हाल बेहाल- यह माया की महिमा है भइया..

पढ़ें गोरखपुर से दुर्गेश त्रिपाठी का साप्‍ताहिक कालम- हाल बेहाल-

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Mon, 24 Feb 2020 10:02 PM (IST) Updated:Mon, 24 Feb 2020 10:02 PM (IST)
हाल बेहाल- यह माया की महिमा है भइया..
हाल बेहाल- यह माया की महिमा है भइया..

गोरखपुर, जेएनएन। कहा तो यह जाता है कि किसी के बिना कोई काम नहीं रुकता लेकिन बात जब सफाई वाले महकमे की हो तो कहावत बदलने में ही भलाई है। यहां एक साहब ऐसे हैं जिन्होंने अपने विशेष गुणों की बदौलत कहावत को बदल दिया है। साहब को पिछले साल ही जिलाबदर किया जा चुका है पर फरमान रद्दी की टोकरी में पड़ा है। कोई इनको छोडऩा नहीं चाहता है। शहर की बत्ती हो या वाहन चलाने की जिम्मेदारी, हर ताले की एक ही चाबी यही हैं। ऐसा भी नहीं है कि यह बहुत फास्ट टाइप के बंदे हैं पर, सेटिंग के खेल में इनको जबरदस्त महारत है इसलिए महकमे के दोनों गुट इनकी जेब में हैं। एक महफिल में इनकी चर्चा छिड़ी। एक साहब बोले, भाई, सब माया की महिमा है। यदि ऐसा नहीं होता तो इससे पहले जिनको भेजा गया था उनको भी काम के लिए रोक लिया जाता।

आप जनता के नौकर, हम प्रतिनिधि

शहर के अंदर के सबसे छोटे वाले माननीय सफाई कराने वाले साहब से बहुत नाराज हैं। यूं तो ज्यादातर छोटे वाले माननीय साहब से नाराज हैं लेकिन इनकी नाराजगी थोड़ी ज्यादा है। विपक्ष में हैं तो नाराज रहने का अधिकार भी बखूबी बनता है। हुआ यूं कि माननीय के मोहल्ले में सफाई नहीं हो रही थी। कई बार फोन-फान किया, बड़े साहब को पत्र भी थमाया लेकिन टीम की कौन कहे एक झाड़ू वाला भी नहीं पहुंचा। नाराजगी बेकाबू हुई तो सफाई वाले साहब को फोन लगा दिया। बात हालचाल से शुरू होते हुए सफाई में लापरवाही तक जा पहुंची। साहब ने कहा कि काम हर जगह चल रहा है, कहीं ज्यादा है तो कहीं कम। फिर भी हम लगे हुए हैं। माननीय की नाराजगी और बढ़ गई। बोले कि हम जनता के प्रतिनिधि हैं तो जनता हमसे पूछेगी और आप जनता के नौकर हैं, आपको काम कराना ही होगा।

चैन से रहते हैं चेन वाले साहब

साफ-सफाई महकमे में जो नाम बिना हाइलाइट हुए सबसे ज्यादा चर्चा में रहता है वह हैं चेन वाले साहब। बड़े साहब कोई हों, रंगबाजी तो चेन वाले साहब की ही है। यह अलग बात है कि टी सीरिज ने साहब को पैदल कर दिया है। फिर भी सभी जानते हैं कि साहब न तो किसी के आगे झुकेंगे और न ही कटोरा लेकर कुछ मांगेंगे। साहब कब आते हैं, कब चले जाते हैं किसी को पता ही नहीं चलता। जब तक ऑफिस में रहते हैं, मजाल क्या कि कोई कुछ बोल दे। महकमे के अन्य साहबों से अलग रहने वाले इन साहब से ज्यादातर लोग दूरी ही बनाकर रहते हैं। साहब को चैन चाहिए सो वह भी किसी से सटते नहीं हैं। न ही किसी के दरबार में बैठकी करते हैं। कहीं मीटिंग में बुलाया गया तो जाते हैं वरना कुछ समय ऑफिस आने के बाद निकल लेते हैं।

शादी करो काम की फाइल बनवाओ

साफ-सफाई वाले महकमे में हमेशा बजट का रोना रहता है। लेकिन बात शादी की हो तो अफसरों का दिल बड़ा हो जाता है। शहर का एक इलाका बारिश के दिनों में कई दिनों तक जलभराव से जूझता रहता है। वहां के छोटे वाले माननीय के घर के सामने भी पानी लग जाता है। माननीय नाला बनवाने के लिए हर चौखट पर जा चुके हैं। इधर, उनकी शादी तय हो गई तो नाला बनवाने के लिए भागदौड़ तेज कर दी। बाऊ जी के पास पहुंचे और मन की बात उड़ेल दी। बोले, शादी होने वाली है अब तो नाला बनवा दीजिए। बाऊ जी द्रवित हो गए, आश्वासन दे दिया। अब जेल के पीछे वाले छोटे माननीय की शादी तय हो गई है, उन्होंने शादी के कार्ड के साथ सड़क बनवाने के लिए साहब के सामने आवेदन डाला। साहब बोले, कार्ड के साथ आवेदन आया है, यह सड़क तो बनकर रहेगी।

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