगे, गीतों से तो उन्होंने अपना दर्द भुलाया और बीमारी को पूरी तरह पराजित कर दिया। वर्ष 2005 में उन्हें कैंसर का पता चला। बड़े बड़े डर गए लेकिन उन्होंने न केवल खुद को मजबूत किया बल्कि परिवार का भी हौसला बढ़ाया। दिन में कार्यालय और रात में मंचों पर श्रृंगार का गीत गाने वाले पवन कश्यप ने बीमारी को पूरी तरह से मात दिया। बुजुर्ग डॉ. जयराम गुप्ता और युवा पवन कश्यप तो बस नजीर हैं। जिले में ऐसे कई जिदा दिल हैं जिन्होंने अपने जज्बे से कैंसर को परास्त कर दिया। चिकित्सक डॉ. सीपी कटियार बताते हैं कि बीमारी कोई भी हो लेकिन आत्मबल सबसे बड़ा उपचार होता है। अगर मरीज हिम्मत हार जाता है तो बीमारी हावी हो जाती है।

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