डॉक्टर के घर बैलगाड़ी से विदा होकर पहुंची इंटीरियर डिजायनर बहू, अनोखी विदाई को देखने उमड़ी भीड़

UP News लग्जरी कार में विदाई करने वाले भी अब पुरानी परंपरा को जिंदा रखना चाहते हैं। इसके लिए रविवार को कस्बे के प्रतिष्ठित घराने की इंटीरियर डिजायनर बेटी को उसके पिता ने बैलगाड़ी में बिठाकर दो किलोमीटर दूर स्थित ससुराल विदा किया। अनोखी विदाई को देखने के लिए सैकड़ों की भीड़ मौजूद रही। लड़की के पिता भाजपा नेता भी हैं।

By Rajeev Trivedi Edited By: Abhishek Pandey Publish:Mon, 04 Mar 2024 08:29 AM (IST) Updated:Mon, 04 Mar 2024 08:29 AM (IST)
डॉक्टर के घर बैलगाड़ी से विदा होकर पहुंची इंटीरियर डिजायनर बहू, अनोखी विदाई को देखने उमड़ी भीड़
डॉक्टर के घर बैलगाड़ी से विदा होकर पहुंची इंटीरियर डिजायनर बहू, अनोखी विदाई को देखने उमड़ी भीड़

संवाद सहयोगी, राठ। लग्जरी कार में विदाई करने वाले भी अब पुरानी परंपरा को जिंदा रखना चाहते हैं। इसके लिए रविवार को कस्बे के प्रतिष्ठित घराने की इंटीरियर डिजायनर बेटी को उसके पिता ने बैलगाड़ी में बिठाकर दो किलोमीटर दूर स्थित ससुराल विदा किया।

अनोखी विदाई को देखने के लिए सैकड़ों की भीड़ मौजूद रही। राठ कस्बे में रहने वाले भाजपा नेता व पूर्व जिलाध्यक्ष प्रीतम सिंह किसान ने कस्बे के हमीरपुर रोड स्थित अपने ही गेस्ट हाउस से बेटी का विवाह कार्यक्रम शुक्रवार को आयोजित किया था।

प्रीतम सिंह ने बताया कि इंटीरियर डिजायनर बेटी रुचि सिंह राजपूत की शनिवार रात पठानपुरा मुहल्ला निवासी डा. कनिष्क माहुर के विवाह संपन्न कराया गया। इसके बाद रविवार बेटी की विदाई के लिए बैलगाड़ी को फूलों से सजाया गया। विवाह की सभी रस्म पूरी होने के बाद भाजपा नेता ने नम आंखों से बैलगाड़ी में बैठाकर बेटी रुचि की विदाई की।

कस्बे में जैसे ही सजी हुई बैलगाड़ी से विदाई होने की बात फैली कस्बे के लोग वहां एकत्र हो गए और फूलों की वर्षा की। वहीं विदाई स्थल से दो किलोमीटर दूर स्थित ससुराल तक बैलगाड़ी से रास्ता तय किया गया। जिसमें करीब 40 मिनट का समय लगा और पूरे रास्ते लोगों में इसे देखने की होड़ रही।

भाजपा नेता प्रीतम सिंह किसान ने बताया कि बेटी की ससुराल महज दो किलोमीटर दूर है। स्वजन व रिश्तेदारों से चर्चा करने के बाद तय हुआ कि बेटी की शादी को यादगार बनाएंगे और इससे दूसरों को प्रेरणा भी देंगे।

उन्होंने बताया कि बैलगाड़ी किसानों का महत्वपूर्ण साधन रही है। समय के साथ लोगों ने इसे भुला दिया। सभी लोग कार की जगह बैलगाड़ी से अपनी बेटी की विदाई करें। जिससे किसानों की अतिरिक्त आमदनी होगी और गोवंश के संरक्षण को बल मिलेगा।

तीन बार लड़े चुनाव, मिली हार

किसानों के बीच पकड़ बनाने वाले भाजपा नेता प्रीतम सिंह किसान एक बार विधानसभा और दो बार लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। प्रीतम सिंह किसान ने अपनी राजनीति का सफर भाजपा पार्टी से शुरू किया था। 2007 में भाजपा की टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़े थे। जिसमें उन्हें हार मिली थी।

2009 में भाजपा की टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ा था। उसमें भी उन्होंने हार का सामना किया था। इसके बाद 2014 में भाजपा से टिकट न मिलने पर उन्होंने कांग्रेस से टिकट लेकर लोकसभा का चुनाव लड़ा और हार गए थे। चुनाव हारने के बाद दोबारा प्रीतम सिंह किसान ने भाजपा की सदस्यता ले ली थी। वर्तमान में वह भाजपा में हैं।

chat bot
आपका साथी