जनपद के सरकारी अस्पतालों में नहीं आग से बचाव के समुचित प्रबंध

फायर सेफ्टी सिस्टम के पुख्ता इंतजाम नहीं होने के कारण लगातार अस्पतालों में आग लगने के मामले सामने आ रहे हैं। इसके बावजूद शासन-प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग गहरी नींद से नहीं जागा हैं। जिले में संचालित एक भी सरकारी हॉस्पिटल को अग्निशमन द्वारा एनओसी प्राप्त नहीं हैं और ना ही अस्पतालों में आग बुझाने के बेहतर संसधान उपलब्ध हैं।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 18 Dec 2018 07:47 PM (IST) Updated:Tue, 18 Dec 2018 07:47 PM (IST)
जनपद के सरकारी अस्पतालों में नहीं आग से बचाव के समुचित प्रबंध
जनपद के सरकारी अस्पतालों में नहीं आग से बचाव के समुचित प्रबंध

जागरण टीम, हापुड़ : आग से बचाव के समुचित प्रबंध नहीं होने के कारण जनपद के अधिकतर सरकारी अस्पतालों में बड़ी दुर्घटना होने की आशंका बनी हुई है। इसके बावजूद प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग गहरी नींद में सोया है। जनपद में संचालित एक भी सरकारी अस्पताल आग बुझाने के समुचित प्रबंध नहीं है। यदि किसी कारणवश अस्पताल आग लग जाती है तो जान और माल का बड़ा नुकसान हो सकता है। जनपद में छह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और 27 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। इनमें 24 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ग्रामीण क्षेत्र में हैं।

मंगलवार को दैनिक जागरण टीम ने सरकारी अस्पतालों का जायजा लिया। हापुड़ के दो मंजिले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में आग से बचाव के लिए केवल एक उपकरण लगा मिला। इस अस्पताल में प्रतिदिन सैकड़ों मरीजों उपचार कराने आते हैं। लगभग बिस्तर वाले इस अस्पताल में आमतौर पर लगभग 40-50 रोगी हर समय भर्ती रहते हैं। यहीं हालात पिलखुवा में पबला रोड स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और रेलवे रोड स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में देखने को मिले। दोनों अस्पतालों में आग बुझाने के उपकरणों के नाम पर केवल खानापूर्ति की गई है। दोनों अस्पतालों में आग से बचाव के लिए केवल मात्र एक-एक उपकरण लगा हुआ मिला। यह ¨चता का विषय है कि यदि अस्पताल में किसी कारणवश आग लगने की दुर्घटना हो जाए तो एक उपकरण के भरोसे अस्पताल मे जानमाल की हानि होने से कैसे रोका जा सकेगा। शासन ने नेशनल बि¨ल्डग अधिनियम के अंतर्गत सभी सरकारी अस्पतालों में सुरक्षा के पर्याप्त उपकरण की व्यवस्था करने के निर्देश दिए हुए हैं। इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग आंखे मूंदे हैं। ¨सभावली स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में आग बुझाने के इंतजाम बेहतर नजर नहीं आए। यहां आग से बचाव के लिए लगाया गया उपकरण खराब मिला। केंद्र के प्रभारी शशी भूषण का कहना है कि उपकरण की मरम्मत कराने के लिए कंपनी को लिखा जा चुका है। अधिकतर अस्पतालों में वाटर टैंक भी नहीं बने है। फायर आलर्म भी बंद पड़े थे। -क्या है नियम

नियमानुसार दस गुणा दस वर्ग मीटर में आग से बचाव का एक उपकरण लगा होना चाहिए। प्रत्येक वर्ष उसकी कार्यरत होने की जांच की जानी चाहिए। खराब होने पर उसे तुरंत बदला जाना चाहिए। इसके अलावा अस्पताल कर्मियों को समय-समय पर उपकरण चलाने का प्रशिक्षण भी दिया जाना चाहिए। -क्या कहते हैं अधिकारी

हल में बनाए गए सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में आग से बचाव के समुचित प्रबंध किए गए हैं। पुराने अस्पतालों में अभी कमी है। इसके लिए अग्निशमन विभाग से बजट तैयार कराकर शासन को भेजा जा चुका है। बजट पारित होते ही कार्य शुरू कर दिया जाएगा।

--राजबीर ¨सह मुख्य चिकित्साधिकारी अस्पतालों का कई बार निरीक्षण किया जा चुका है। उनमें आग से बचाव के समुचित प्रबंध नहीं पाए गए। इस संबंध में सक्षम अधिकारियों को नोटिस दिया जा चुका है। दोबारा निरीक्षण कर स्थिति की जानकारी ली जाएगी और समुचित प्रबंध नहीं मिले तो कार्रवाई की जाएगी।

--अनिमेष ¨सह, जिला अग्निशमन अधिकारी

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