रमजान माह में बुरी आदतें त्यागें : कारी सदाकत

संवाद सहयोगी, गढ़मुक्तेश्वर : रमजान-उल-मुबारक का महीना खैर-ओ-बरकत का महीना है। इस माह

By JagranEdited By: Publish:Tue, 22 May 2018 05:55 PM (IST) Updated:Tue, 22 May 2018 05:55 PM (IST)
रमजान माह में बुरी आदतें 
त्यागें : कारी सदाकत
रमजान माह में बुरी आदतें त्यागें : कारी सदाकत

संवाद सहयोगी, गढ़मुक्तेश्वर : रमजान-उल-मुबारक का महीना खैर-ओ-बरकत का महीना है। इस माह में इबादत के साथ-साथ खैरात भी करनी चाहिए। इस माह में जो लोग रोजा रखते हैं, वे सीधे खुदा से जुड़ जाते हैं। मुस्लिम समुदाय में रोजा हर इंसान के जीवन का एक हिस्सा मात्र ही नहीं है बल्कि खुदा की सच्ची इबादत है। सभी रोजेदारों को रमजान के पाक माह में बुरी आदतों को त्यागकर अच्छी आदतें अपनानी चाहिए।

रमजान को दूसरों के गम बांटने का महीना भी माना जाता है। आम दिनों की तुलना में रमजान के दौरान खुदा की इबादत और रोजा रखने का एक अलग महत्व होता है। इस दौरान सभी को अपने चारों ओर नजर दौड़ानी चाहिए। यदि पड़ोसी गरीब है और इसके बावजूद वह खुदा की इबादत सच्ची लगन से कर रहा है तो उसकी मदद करनी चाहिए। रोजे का मतलब होता है कि स्वयं पर नियंत्रण करना, गलत कमाई में लिप्त न होना। ईमान की कमाई से इंसान की तरक्की होती है। भौतिक सुख-सुविधाओं से कभी अल्लाह की इबादत नहीं हो सकती है।

रमजान में इंसान को सुधरने के लिए कई मौके मिलते हैं। इस माह में उसे खुद को सुधार कर नेकी की राह पर चलना चाहिए। इसके साथ ही इफ्तार और सहरी के समय गरीबों का भी ध्यान रखना जरूरी है। यदि इंसान सबके साथ मिल बांटकर खाता है, तभी उसकी बरकत होती है।

कारी सदाकत अली, मदरसा सरूरपुर

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