गंगा दे रही है पथरी का दर्द
राजीव जौहर, हापुड़: गंगा-यमुना की अविरल धारा दोआब क्षेत्र को सिंचित ही नहीं कर रही बल्कि बीमारी का
राजीव जौहर, हापुड़:
गंगा-यमुना की अविरल धारा दोआब क्षेत्र को सिंचित ही नहीं कर रही बल्कि बीमारी का दंश भी दे रही है। इस क्षेत्र के भूगर्भीय जल में ऐसे तत्व मिल रहे हैं, जिससे पथरी रोग बढ़ रहा है। चिकित्सीय क्षेत्र में इस इलाके को स्टोन जोन कहा जाने लगा है।
पहाड़ों के ग्लेश्यिर से नदियों में आने वाले पानी में फ्लोराइड, कैल्शियम, ओक्जीलेट, जिंक, सिल्वर, प्रोटीन, कार्बोनेट और ऐसे ही अन्य कार्बनिक तत्व व खनिज भी होते हैं। जो खनिज या तत्व जितना भारी होता है, वह पानी का प्रवाह छोड़कर उतनी ही जल्दी नदियों से भूगर्भ में रिसकर जा रहे पानी में मिल जाता है। जो तत्व जितने हल्के होते हैं वे पानी के प्रवाह के साथ उतने ही आगे निकल जाते हैं। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि जहां शरीर को ऐसे खनिज व कार्बनिक तत्वों की आवश्यकता है, वहीं उनकी अधिकता से ही शरीर के विभिन्न हिस्सों में पथरी यानि स्टोन की शिकायत बनती है। ऐसे में गाजियाबाद, मेरठ और बुलंदशहर जनपद उसी क्षेत्र में आते हैं जहां गंगा जमना के पानी में शामिल ये तत्व रुक जाते हैं जो शरीर में पथरी को जन्म दे रहे हैं। ओक्जीलेट और फ्लोराइड जैसे तत्व भूगर्भ में जा रहे पानी के साथ भूगर्भीय जल में पहुंच रहे हैं। इसी जल को लोग विभिन्न माध्यमों से पी रहे हैं। ऐसे में इस क्षेत्र के लोगों को पथरी का खतरा बढ़ गया है। रेडियोलोजिस्ट डा. नरेंद्र केन कहते हैं कि क्षेत्र में कुल मरीजों में से लगभग दस प्रतिशत पथरी से ही ग्रस्त होते हैं। इसके लिए गंगा-यमुना का जल ही प्रमुख कारण है। चालीस वर्ष की उम्र तक आते-आते काफी लोगों में पथरी की शिकायत हो जाती है।
पथरी का समय से पता चलने पर बच सकते हैं आपरेशन से
शरीर के विभिन्न हिस्सों जैसे किडनी व पित की थैली में पथरी का विकास धीरे-धीरे होता है। आमतौर पर किडनी की दो से चार एमएम की पथरी को दवाओं के सहारे बिना आपरेशन के ही निकाला जा सकता है। लेकिन उसका आकार बड़ा होने पर आपरेशन के लिए मजबूर होना पड़ सकता है। दरअसल, पथरी शरीर में समय के साथ बड़ी होती रहती है। लेकिन मरीज को इसका अहसास तब होता है, जब वह अपने स्थान से हिलती है और वहां घाव कर देती है। ऐसे में असहनीय दर्द होता है और आपरेशन ही एक रास्ता बचता है।