पहली, आखिरी तारीख को नहीं मिलेंगे सिलेंडर

हरदोई, जागरण संवाददाता : महीने के शुरू और अंत में रसोई गैस सिलेंडर खत्म होने पर उपभोक्ताओं को रसोई क

By Edited By: Publish:Thu, 02 Jul 2015 01:04 AM (IST) Updated:Thu, 02 Jul 2015 01:04 AM (IST)
पहली, आखिरी तारीख को नहीं मिलेंगे सिलेंडर

हरदोई, जागरण संवाददाता : महीने के शुरू और अंत में रसोई गैस सिलेंडर खत्म होने पर उपभोक्ताओं को रसोई की जरूरत के लिए बु¨कग के बाद भी रिफिल नहीं मिल पाएगी। ऐसे में उन्हें रसोई के लिए सिलेंडर की व्यवस्था किसी परिचित या बाजार से खुले मूल्य पर करनी पड़ सकती है। पेट्रोलियम कंपनियों ने माह की पहली और अंतिम तारीख को एजेंसियों को लोड यानी कि भरे सिलेंडर देने बंद कर दिए हैं।

रसोई गैस पर सब्सिडी और मोबाइल से बु¨कग की व्यवस्था की पहल से उपभोक्ताओं ने सोच समझकर ही रिफिल बुक करानी शुरू की है। वहीं समय से होम डिलीवरी न मिलने से उपभोक्ताओं को बु¨कग के बाद कई-कई दिनों तक रिफिल का इंतजार करना पड़ता है। वहीं दूसरी ओर पेट्रोलियम पदार्थों के मूल्य नियंत्रण स्वतंत्र होने से बाजार मूल्य में समय-समय पर परिवर्तन होते रहते हैं। पेट्रोलियम कंपनियों ने माह के अंत मे कीमतों में होने वाले परिवर्तन को देखते हुए एजेंसियों को माह की आखिरी और पहली तारीख को लोड देना बंद कर दिया है। जिससे एजेंसियों पर लोड न आने से उपभोक्ताओं को बु¨कग के सापेक्ष होम डिलीवरी भी नहीं मिल पाती है।

माह की आखिरी और पहली तारीख को होने वाली होम डिलेवरी न होने से एजेंसियों पर भी बैकलाग बढ़ जाता है। जिससे माह के अंत में खत्म होने वाले सिलेंडर के उपभोक्ताओं को रसोई की जरूरत के लिए सिलेंडर की वैकल्पिक व्यवस्था न होने पर दौड़ भाग और एजेंसी की न के बाद किसी परिचित की याद आती है। परिचित के यहां सिलेंडर मिल गया तो ठीक नहीं तो बाजार में खुले मूल्य पर सिलेंडर लेना मजबूरी बन जाता है। उपभोक्ताओं का कहना है कि मूल्य में होने वाले परिवर्तन के चक्कर में आम आदमी को परेशानी उठानी पड़ती है। वहीं एक एजेंसी के संचालक का कहना है कि माह की आखिरी और पहली तारीख को लोड न मिलने से उनकी होम डिलेवरी की व्यवस्था ही बिगड़ जाती है। दो तारीख को मिलने वाले लोड से बैकलाग की पूर्ति संभवन नहीं हो पाती है और सभी उपभोक्ताओं को सिलेंडर मिलना संभव नहीं हो पाते हैं।

वहीं जिला पूर्ति अधिकारी कुमार निर्मलेंदु का कहना है कि पेट्रोलियम कंपनियों की पालिसी है, इसमें शासन स्तर से ही कोई बदलाव संभव है।

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