गोरखपुर में सड़कों को नया रूप देगी यह तकनीक, जानें-कहां बनने की चल रही तैयारी Gorakhpur News
गोरखपुर शहर के मिर्जापुर रोड या रेती से लेकर नखास चौक तक का रोड इसका सफल उदाहरण हैं। गोरखपुर में 32 प्रोजेक्टों पर इस विधि से कार्य कराया जा रहा है।
गोरखपुर, जेएनएन। सड़कों पर जहां देखो गड्ढे नजर आते हैं। ये गड्डे मुसाफिरों के लिए मुसीबत बन चुके हैं। वाहनों के बढ़ते दबाव के चलते सड़कें जल्दी खराब हो रही हैं। ह्वाइट टापिंग तकनीक सड़कों को नया रूप देगी। इससे बनी सड़कों में 30 फीसद खर्च अधिक होगा, लेकिन ये सड़कें 20-25 साल चलेंगी।
शहरी सड़कों का बुनियादी ढांचा तेजी से विकृत
यह बातें पीडब्लूडी के पूर्व मुख्य अभियंता पंकज बकाया ने कही। वह यहां मोहद्दीपुर स्थित एक होटल में इंडियन कंक्रीट इंस्टीट्यूट के तत्वावधान में आयोजित व्हाइट टापिंग कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मौजूदा शहरी सड़कों का बुनियादी ढांचा तेजी से विकृत हो रहा है। देश की सड़कों को ज्यादा टिकाऊ बनाने के लिए टापिंग सर्वोत्तम उपाय है। मिर्जापुर रोड या रेती से लेकर नखास चौक तक का रोड इसका उदाहरण है। गोरखपुर में नगर निगम 32 प्रोजेक्टों पर इस विधि से कार्य करा रहा है।
क्या है ह्वाइट टापिंग तकनीक
इस तकनीक के अंतर्गत कंक्रीट से सड़कों को बनाया जाता है। तारकोल वाली सड़कों को बिना तोड़े सिर्फ ऊपरी लेयर मशीन की सहायता से हटा दी जाती है, सड़क खुरदरी हो जाती है। उसके ऊपर कंक्रीट से सड़क बना दी जाती है। तारकोल की सड़कों में मेंटीनेंस ज्यादा होता है और चलती कम हैं, इस वजह से इनकी लागत ह्वाइट टापिंग सड़कों से लगभग दूना पड़ती है। जबकि ह्वाइट टापिंग सड़क बनाने में एक बार तारकोल वाली सड़क की अपेक्षा 30 फीसद खर्च ज्यादा आता है।
सभी जलजमाव वाले क्षेत्रों में ह्वाइट टापिंग की ही सड़क बनेगी
इस संबंध में नगर निगम के मुख्य अभियंता सुरेश चंद का कहना है कि अब सभी जलजमाव वाले क्षेत्रों में ह्वाइट टापिंग सड़क ही बनाई जा रही है। अभी हाल में भालोटिया मार्केट में यही सड़क बनाई गई। इसके अलावा मिर्जापुर, रेती, शाहपुर, रामजानकी नगर सहित अनेक मोहल्लों कई सड़कें बनाई गई हैं।