इस बार दिवाली में टेराकोटा और गोबर के दीये और मूर्तियों की रहेगी धूम, Gorakhpur News

Uttar Pradesh Gorakhpur उत्तर प्रदेश के माटी कला बोर्ड अध्यक्ष धर्मवीर प्रजापति ने बताया कि उप्र में सरकार के सहयोग से स्वदेशी के लक्ष्य को पूरा करने में जुटे मृदाशिल्पकार कामधेनु आयोग भी लगा रहा जोर मुख्यमंत्री की भावना के अनुरूप इस बार स्वदेशी दीये से दिवाली मनाई जाएगी।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Sat, 17 Oct 2020 11:39 AM (IST) Updated:Sat, 17 Oct 2020 11:39 AM (IST)
इस बार दिवाली में टेराकोटा और गोबर के दीये और मूर्तियों की रहेगी धूम, Gorakhpur News
गोरखपुर में दीये तैयार करता टेराकोटा शिल्पकार। जागरण

उमेश पाठक, गोरखपुर। उप्र सरकार के सहयोग से गोरखपुर के 200 मृदाशिल्पकार प्रतिदिन 14 हजार दीये और लक्ष्मी-गणोश की 1000 मूर्तियां बना रहे हैं। अब तक लक्ष्मी-गणोश की ढाई लाख प्रतिमाएं और 85 लाख दीये बना चुके हैं। लक्ष्य 10 लाख प्रतिमाएं और दो करोड़ दीये बनाने का है। वहीं, कामधेनु आयोग के प्रोत्साहन पर अनेक जगह गोबर से दीये बनाए जा रहे हैं।

उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जून में घोषणा की थी कि देश में इस बार चीन से दीये और मूर्तियां नहीं मंगाई जाएंगी वरन स्वदेशी उत्पादों की आपूíत का प्रयास होगा। वह भी पिछले साल की अपेक्षा कम कीमत पर। इसके बाद उप्र के मृदाशिल्पकार इस काम को मूर्त रूप देने में जुट गए। सरकार ने उन्हें हर आवश्यक संसाधन मुहैया कराया।

डिजाइनर दीये और मूर्तियां बनाने के लिए डाई, कलर स्प्रे मशीन, मिट्टी और इलेक्टिकचाक प्रदान किए गए। गोरखपुर की भांति अन्य जगहों पर भी इस कार्य को गति दी गई। गोरखपुर की बात करें तो एक जिला-एक उत्पाद योजना में शामिल टेराकोटा वर्क शहर से सटे गुलरिहा, औरंगाबाद, भरवलिया और एकला में होता है। जीआइ टैग मिलने के साथ इस कला को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विशिष्ट पहचान भी मिली है।

दीये वाले कलश की मांग पहले से है ही, इस बार सरकारी सहायता और प्रशिक्षण से खुश शिल्पकारों ने 21 दीये वाला हाथी बनाया है। ये स्पेशल दीये सरकार से मिली आधुनिक मशीन और कलर स्प्रे मशीन की सहायता से तैयार किए गए हैं। लक्ष्मी-गणोश की प्रतिमाएं बनाने के लिए कुम्हारों को प्लास्टर ऑफ पेरिस मिश्रित सीमेंट की डाई दी गई है। आठ और 12 इंच की ऊंचाई वाली इस डाई से मूíतयों के कट और डिजाइन स्पष्ट बन रहे हैं। पूर्व में कुम्हार रबर के सांचे से मूíत बनाते थे, जिससे कट स्पष्ट नहीं होते थे। जिला खादी एवं ग्रामोद्योग के एक अधिकारी ने बताया कि इस बार बाजार में सामान्य दीये एक से दो रुपये, टेराकोटा दीये दो रुपये और डिजानइर दीये पांच रुपये में मिलेंगे। पहले इनकी कीमत पांच से बीस रुपये तक थी। लक्ष्मी-गणोश की प्रतिमा 50 से 250 रुपये तक में मिलेंगी।

उत्साह: उत्तर प्रदेश के माटी कला बोर्ड अध्यक्ष धर्मवीर प्रजापति ने बताया कि उप्र में सरकार के सहयोग से स्वदेशी के लक्ष्य को पूरा करने में जुटे मृदाशिल्पकार, कामधेनु आयोग भी लगा रहा जोर मुख्यमंत्री की भावना के अनुरूप इस बार स्वदेशी दीये से दिवाली मनाई जाएगी। सरकार के साथ माटी कला बोर्ड भी इसी प्रयास में जुटा है। गोरखपुर ही नहीं, पूरे प्रदेश के शिल्पकारों को जरूरी सुविधाएं मुहैया कराई गई हैं।

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