बिंब-प्रतिबिंब : मदद पर भारी लोकप्रियता का शौक Gorakhpur News
पढ़ें गोरखपुर से राकेश राय का साप्ताहिक कॉलम-बिंब-प्रतिबिंब...
गोरखपुर, जेएनएन। लॉकडाउन की वजह से दो वक्त की रोटी के लिए जूझ रहे जरूरतमंदों की मदद को इन दिनों हजारों हाथ बढ़े हैं। बड़ी तादाद ऐसे लोगों की है, जिनकी प्राथमिकता मदद है, लेकिन कुछ ऐसे भी लोग हैं, जिन्हें इस विपदा की घड़ी में भी लोकप्रियता की ही पड़ी है। मदद पर भारी लोकप्रियता के शौक की बानगी बीते दिनों बस स्टेशन के पास देखने को मिली। सड़क किनारे खड़े एक जरूरतमंद परिवार की मदद को दो लोग पहुंचे। दोनों ने जरूरतमंदों को भोजन का पैकेट देने से पहले सोशल मीडिया पर साझा करने के लिए बाकायदा फोटो खिंचवाने का रिहर्सल किया। इस क्रम में भोजन का पैकेट जरूरतमंद से तीन बार लिया-दिया गया। अंत में जब फाइनल टेक होने की बारी आई तो पैकेट जमीन पर गिर गया। फिर तो पैकेट लेने वाले व्यक्ति का धैर्य जवाब दे गया। उसने भोजन का पैकेट लेने से ही इन्कार कर दिया।
दबाव के आदेश से सांसत में साहब
रेलवे के माध्यम से सही समय पर चिट्ठी-पत्री पहुंचाने का दावा करने वाले विभाग के बड़े साहब बीते दिनों खुद की ओर से जारी एक आदेश को लेकर संकट में पड़ गए हैं। अपने से बड़े अफसरों के दबाव में उन्होंने एक जनकल्याणकारी आदेश जारी तो कर दिया, लेकिन उसके पालन को लेकर उनके हाथ-पांव फूले हुए हैं। आदेश के मुताबिक रजिस्ट्री और स्पीड पोस्ट के लिए उनके विभाग का काउंटर ग्राहकों के लिए अब सप्ताह के सभी सात दिन 24 घंटे खुला रहेगा। पहले यह महज शाम चार से आठ बजे तक ही खुलता था। कर्मचारियों के अभाव मेें उनके आदेश का पालन किस हद तक संभव हो पाएगा, इसे लेकर जब सवाल किया गया, तो उनका दर्द छलक उठा। बोले, दबाव में आदेश तो निकाल दिया पर निभाना बहुत मुश्किल हो रहा है। ऐसे में इस आदेश का जितना कम प्रचार-प्रसार हो, हमारे लिए उतना ही बेहतर होगा।
आस्था में समाई, कोरोना माई
हमारे देश में श्रद्धा और आस्था का दायरा कितना बड़ा है, इसकी बानगी कोरोना के संक्रमण से बचाव की जिद्दोजहद में भी देखने को मिल रही है। जिस कोरोना वायरस ने समूचे विश्व को हिला कर रख दिया है, उसे हमारे देश के कुछ अति आस्थावान लोगों ने देवी मां तक का दर्जा दे डाला है। ग्रामीण इलाकों से कई ऐसी खबरें सुनने को मिल रही हैं, जिसमें कोरोना माई को पूजा से खुश करने का जिक्र है। इसे लेकर यज्ञ, हवन और कड़ाही चढ़ाने के दर्जनों प्रयास भी सामने आए हैं। कुछ कवि हृदय लोगों ने तो कोरोना माई पर देवी गीत तक रच डाला है। पूजा-अर्चना से इस महामारी पर विजय पाने में लगे एक व्यक्ति के बयान ने तो लोगों की आस्था को और दृढ़ कर दिया। उसने कहा, देवी समय-समय पर हमारी परीक्षा लेती हैं। इस बार की परीक्षा थोड़ी कठिन है, पर हम पास होंगे।
नेताजी की ऑनलाइन भाषण क्लास
लॉकडाउन में पठन-पाठन को लेकर ऑनलाइन क्लास की चर्चा तो खूब हो रही है, लेकिन कम ही लोगों को पता होगा कि इन दिनों कई जगह ऑनलाइन भाषण की क्लास भी परवान पर है। भाषण की कला निखारने को लेकर कुछ सीनियर नेता गुरु की भूमिका में हैं, तो बेहतर भविष्य को लेकर चिंतित कुछ जूनियर नेता शिष्य की। वाट्सएप इस कक्षा का बेहतरीन माध्यम बना हुआ है। एक स्थानीय वरिष्ठ नेता ने तो बाकायदा इसे लेकर शाम का एक समय भी निर्धारित कर रखा है, जब वह शिष्य नेताओं के रिकार्डेड भाषण को सुन रहे हैं, उन्हें सुधार के लिए यथोचित सुझाव भी दे रहे हैं। भाषण तथ्यपरक के साथ-साथ प्रवाहमान भी हो, इस पर गुरु-शिष्य दोनों का जोर है। दो दिन पहले शिष्य परंपरा के एक नेताजी फोन पर क्लास की तारीफ करने लगे। बोले, इससे अच्छा अवसर कब मिलेगा भाषण सीखने का, जब गुरु-शिष्य दोनों खाली हैं।