Kisan Samridhi Mobile App: MMMUT का यह एप बताएगा मिट्टी के लिए मुफीद फसल

Kisan Samridhi Mobile App एमएमएमयूटी के छात्रों ने ऐसा मोबाइल एप बनाया है जो अच्छी खेती के लिए किसानों का मार्गदर्शन करेगा। छात्रों का दावा है कि किसान समृद्धि नाम का यह एप किसानों को एक साथ सारी जानकारी देकर उनकी आय दोगुनी करने में मदद करेगा।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Tue, 13 Jul 2021 07:05 AM (IST) Updated:Tue, 13 Jul 2021 07:05 AM (IST)
Kisan Samridhi Mobile App: MMMUT का यह एप बताएगा मिट्टी के लिए मुफीद फसल
एमएमएमयूटी के छात्रा द्वारा बनाया गया किसान समृद्धि एप। - सौजन्य इंटरनेट मीडिया।

गोरखपुर, डा. राकेश राय। Kisan Samridhi Mobile App: कम मेहनत और न्यूनतम खर्च में बेहतर फसल लेने के लिए मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमएमएमयूटी) के छात्रों ने ऐसा मोबाइल एप बनाया है, जो अच्छी खेती के लिए किसानों का मार्गदर्शन करेगा। छात्रों का दावा है कि 'किसान समृद्धि' नाम का यह एप किसानों को एक साथ सारी जानकारी देकर उनकी आय दोगुनी करने में मदद करेगा। प्रयोगशाला में सफल परीक्षण के बाद एंड्रायड बेस्ड अप्लीकेशन को खोराबार विकास खंड के जंगल रामलखना गांव में लांचिंग करने की तैयारी पूरी हो गई है।

अच्छी खेती के लिए मार्गदर्शक बनेगा एंड्रायड बेस्ड किसान समृद्धि एप

एप के जरिये खेत की मिट्टी की गुणवत्ता और उसके लिए मुफीद फसल की सलाह मिलेगी। अगर कोई रोग लगता है, आवश्यक कीटनाशक और मात्रा और छिड़काव का समय बताकर एप किसानों की मदद करेगा। इसके लिए किसानों को एप में दिए गए फीचर से फसल की तस्वीर खींचकर भेजनी होगी। एप खेत के दायरे में मौसम की जानकारी भी देगा। फिलहाल एप का लाभ विवि के आसपास बसे पांच गांवों जंगल अयोध्या प्रसाद, जंगल बेलवार, जंगल रामलखना, डुमरी खुर्द और रायगंज के किसानों को मिलेगा। विवि ने इन गांवों को गोद लिया है।

तीन छात्रों ने तैयार किया एप

इलेक्ट्रानिक्स एंड कम्युनिकेशन विभाग के प्रो. एसके सोनी के निर्देशन में यह एप कंप्यूटर इंजीनियङ्क्षरग के बीटेक तृतीय वर्ष के छात्र सार्थक श्रीवास्तव और इलेक्ट्रानिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियङ्क्षरग के द्वितीय वर्ष के छात्र सौरभ सोनी, प्रियंका और आदेश उपाध्याय ने बनाया है। इलेक्ट्रिकल इजीनियङ्क्षरग विभाग के डा. प्रभाकर तिवारी और इलेक्ट्रानिक्स इंजीनियङ्क्षरग विभाग के प्रो. बृजेश कुमार व डा. राजन मिश्रा ने तकनीकी सहयोग किया है।

सेंसर और वेदर स्टेशन जुटाएंगे खेत का डाटा

खेत का डाटा फुलप्रूफ हो, इसके लिए चिह्नित खेतों के किनारे वेदर स्टेशन स्थापित होगा और दो स्थानों पर सेंसर लगेगा। सेंसर डाटा को वेदर स्टेशन तक पहुंचाएगा, जहां से वह एप और फिर किसानों तक पहुंचेगा। वेदर स्टेशन लोहे की राड पर और सेंसर जमीन में छह इंच से लेकर एक फीट गहराई के बीच लगाया जाएगा। इसके लिए लोरा (शार्ट आफ लांग रेंज) तकनीक का इस्तेमाल होगा। यह ऐसी वायरलेस तकनीक है, जिससे कम बिजली में लंबी दूरी तक डाटा भेजा जा सकता है।

नाबार्ड से लेंगे सहयोग

प्रोजेक्ट के निर्देशक प्रो. एसके सोनी ने बताया कि एप के संचालन के लिए नाबार्ड से सहयोग लेने के लिए जल्द बैठक होगी। सहयोग के बिंदुओं को तय करने के बाद करार की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।

छात्रों द्वारा एप का बनाया जाना विवि की बड़ी उपलब्धि है। इस एप की लांचिंग खोराबार के जंगल रामलखना गांव से होगी। लांचिंग के बाद एप का दायरा अन्य गावों में भी बढ़ाया जाएगा। - प्रो. जेपी पांडेय, कुलपति, मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय।

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