महंगाई ने छीना गरीबों का निवाला

By Edited By: Publish:Tue, 29 Jul 2014 01:44 AM (IST) Updated:Tue, 29 Jul 2014 01:44 AM (IST)
महंगाई ने छीना गरीबों का निवाला

राठ, संवाद सहयोगी : बारिश और आसमान छू रही महंगाई ने गरीब मजदूरों के मुंह का निवाला छीन लिया है। वहीं मजदूरों को काम नहीं मिल रहा और खाली जेब से गृहस्थी की गाड़ी नहीं चल पा रही है।

बाजार पर महंगाई की चारो ओर मार है। इधर बारिश शुरू होते ही भवनों आदि का निर्माण कार्य पूरी तरह से ठप हो गया है। इसका गहरा प्रभाव रोजनदारी वाले मजदूरों के परिवारों पर पड़ा है। उधर सब्जियों के भाव भी बेलगाम हो चुके हैं। ऐसे में गरीब मजदूर अपने परिवार के भरण पोषण के लिए मोहताज हो गए हैं और काम न मिलने से जेब खाली हो चुकी है इस कारण महंगी सब्जी खरीदना भी गरीबों को मुश्किल हो गया है। जिस घर में एक व्यक्ति मजदूरी कर कमाने वाला है और चार छोटे बच्चे खाने वाले हैं, वह अपने परिवार का भरण पोषण कैसे कर सकता है। उधर सरकारी राशन की दुकानों से मिलने वाला गेहूं व चावल मजदूर परिवारों के लिए ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहा है। ज्यादातर मजदूरों के घरों में एक समय नमक रोटी और चावल से गुजारा होता है और दूसरे जून में उन्हें खाली पेट रहना पड़ता है। बारिश के कारण मजदूरी कार्य न मिलने से ज्यादातर मजदूर भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं। महंगाई के चलते आलू के साथ टमाटर की सब्जी लोगों को नसीब नहीं हो पा रही है।

सब्जियों के भाव छू रहे आसमान

सब्जी मंडी में ऐसे दृश्य देखे जा सकते हैं कि ग्राहक भाव सुनते ही मायूस हो जाता है। आलू 20 रुपये प्रति किलो, प्याज 30, टमाटर 80, हरी धनिया 200 प्रति किलो, पड़ौरा 120, बैगन 30, भिंडी 30, परवल 40, कटहल 10 रुपये प्रति किलो आदि बिक रहे हैं। भला ऐसे में गरीब मजदूर अपने परिवार का भरण पोषण कैसे कर पाएंगे।

लोगों ने बयां किया दर्द

मजदूरी करने वाले लालता, मैइयादीन, बाबूलाल, बोदा, गनेशी, बब्बू, कालीचरन, हलकांई, टूंटी, मिचूवां आदि ने बताया कि पिछले एक माह में उन्हें बमुश्किल चार पांच दिन ही काम मिला है। मजदूरी कार्य न मिलने और महंगाई चरम पर पहुंचने से परिवार का पेट भर पाना मुश्किल हो रहा है।

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