UP: अब बिन छूए भी बजा सकेंगे मंदिर की घंटी, भक्तों को नहीं होगा संक्रमण का खतरा
अतुल जैन बताते हैं कि मंदिर में ऑटोमेटिक घंटी लगने के बाद उम्मीद है कि अन्य मंदिरों में भी ऐसा ही घंटी लगाए जाने पर विचार किया जाएगा।
हापुड़ [गौरव भारद्वाज]। कोरोना काल में बंदिशें भले ही हट रही हैं, लेकिन सतर्कता-सजगता आवश्यक है। मंदिरों में भी भीड़ जुटने लगी है। लोग शारीरिक दूरी का पालन करते हुए दर्शन लाभ उठा रहे हैं, किंतु थोड़ी सी असावधानी भारी पड़ सकती है। यही सोचकर हापुड़ निवासी नवोन्मेषी अनुल जैन ने मंदिर की घंटी से फैल सकने वाले संक्रमण से बचाव का समाधान खोज निकाला।
अतुल ने बिना छूए बजने वाली घंटी तैयार की है। इसमें सेंसर लगा हुआ है, जो हाथ का इशारा पाते ही मंदिर की घंटी में लगाए गए उपकरण को सक्रिय कर देता है, जिससे बिना छूए ही घंटी बजने लगती है।
हापुड़ के मोहल्ला चायकमाल निवासी अतुल जैन 10वीं पास हैं। विभिन्न स्थानों पर लगने वाली प्रदर्शनियों में भाग लेकर माल बेचते हैं। समाज सेवा के कार्यो में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। अतुल बताते हैं कि पिछले दिनों दैनिक जागरण में खबर प्रकाशित हुई थी कि मंदिरों में भक्त कोरोना के चलते घंटी नहीं बजा सकेंगे, क्योंकि इससे संक्रमण का खतरा हो सकता है।
इस खबर को पढ़कर सेंसरयुक्त घंटी बनाने का आइडिया आया। एक आईआर सेंसर खरीदा। इसके सामने आते ही वह संकेत देने लगता है। बोर्ड के पास घंटा और सेंसर लगाकर कोशिश की। सेंसर के सामने हाथ करते ही घंटा अपने आप बजने लगा। इसके बाद उसमें टाइमर लगाया ताकि कुछ ही देर के लिए घंटा बजे। इसे बनाने में लगभग 12 हजार की लागत आई है। सबसे पहले इसे शहर के महावीर दल हनुमान मंदिर में लगाया गया है। घंटी बजाने वाली सेंसरयुक्त यह मशीन बिजली और बैटरी दोनों से चलती है। घंटी के नीचे जितनी बार हाथ घुमाएंगे, उतनी बार ही बजेगी। हापुड़ के मंदिर के बाद दिल्ली के सूरजमल विहार स्थित जैन मंदिर में भी मशीन लगाई है।
मंदिर समिति के प्रधान अजय अग्रवाल बताते हैं कि तीन महीने बाद मंदिर खुलते ही भक्तगण अपने इष्टदेव हनुमान का दर्शन करने पहुंचने लगे हैं, भक्तों को इस बात की निराशा होती थी कि मंदिर में लगी घंटी को रस्सियों से बांध दिया गया है ताकि कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा न हो। अतुल ने मंदिर में ऑटोमेटिक घंटी दान करने का प्रस्ताव रखा। जिसे समिति ने स्वीकार कर लिया।
जनपद में यह पहला मंदिर है, जहां भक्तों को घंटी बजाने के लिए उसे हाथ से छूने की आवश्यकता नहीं। अतुल जैन बताते हैं कि मंदिर में ऑटोमेटिक घंटी लगने के बाद उम्मीद है कि अन्य मंदिरों में भी ऐसा ही घंटी लगाए जाने पर विचार किया जाएगा।